रायपुर। छत्तीसगढ़ के इंद्रावती टाइगर रिज़र्व से एक ऐसी खोज सामने आई है, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा है। यहां पहली बार स्मूथ-कोटेड ऑटर (Smooth-coated otter) यानी कि ऊदबिलाव की मौजूदगी की फोटोग्राफिक पुष्टि हुई है। यह राज्य के लिए एक ऐतिहासिक पर्यावरणीय खोज मानी जा रही है।
इस दुर्लभ प्रजाति की फोटोग्राफिक पुष्टि हाल ही में IUCN Otter Specialist Group Bulletin में प्रकाशित एक शोध पत्र में की गई है।
इस खोज के बाद छत्तीसगढ़ उन कुछ राज्यों में शामिल हो गया है जहां तीनों भारतीय ऑटर प्रजातियाँ मौजूद हैं। तीनों भारतीय ऑटर प्रजातियों में स्मूथ-कोटेड ऑटर, एशियाई स्मॉल-क्लॉड ऑटर और यूरेशियन ऑटर हैं। छत्तीसगढ़ में इन तीनों ऑटर प्रजातियों का मिलना राज्य की रिवर इकोलॉजी की मजबूती और जैवविविधता को दर्शाता है।
नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी की टीम सूरज, मोइज अहमद, आलोक कुमार साहू, कृष्णेंदु बसाक और मयंक बागची ने इंद्रावती टाइगर रिज़र्व के डिप्टी डायरेक्टर IFS संदीप बल्गा के मार्गदर्शन में
तीन महीने तक फील्ड सर्वे कर यह सफलता हासिल की।
स्थानीय ग्रामीणों की मदद से टीम ने ‘नीर बिल्ली’ नाम से जानी जाने वाली इस प्रजाति की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया। ऑटर को मछली पकड़ते, पानी में खेलते और मगरमच्छ को खदेड़ते हुए देखा गया, जो बेहद दुर्लभ व्यवहार माना जाता है।
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अरुण पांडेय ने द लेंस से कहा कि विलुप्त प्रजाति के स्मूथ कोटेड ऑटर के मिलने के बाद विभाग उसके संरक्षण और संवर्धन के ठोस प्रयास में लग गया है। स्मूथ-कोटेड ऑटर को IUCN रेड लिस्ट में संकटग्रस्त श्रेणी में रखा गया है और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची–I में सूचीबद्ध किया गया है।
इंद्रावती टाइगर रिज़र्व के डिप्टी डायरेक्टर आईएफएस संदीप बल्गा का कहना है कि यह खोज सिर्फ एक प्रजाति की नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की नदियों की सेहत की कहानी है। इसे बचाने के लिए अब ठोस कदम जरूरी हैं।
मुख्य शोधकर्ता सूरज का कहना है कि इंद्रावती नदी तंत्र में इस प्रजाति का मिलना यह बताता है कि जब आवास सुरक्षित रहता है, तो प्रकृति खुद को पुनर्जीवित कर लेती है।
सह-शोधकर्ता मोइज़ अहमद ने कहा, ‘ऊदबिलाव नदियों की सेहत का सूचक प्राणी है। जहां यह जीवित है, वहां की नदी भी जीवित है।’
नदी प्रदूषण, मछली पकड़ने के जाल में फंसना और नदी किनारे मानवीय अतिक्रमण की वजह से इन ऑटर्स को खतरा होता है।

