पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बंपर प्रदर्शन करते हुए जीत का सेहरा अपने सिर बांध लिया है। यह तब है जब 20 साल से बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार हैं। वहीं महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव सीएम फेस होने के बाद भी कमाल नहीं दिखा सके और पिछले चुनाव में जीती हुई 70 से अधिक सीटें भी गंवा बैठे।
यह आरजेडी और उनके सहयोगी दलों की सबसे बुरी हार साबित हुई। एनडीए के लिहाज से इस बार का चुनाव इसलिए भी खास है कि इस गठबंधन ने सीएम फेस तय किए बगैर चुनाव लड़ा और बंपर जीत हासिल की।
243 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए और एनडीए इस आंकड़े से काफी आगे निकल चुकी है। 200 के करीब सीटों पर सीटों पर बढ़त बना चुकी है। इसमें बीजेपी 90, जेडीयू 84 एजेपी 19 और अन्य सहयोगी 9 सीटों पर बढ़त बना चुके हैं। जबकि इंडिया गठबंधन महज 35 सीटों पर आगे है। जिसमें कांग्रेस 6, आरजेडी 25 और अन्य सहयोगी 4 सीटों पर आगे हैं वहीं वीआईपी एक भी सीट पर जीत हासिल कर पाने में नाकाम रही है।
नतीजों के बाद बीजेपी उम्मीदवार और मौजूदा विधायक संजीव चौरसिया ने कहा कि एनडीए फिर से सरकार बनाने जा रही है। उन्होंने दावा किया कि लोगों का भरोसा डबल इंजन सरकार पर कायम है और एक भी बूथ पर पुनर्मतगणना की जरूरत नहीं पड़ी, जो जमीन पर हमारी मजबूत स्थिति को दिखाता है।
एनडीए को अपनी जीत की उम्मीद तीन बड़े आधारों पर टिकी है। पहला नीतीश कुमार का पुराना राजनीतिक कद, हालांकि यह चुनाव यह भी तय करेगा कि गठबंधन में उनकी बादशाहत बरकरार है या नहीं। दूसरा महिलाओं का वोट, जिसे दशहरी मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना और जीविका समूहों के जरिए मजबूत किया गया है।
तीसरा जातीय समीकरण, जिसमें चिराग पासवान की एलजेपी रामविलास और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो की वापसी से गठबंधन का दायरा बढ़ा है। चिराग का प्रदर्शन इस बार सबकी नजर में है क्योंकि उन्होंने सीटों के बंटवारे में आक्रामक रुख अपनाया था।
दूसरी तरफ तेजस्वी यादव की अगुवाई वाला महागठबंधन मुस्लिम यादव के अपने कोर वोट से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। वीआईपी और नई पार्टी आईआईपी के जरिए अति पिछड़ा और नदियों किनारे बसी आबादी को जोड़ने का दांव खेला गया है।
तेजस्वी की जवानी और जोश भरी चुनावी मुहिम को नीतीश की लंबी सत्ता के खिलाफ खड़ा किया गया है। कांग्रेस राहुल गांधी की यात्रा के बाद कुछ सीटें बचाने की उम्मीद लगाए है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी मैदान में है। उसके वोट प्रतिशत से पता चलेगा कि वह पुरानी जातीय गणित में सेंध लगा पाई या नहीं।
इधर मतगणना के बीच बीजेपी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला तेज कर दिया है। सोशल मीडिया पर एक नक्शा वायरल हो रहा है जिसमें पिछले दो दशक में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को मिली 95 चुनावी हार दिखाई गई हैं। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने तंज कसते हुए लिखा कि अगर चुनावी हार का कोई अवार्ड होता तो राहुल गांधी सारे झापड़ मार लेते। इस बार भी एक और चुनाव, एक और हार।
हार पर विपक्षी दलों ने क्या कहा
बिहार विधानसभा चुनाव के रुझान और नतीजे से तस्वीर साफ होने के बाद भी यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने तेवर नहीं बदले। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि बिहार में जो खेल SIR ने किया है वो प. बंगाल, तमिलनाडू, यूपी और बाक़ी जगह पर अब नहीं हो पायेगा क्योंकि इस चुनावी साज़िश का अब भंडाफोड़ हो चुका है। अब आगे हम ये खेल, इनको नहीं खेलने देंगे।CCTV की तरह हमारा ‘PPTV’ मतलब ‘पीडीए प्रहरी’ चौकन्ना रहकर भाजपाई मंसूबों को नाकाम करेगा।
वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक्स पर पोस्ट कर बिहार चुनाव नतीजों के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को ही बधाई दे डाली। उन्होंने लिखा कि “आपने बहुत मेहनत की। 64 लाख मतदाताओं के नाम काटे। 16 लाख नए मतदाताओं ने आवेदन किया आपने 21 लाख नए नाम जोड़ लिए। धांधली पर धांधली। बेहिसाब धांधली। भाजपा को आपसे अच्छा सहयोगी नहीं मिल सकता।“

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने संयम बरतने की सलाह दी है। शशि थरूर ने यह भी याद दिलाया कि किसी चुनाव में जीत-हार कई कारणों से होती है। महागठबंधन में कांग्रेस बड़ा भाई नहीं थी, इसलिए राजद को भी अपने खराब प्रदर्शन के कारणों पर गहराई से विचार करना चाहिए।
उन्होंने पार्टी के लिए कहा कि हार के बाद जरूरी है कि हम अपने प्रदर्शन का ईमानदारी से विश्लेषण करें, क्योंकि चुनावी नतीजे सिर्फ एक पार्टी के प्रदर्शन से नहीं, बल्कि कई कारकों के संयोजन से तय होते हैं।
दोनों चरणों में रिकॉर्ड मतदान
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के शुरुआती दो चरणों में मतदाताओं ने गजब का उत्साह दिखाया और आजादी के बाद का सबसे ऊंचा मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया।
पहले चरण में 65.08% वोट पड़े, जो स्वतंत्र भारत में किसी एक चरण के लिए अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। दूसरे चरण में यह उत्साह और बढ़ा और 68.69% मतदान हुआ।
राज्य चुनाव आयोग के अंतिम आंकड़ों के मुताबिक दोनों चरण मिलाकर कुल मतदान प्रतिशत 67.13 तक पहुंच गया, जो पिछले 73 साल के सारे रिकॉर्ड तोड़ देता है। जनता ने इस बार वोटिंग में जिस जोश के साथ हिस्सा लिया, वह बिहार की राजनीति के लिए एक नया मानदंड स्थापित कर गया है।
7 राज्यों के आठ सीटों पर उप चुनाव के नतीजे
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही राज्यों की आठ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी आ गए हैं। राजस्थान की अंता सीट पर कांग्रेस के प्रमोद जैन ने जीत दर्ज की जबकि तेलंगाना की जुबली हिल्स सीट कांग्रेस के नवीन यादव ने अपने नाम कर ली। अंता सीट पहले भाजपा के पास थी और जुबली हिल्स पर बीआरएस का कब्जा था।
पंजाब में तरनतारन सीट आम आदमी पार्टी ने बरकरार रखी जहां हरमीत सिंह संधू ने चौथी बार विधायक बने हैं। उन्हें 42649 वोट मिले और उन्होंने प्रतिद्वंद्वी को 12091 वोटों से हराया।

झारखंड की घाटशिला सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के सोमेश चंद्र सोरेन ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र और भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन को 38601 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया।
ओडिशा की नुआपाड़ा सीट पर भाजपा के जय ढोलकिया विजयी रहे। मिजोरम की डम्पा सीट मिजो नेशनल फ्रंट के खाते में गई जहां उनके उम्मीदवार ने जोराम पीपुल्स मूवमेंट के प्रत्याशी को मात्र 562 वोटों से मात दी। एमएनएफ उम्मीदवार को 6981 वोट और जेडपीएम उम्मीदवार को 6419 वोट प्राप्त हुए।

जम्मू कश्मीर में दो सीटों पर अलग अलग पार्टियों को सफलता मिली। नगरोटा सीट भाजपा की देवयानी राणा ने जीती जबकि बडगाम सीट पीडीपी के आगा सैयद मुंतजिर ने अपने नाम की। बडगाम सीट मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दो जगह से जीतने के बाद खाली की थी। जीत के बाद भाजपा विधायक देवयानी राणा कहा कि उन्हें खुशी है कि जनता ने उनके दिवंगत पिता देवेंद्र सिंह राणा को जिस तरह आशीर्वाद दिया था उसी तरह परिवार की तरह उन्हें भी स्वीकार किया।
तेलंगाना की जुबली हिल्स सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार नवीन यादव को 98988 वोट मिले और उन्होंने बीआरएस की एम गोपीनाथ को 24729 वोटों से हराया। इस सीट पर विधायक मगंती गोपीनाथ के निधन से उपचुनाव हुआ था और मतदान प्रतिशत 48.47 रहा।
अब बिहार में कभी नहीं लौटेगा जंगलराज : पीएम मोदी
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की बड़ी जीत के बाद दिल्ली में बीजेपी हेड ऑफिस में जश्न मनाया गया। कार्यकर्ताओं के जश्न के बीच पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, अध्यक्ष जेपी नडडा पहुंचे। जहां पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने सबसे मजबूत जनादेश एनडीए को दिया है। उन्होंने कहा कि “मैं सभी दलों की ओर से बिहार की जनता को प्रणाम करता हूं। आज मैं लोकनायक जयप्रकाश नारायण और भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को भी श्रद्धा से याद करता हूं। एक पुरानी कहावत है कि लोहा लोहे को काटता है। कुछ दलों ने तुष्टिकरण की राजनीति के लिए MY का फार्मूला चलाया था लेकिन इस बार जनता ने नया सकारात्मक MY दिया है यानी महिला और युवा।“
छठ मइया की जय से अपना भाषण शुरू करते हुए मोदी ने कहा कि बिहार ने आज मखाने की खीर पक्की कर दी है। हम एनडीए वाले जनता जनार्दन के सेवक हैं और मेहनत से उसका दिल जीतते हैं। आज हमने वो दिल जीत लिया है।
उन्होंने कहा कि देश के विकास में बिहार की बहुत बड़ी भागीदारी रही है लेकिन जिन्होंने दशकों तक केंद्र में शासन किया उन्होंने बिहार की गलत तस्वीर पेश की। अब बिहार में जंगलराज कभी वापस नहीं आएगा। यह जीत बिहार की माताओं बहनों की है जिन्होंने राजद के समय का जंगलराज झेला था। अब वो काले दिन इतिहास बन चुके हैं। बिहार तेजी से विकास की राह पर चल पड़ा है।
यह परिणाम उन लोगों को करारा जवाब है जो कहते थे कि बिहार को एक्सप्रेसवे नहीं चाहिए इंडस्ट्री नहीं चाहिए रेल और एयरपोर्ट की जरूरत नहीं है। यह जनादेश परिवारवाद के खिलाफ और विकासवाद के पक्ष में है। जैसे ही बिहार से जंगलराज खत्म हुआ कहीं भी पुनर्मतदान की नौबत नहीं आई। इसके लिए मैं चुनाव आयोग बिहार के मतदाताओं और सुरक्षाबलों को बधाई देता हूं।
बिहार के चुनावों ने यह भी साबित किया है कि अब युवा मतदाता वोटर लिस्ट की सफाई को गंभीरता से लेते हैं। लोकतंत्र की पवित्रता के लिए हर मतदाता महत्वपूर्ण है। अब सभी दलों का दायित्व है कि वे अपने बूथ कार्यकर्ताओं को सक्रिय करें ताकि बाकी जगहों पर भी मतदाता सूची का शुद्धिकरण हो सके।
मोदी ने चिराग पासवान की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने शानदार नेतृत्व दिखाया। एनडीए के सभी कार्यकर्ताओं ने बेहतरीन तालमेल बनाया। उन्होंने जम्मू कश्मीर के नगरोटा और ओडिशा के लोगों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने कुछ सीटों पर एनडीए की जीत सुनिश्चित की।
अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एनडीए की जीत नहीं बल्कि लोकतंत्र की जीत है। यह चुनाव आयोग पर जनता के भरोसे की जीत है। यही बिहार है जहां कभी माओवादी हावी रहते थे जहां 3 बजे के बाद वोटिंग बंद हो जाती थी लेकिन इस बार लोगों ने बिना डर के उत्सव की तरह मतदान किया। यह परिवर्तन सबके सामने है।

