लेंस नेशनल डेस्क
अमरेंद्र कुमार सिंह पहलगाम घटना के समय वहीं मौजूद थे। वो लिखते हैं, ‘कल पहलगाम में मारे गए सभी लोगों को विनम्र श्रंद्धाजलि और ईश्वर उनके परिजन को दुख सहने की शक्ति दे।’
‘जाको राखे साइयां, मार सके न कोई’ मैं बच गया।
सुन कर खुशी मिलती है, पर जो बेकसूर लोग मारे गए, जिनमें कम से कम 3 घोड़े वाले भी थे, उनके लिए बेहद दुःख और गुस्सा भी है।
घटना स्थल से सिर्फ 300 से 400 मीटर पर घोड़े पर मोना और हम थे, अचानक गोलियों की तरतराहट और भागते लोग देख तुरंत समझ आ गया और जान प्राण ले कर हमारा भी घोड़ा वाला हमको ले कर भागा।
फिर वापस होटल जो पहलगाम में ही था, उसमें आ गया। टूर कल से ही शुरू हुआ था और पहले दिन ही ये सब हो गया, फिर आगे का सारा प्रोग्राम छोड़ आज का टिकट ले कर वापस हो रहे हैं। फ्लाइट शाम की है, अभी ही एयरपोर्ट आ गया।
आपसे अनुरोध है किसी बहकावे में न आवे , न्यूज में सुना रेकी किया गया था, जब पता था तो होने क्यों दिए, वहां किसी भी सिक्योरिटी फोर्स से एक भी फोर्स की तैनाती नहीं थी। खैर अब तो राजनीति चलती रहेगी। कोई बोल रहा है, जात नहीं धर्म पूछा आदि आदि। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। जो चले गए उनके लिए बेहद दुःख है।
ध्यान रखिए हजारों बचाए गए हैं, सिर्फ लोकल सपोर्ट के कारण संभव हो पाया है। घोड़ा वाला, गाड़ी वाला और होटल वाला सभी का सपोर्ट शानदार था।
हालांकि गिद्ध लोग मौके के तलाश में रहते हैं, जहां होटल वाला पेमेंट नहीं लिया, गाड़ी वाला पैसे नहीं लिया, ड्राइवर रो कर जबरदस्ती करने पर टिप्स पकड़ा, वहीं श्री नगर से दिल्ली दो टिकट का 38000 पे करना पड़ा।
आतंक फैलाने वाले और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई चलती रहनी चाहिए और इसमें पूरे देश को एकजुट रहना चाहिए।
अमरेंद्र सिंह पहलगाम के उस इलाके में मौजूद थे जहां फायरिंग हुई