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देश

SIR में मसौदा सूचियों के प्रकाशन का समय बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट सहमत

आवेश तिवारी
आवेश तिवारी
Published: November 26, 2025 7:38 PM
Last updated: November 26, 2025 7:38 PM
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Supreme Court on SIR
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नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली

खबर में खास
क्या कहा डीएमके नेबिहार में भी बवाल लेकिन चुनाव संपन्न

पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मौखिक रूप से टिप्पणी की कि यदि आवश्यक हुआ तो वह मसौदा मतदाता सूचियों के प्रकाशन की समय सीमा बढ़ा सकता है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने यह मौखिक टिप्पणी उस समय की जब पश्चिम बंगाल मामले में उपस्थित पक्षों ने न्यायालय द्वारा मामले की सुनवाई 9 दिसंबर तक स्थगित करने पर चिंता जताई, जो कि SIR अनुसूची के अनुसार मसौदा रोल के प्रकाशन की तिथि है।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अगर आप तिथि को आगे बढ़ाने को लेकर कोई उचित तर्क देते हैं , तो हम उन्हें तारीख बढ़ाने का निर्देश दे सकते हैं। अदालत हमेशा कह सकती है। सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ में न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची भी शामिल थे।

उन्होंने याचिकाकर्ताओं को भारत के चुनाव आयोग को तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से संबंधित याचिकाओं पर अपना जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा। अदालत द्वारा तमिलनाडु के मामले 4 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिए गए हैं, जबकि पश्चिम बंगाल के मामले 9 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिए गए हैं।

क्या कहा डीएमके ने

तमिलनाडु में SIR को राजनीतिक दल डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), अभिनेता विजय की पार्टी टीवीको , सांसद थोल थिरुमावलवन , राज्य के विधायक के सेल्वापेरुंथगई और टी वेलमुरुगन, भाकपा नेता एम वीरपांडियन और राजनेता तमीम अंसारी ने चुनौती दी है।

दूसरी ओर, अन्नाद्रमुक का समर्थन करते हुए एक आवेदन दायर किया है। डीएमके की याचिका के अनुसार, तमिलनाडु में अक्टूबर 2024 से 6 जनवरी, 2025 के बीच एक विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) पहले ही किया जा चुका है, जिसके दौरान मतदाता सूची को प्रवास, मृत्यु और अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाने जैसे बदलावों को दर्शाने के लिए अद्यतन किया गया था।

संशोधित सूची 6 जनवरी, 2025 को प्रकाशित की गई थी और तब से इसे लगातार अद्यतन किया जा रहा है। इसके बावजूद, चुनाव आयोग ने एक नया एसआईआर अधिसूचित किया है, जिसमें नए दिशानिर्देश पेश किए गए हैं जो नागरिकता सत्यापन आवश्यकताओं को लागू करते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे।

द्रमुक ने चेतावनी दी है कि एसआईआर के माध्यम से, चुनाव आयोग ने व्यक्तियों की नागरिकता का आकलन करने की शक्ति का दावा किया है। यह एक ऐसी शक्ति जो नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है।

पश्चिम बंगाल ने भी दी चुनौती

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को तृणमूल कांग्रेस की सांसद डोला सेन और पश्चिम बंगाल कांग्रेस समिति के शुभंकर सरकार और मोस्तरी बानू ने चुनौती दी है। पुडुचेरी सर पुडुचेरी में विशेष गहन पुनरीक्षण अभ्यास को पुडुचेरी विधानसभा में विपक्ष के नेता आर शिवा ने चुनौती दी है।

बिहार में भी बवाल लेकिन चुनाव संपन्न

पिछले कुछ महीनों में बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की वैधानिकता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएँ दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं ने एसआईआर के संचालन में बड़े पैमाने पर लोगों के नाम हटाने और अनियमितताओं का आरोप लगाया। उन्होंने विशेष गहन पुनरीक्षण करने के चुनाव आयोग के अधिकार पर भी सवाल उठाया।

समय के साथ, न्यायालय ने कई निर्देश जारी किए, जिनमें मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए आधार कार्ड को एक दस्तावेज़ के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देना और बाहर किए गए मतदाताओं का विवरण प्रकाशित करने का निर्देश देना शामिल है। 16 अक्टूबर को, चुनाव आयोग द्वारा यह दलील दिए जाने के बाद कि वह बिहार में मतदाताओं की अंतिम सूची प्रकाशित करने की प्रक्रिया में है, मामले की सुनवाई स्थगित कर दी गई।

उस सुनवाई के दौरान, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से आग्रह किया कि वह चुनाव आयोग को मतदाताओं की अंतिम सूची में जोड़े और हटाए गए नामों को प्रकाशित करने का निर्देश दे। हालाँकि, पीठ ने कहा कि वह यह देखने के लिए प्रतीक्षा करेगी कि चुनाव आयोग क्या प्रकाशित करता है और विश्वास व्यक्त किया कि आयोग अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करेगा।इस बीच वाहन चुनाव हो भी गए।

TAGGED:bihar assembly electionelection commisiionMamata BanerjeeSIRSupreme Court on SIRTop_NewsWest Bengal
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