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देश

जातिगत जनगणना : लोहिया और कांशीराम के नारों ने बदली सियासत

अरुण पांडेय
अरुण पांडेय
Published: April 30, 2025 7:43 PM
Last updated: April 30, 2025 7:43 PM
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Caste Census
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द लेंस डेस्‍क। केंद्र सरकार आखिरकार जातिगत जनगणना कराने के लिए तैयार हो गई है, लेकिन यह मांग 1960 के दशक में उठाई समाजवादी नेता और चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया ने। इसके बाद इसी मांग को 1980 में आगे बढ़ाया बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने।

लोहिया का नारा जहां पिछड़े वर्गों को संगठित करने और उन्हें उनके हक दिलाने का आह्वान था, वहीं कांशीराम का नारा हर वर्ग को उसकी जनसंख्या के आधार पर हिस्सेदारी देने की मांग को रेखांकित करता था। इन नारों ने न केवल राजनीतिक दलों को प्रभावित किया, बल्कि समाज के दबे-कुचले वर्गों में आत्मविश्वास जगाया। आइए जानते हैं क्‍या थे वो नारे जो आज भी जातिगत जनगणना, आरक्षण की बहस में गूंजते हैं।

संसोपा ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावे सौ में साठ

संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) के बैनर तले डॉ. राम मनोहर लोहिया ने नारा दिया “संसोपा ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावे सौ में साठ”। यह नारा उस समय के सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर करारा प्रहार था। लोहिया का मकसद था कि पिछड़े वर्गों, जिनमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) शामिल थे, उनको उनकी आबादी के अनुपात में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी मिले। यह नारा शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में समानता की मांग का प्रतीक था। लोहिया का मानना था कि बिना सामाजिक न्याय के लोकतंत्र अधूरा है। उनके इस नारे ने न केवल समाजवादी आंदोलन को मजबूत किया, बल्कि मंडल आयोग की सिफारिशों के लिए भी जमीन तैयार की।

जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी

1980 के दशक में कांशीराम ने “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” का नारा दिया, जो दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई का आधार बना। बसपा के गठन और इसके पहले के संगठन, बामसेफ और डीएस-4 के जरिए कांशीराम ने इस नारे को जन-जन तक पहुंचाया। यह नारा 1984 में बसपा के उदय के साथ और भी जोर पकड़ गया। कांशीराम का लक्ष्य था कि समाज के हर वर्ग को उसकी जनसंख्या के अनुपात में संसाधनों, अवसरों और सत्ता में हिस्सेदारी मिले। यह नारा जातिगत जनगणना और आरक्षण की मांग को मजबूत करने का हथियार बना, जो आज भी राजनीतिक विमर्श का हिस्सा है।

यह भी देखें : देश में होगी जातिगत जनगणना, आखिरकार केंद्र सरकार हुई तैयार

TAGGED:Caste censusDr. Ram Manohar LohiaKanshi RamLatest_News
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