भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ( DRAUPADI MURMU ) आज अपना 67वां जन्मदिन मना रही हैं। इस अवसर पर देश भर के नेताओं, नागरिकों और संगठनों ने उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। राष्ट्रपति मुर्मू, जो देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं, अपने सादगी भरे जीवन, संघर्ष और जनसेवा के प्रति समर्पण के लिए जानी जाती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर राष्ट्रपति मुर्मू को बधाई देते हुए लिखा, “राष्ट्रपति जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। उनका जीवन और नेतृत्व देश भर के करोड़ों लोगों को प्रेरित करता रहेगा। जनसेवा, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता सभी के लिए आशा और शक्ति की किरण है। ईश्वर उन्हें दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करे।”
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी X पर अपनी शुभकामनाएं दीं, “मुर्मू जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई। आपके स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करती हूं।” इसके अलावा, कई अन्य नेताओं, जैसे बीजेपी नेता मनीष राय और अरुण राजभर, ने भी राष्ट्रपति के योगदान और उनकी प्रेरणादायक जीवन यात्रा की सराहना की।
जीवन यात्रा और उपलब्धियां
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से कला में स्नातक की डिग्री हासिल की और अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षिका और क्लर्क के रूप में की। 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव जीतकर उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की।
वह 2000 और 2009 में ओडिशा के रायरंगपुर से बीजेपी विधायक चुनी गईं और 2000-2004 तक बीजद-बीजेपी गठबंधन सरकार में मंत्री रहीं। 2015 से 2021 तक वह झारखंड की पहली महिला और आदिवासी राज्यपाल रहीं। 25 जुलाई 2022 को उन्होंने भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली, जिससे वह आजाद भारत की सबसे कम उम्र की और पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनीं।
प्रेरणादायक व्यक्तित्व
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने जीवन में कई व्यक्तिगत त्रासदियों का सामना किया, जिसमें अपने पति श्याम चरण मुर्मू और दो बेटों की असमय मृत्यु शामिल है। इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और सामाजिक कार्यों में अपनी ऊर्जा लगाई। उनकी बेटी इतिश्री मुर्मू और दामाद गणेश हेम्ब्रम उनके परिवार का हिस्सा हैं।
उदित वाणी की एक रिपोर्ट के अनुसार, “राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा संघर्ष, सेवा और सादगी की मिसाल है। एक छोटे से गांव से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की समावेशिता को दर्शाता है।” उनकी संवेदनशीलता की एक कहानी तब सामने आई जब सातवीं कक्षा में उन्होंने अपने शिक्षक के लिए पुराने कपड़ों से डस्टर बनाया था।