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Home » 2025 के पहले 6 महीने, भारत के 6 दिल दहलाने वाले हादसे

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2025 के पहले 6 महीने, भारत के 6 दिल दहलाने वाले हादसे

Poonam Ritu Sen
Last updated: June 13, 2025 12:57 pm
Poonam Ritu Sen
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INDIA ACCIDENT 2025 का पहला छमाही भारत के लिए दुख, शोक और गहरे आघात से भरा रहा। विमान दुर्घटना, आतंकी हमला, भगदड़ और रेल हादसों ने न केवल हजारों परिवारों को तोड़ दिया, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था, प्रबंधन और मानवीय संवेदनाओं पर गहरे सवाल भी खड़े किए। ये हादसे केवल आंकड़ों की कहानी नहीं बल्कि उन सपनों, उम्मीदों और जिंदगियों की त्रासदी हैं, जो पलभर में हमेशा के लिए खामोश हो गईं। जनवरी से जून 2025 तक हुए 6 बड़े हादसों की विस्तार से चर्चा करतें हैं –

खबर में खास
अहमदाबाद विमान हादसा: आसमान से बरसी मौत (12 जून 2025)पहलगाम आतंकी हमला: स्वर्ग में खून की होली (अप्रैल 2025)महाकुंभ भगदड़: आस्था पर भारी भीड़ (जनवरी 2025)बेंगलुरु स्टेडियम भगदड़: उत्सव में बदला मातम (जून 2025)नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़: अफरा-तफरी में खोई जिंदगियां (फरवरी 2025)मुंबई लोकल ट्रेन हादसा: जीवनरेखा पर संकट (जून 2025)

अहमदाबाद विमान हादसा: आसमान से बरसी मौत (12 जून 2025)

12 जून 2025 की दोपहर अहमदाबाद का सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 एक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरती है। विमान में 242 यात्री और 10 क्रू मेंबर सवार थे, परिवार, दोस्त, बच्चे, और सपनों को पंख देने वाले लोग। लेकिन टेकऑफ के कुछ ही मिनट बाद, विमान मेघानी नगर के रिहायशी इलाके में धमाके के साथ दुर्घटनाग्रस्त हो गया। आसमान से आग की लपटें और काला धुआं उठा। फ्लाइट में बैठे 241 लोगों के अलावा बीजे हॉस्पिटल और अतुल्यम फ्लैट के लोगों को मिलाकर कुल 268 लोगों की मौत हो गई, केवल एक यात्री, विश्वासकुमार रमेश, सीट 11A पर बैठे होने और इमरजेंसी एग्जिट से कूदने के कारण बच पाया।

हादसे की तस्वीरें दिल दहला देने वाली थीं। मलबे में दबे लोग, जलता हुआ विमान और आसपास के घरों में मची तबाही। बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की डाइनिंग हॉल में पढ़ रहे मेडिकल छात्र भी इस आग की चपेट में आए। स्थानीय निवासी चीखों और सायरनों के बीच अपनों को ढूंढ रहे थे। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, “ऐसा लगा जैसे आसमान टूट पड़ा हो।” बचाव दल, सेना और स्थानीय लोग रातभर मलबे में जिंदगियां तलाशते रहे।

यह हादसा भारत के विमानन इतिहास की सबसे भयावह त्रासदियों में से एक बन गया। पूर्व गुजरात मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी इस हादसे में शहीद हुए। विमानन सुरक्षा पर सवाल उठे, खासकर बोइंग 787 की तकनीकी विश्वसनीयता पर। एयर इंडिया का मालिक टाटा ग्रुप ने प्रत्येक मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की।

प्रारंभिक जांच में इंजन फेलियर या तकनीकी खराबी की आशंका है। पायलट ने टेकऑफ के बाद “मेडे” कॉल जारी किया था, जो पूर्ण आपातकाल का संकेत था। सीसीटीवी फुटेज में विमान के उड़ान न भर पाने की स्थिति दिखी। जांच के लिए भारत का विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) और अमेरिका का NTSB सक्रिय है।

पहलगाम आतंकी हमला: स्वर्ग में खून की होली (अप्रैल 2025)

अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर का पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, आतंक की भेंट चढ़ गया। आतंकियों ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 26 लोग मारे गए। यह हमला पर्यटन को निशाना बनाकर किया गया था ताकि कश्मीर की शांति और अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई जाए।

पहलगाम की हरी-भरी वादियां उस दिन खून से लाल हो गईं। पर्यटक जो छुट्टियां मनाने आए थे, अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा पहलगाम ऐसा मंजर देखेगा।” मृतकों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल थे। परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल था।

इस हमले ने कश्मीर के पर्यटन उद्योग को गहरा झटका दिया। पर्यटकों में डर का माहौल बन गया और कई ने अपनी यात्रा रद्द कर दी। सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे, खासकर खुफिया जानकारी की कमी को लेकर। भारत सरकार ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला किया जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया।

आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की सक्रियता को इस हमले की वजह माना गया। खुफिया तंत्र की नाकामी और सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ ने इस त्रासदी को जन्म दिया।

महाकुंभ भगदड़: आस्था पर भारी भीड़ (जनवरी 2025)

जनवरी 2025 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला चल रहा था। मौनी अमावस्या के पवित्र दिन लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए संगम तट पर जमा थे। अचानक भीड़ अनियंत्रित हो गई और भगदड़ मच गई। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस हादसे में 30 से 37 लोगों की मौत हो गई जबकि 60 से ज्यादा घायल हुए, इसके अलावा बीबीसी की हालिया रिपोर्ट में 82 लोगों के मौत की खबर सामने आयी ।

संगम तट पर मची चीख-पुकार और अफरा-तफरी का मंजर भयावह था। लोग एक-दूसरे पर गिर रहे थे बच्चे और बुजुर्ग भीड़ में दब गए। कपड़े, जूते और सामान बिखरे पड़े थे। एक श्रद्धालु ने कहा, “हम तो पाप धोने आए थे, लेकिन जिंदगी ही छिन गई।” बचाव दल घायलों को अस्पताल ले जाते रहे, लेकिन कई परिवार अपने अपनों को खो चुके थे।

इस भगदड़ ने धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन की खामियों को उजागर किया। स्थानीय प्रशासन और पुलिस की तैयारियों पर सवाल उठे। महाकुंभ, जो हिंदू धर्म का सबसे बड़ा उत्सव है, इस त्रासदी के कारण दुख में डूब गया। संकरे रास्ते, अपर्याप्त सुरक्षा बल और भीड़ को नियंत्रित करने की खराब योजना इस हादसे की वजह बनी। पुलिस ने भीड़ को दूसरी जगह भेजने की कोशिश की लेकिन अफरा-तफरी बढ़ गई।

बेंगलुरु स्टेडियम भगदड़: उत्सव में बदला मातम (जून 2025)

4 जून 2025 को बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में IPL 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की जीत का जश्न मनाया जा रहा था। लेकिन स्टेडियम और विधानसभा के बाहर भीड़ अनियंत्रित हो गई और भगदड़ मच गई। इस हादसे में 11 लोग मारे गए और 33 से ज्यादा घायल हुए।

खुशी का माहौल पलभर में मातम में बदल गया। प्रशंसक अपनी टीम की जीत का उत्सव मना रहे थे, एक-दूसरे पर गिरने लगे। घायलों की चीखें और परिवारों का रोना हवा में गूंज रहा था। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, “हम जश्न मनाने आए थे, लेकिन ऐसा दुख देखा कि दिल टूट गया।”

इस घटना ने खेल आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की कमियों को उजागर किया। आयोजकों और स्थानीय प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगे। RCB के प्रशंसकों के लिए यह जीत एक दुखद स्मृति बन गई। अचानक बढ़ी भीड़, अपर्याप्त सुरक्षा कर्मी और स्टेडियम के बाहर खराब व्यवस्था इस हादसे की वजह बनी।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़: अफरा-तफरी में खोई जिंदगियां (फरवरी 2025)

15 फरवरी 2025 की रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हजारों यात्री महाकुंभ मेले के लिए प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों का इंतजार कर रहे थे। ट्रेनों की देरी और भ्रामक घोषणाओं के कारण भीड़ में अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ में 18 लोग मारे गए जिनमें 10 महिलाएं और 3 बच्चे शामिल थे।

प्लेटफॉर्म पर पसरा सन्नाटा और बिखरे सामान इस त्रासदी की गवाही दे रहे थे। लोग ट्रेन में चढ़ने की होड़ में एक-दूसरे पर गिर पड़े। एक यात्री ने कहा, “मैंने अपनी बहन को भीड़ में खो दिया। उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन सब बेकार।” अस्पतालों में घायलों और शवों की कतारें थीं।

इस हादसे ने रेलवे स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा की खामियों को सामने लाया। यात्रियों में डर और गुस्सा बढ़ा। दिल्ली की मुख्यमंत्री अतीशी ने इसे “बेहद दुखद” बताया।
ट्रेनों की देरी, भ्रामक घोषणाएं और कर्मचारियों की कमी ने स्थिति को बेकाबू कर दिया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं थे।

मुंबई लोकल ट्रेन हादसा: जीवनरेखा पर संकट (जून 2025)

जून 2025 में मुंबई की एक लोकल ट्रेन में तकनीकी खराबी और अत्यधिक भीड़ के कारण हादसा हुआ। कई यात्री गिरकर घायल हुए और कुछ की मौत हो गई। यह हादसा व्यस्त समय में हुआ जब ट्रेन में पैर रखने की भी जगह नहीं थी।

ट्रेन के डिब्बों में फंसे लोग, घायलों की कराह और स्टेशन पर इंतजार कर रहे परिवारों की बेचैनी—यह मंजर मुंबई के लिए नया नहीं, लेकिन हर बार उतना ही दर्दनाक है। एक यात्री ने कहा, “हम रोज जिंदगी दांव पर लगाकर सफर करते हैं।” मृतकों में ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर थे, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए रोज सफर करते थे।

मुंबई की लोकल ट्रेनें शहर की धड़कन हैं। इस हादसे ने रेलवे के पुराने ढांचे और रखरखाव की कमी पर सवाल उठाए। यात्रियों में असुरक्षा की भावना बढ़ी। पुराना रेल ढांचा, अत्यधिक भीड़ और तकनीकी खराबी इस हादसे की वजह बनी। रेलवे के “कवच” सिस्टम के बावजूद ऐसी घटनाएं रुक नहीं रही हैं।

ये त्रासदियां विमानन, रेलवे और सार्वजनिक आयोजनों में सुरक्षा की खामियों को उजागर करती हैं। भारत में हर साल सड़क हादसों में 1.5 लाख लोग मरते हैं और रेल हादसे भी कम नहीं हैं। पहलगाम हमले ने कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में खुफिया तंत्र और सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत को सामने लाया।

भगदड़ की घटनाओं ने बड़े आयोजनों में बेहतर योजना और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी को दिखाया। सड़क हादसों की लागत भारत के जीडीपी का 3% है। इन हादसों ने हजारों परिवारों को भावनात्मक और आर्थिक रूप से तोड़ दिया।

2025 के पहले छह महीने भारत के लिए दुख और सबक से भरे रहे। अहमदाबाद का विमान हादसा, पहलगाम का आतंकी हमला, महाकुंभ और बेंगलुरु की भगदड़, दिल्ली रेलवे स्टेशन की त्रासदी, और मुंबई का ट्रेन हादसा ये सभी घटनाएं हमें चेतावनी देती हैं। ये हादसे केवल समाचार नहीं, बल्कि उन परिवारों की कहानियां हैं, जिन्होंने अपनों को खोया।

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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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