नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने दिल्ली में खेल ढांचे को नए सिरे से विकसित करने की योजना के तहत ऐतिहासिक जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम को तोड़ने की योजना बनाई है ताकि साल 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी का दावा मजबूत हो सके।
ऐतिहासिक पलों का गवाह रहे जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को तोड़कर उसकी जगह करीब 102 एकड़ की अत्याधुनिक सुविधाओं वाली स्टेट-ऑफ-द-आर्ट स्पोर्ट्स सिटी बनाए जाने का प्लान है। खेल मंत्रालय के सूत्रों ने सोमवार को बताया कि इसके लिए तैयारी की जा चुकी है।
फिलहाल अधिकारी कतर और ऑस्ट्रेलिया में बनाए गए बेहद एडवांस स्पोर्टिंग इकोसिस्टम्स का अध्ययन कर रहे हैं, जिन्हें अहम इंटरनेशनल आयोजन के लिए तैयार किया गया है। अब स्टेडियम की जगह स्पोर्ट्स सिटी लेगी।
खेल मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अभी जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को तोड़कर उसकी जगह नई स्पोर्ट्स सिटी बनाने की योजना केवल कागजों पर ही है। इसकी जगह स्पोर्ट्स सिटी का निर्माण शुरू करने के लिए अभी कोई अंतिम तिथि तय नहीं की गई है।
पहले दूसरे देशों के एडवांस स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को स्टडी करने के बाद रिपोर्ट जमा की जाएगी। इसके बाद भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से उन ढांचों की फिजिबिल्टी का आकलन किया जाएगा। इसके बाद फाइनल प्लान तैयार करके जमा किया जाएगा। इसके मंजूरी मिलने के बाद ही पुनर्विकास की प्रक्रिया शुरू होगी।
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का निर्माण 1982 एशियन गेम्स के लिए किया गया था। करीब 961 करोड़ रुपये की कीमत में बने इस स्टेडियम को तैयार करने में ढाई साल लगे थे। इसके बाद 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए इस स्टेडियम का रिडवलपमेंट किया गया था। करीब 60,000 दर्शकों के बैठने की क्षमता वाले इस स्टेडियम में दिन और रात, दोनों में खेल आयोजन कराने की क्षमता है।
इसमें सभी अहम एथलेटिक्स इवेंट्स और खेलों का आयोजन कराया जा सकता है। यहां पर स्वतंत्रता दिवस से जुड़े समारोह भी होते रहे हैं। यह स्टेडियम भारतीय एथलेटिक्स टीम के लिए करीब 4 दशक से होम वेन्यू की भूमिका निभाता रहा है। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में इसी साल वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 का आयोजन किया गया था। इसके लिए पिछले साल खासतौर पर ट्रैक बिछाया गया था, जिसकी लागत करीब 30 करोड़ रुपये थी।
अहमदाबाद में स्टेट-ऑफ-द-आर्ट मल्टी डिस्पिलिन स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का निर्माण हाल ही में किया गया है। सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के अंदर ही दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर है, जहां ज्यादातर अहम मुकाबले अब बीसीसीआई करा रहा है।
बताया जा रहा है कि दिल्ली की स्पोर्ट्स सिटी में भी इसी तर्ज पर क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, एथलेटिक्स, टेनिस और बैडमिंटन समेत कई अन्य खेलों के आयोजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएंगी।
प्रगति मैदान बन चुका है भारत मंडपम
यह पहली बार नहीं है जब जगह और नाम में बदलाव किया गया है। मोदी सरकार में इससे पहले प्रगति मैदान का भी नाम बदला जा चुका है। जिसे अब भारत मंडपम के नाम से जाना जा रहा है, जहां जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था।
पहले एग्जीबिशन ग्राउंड के रूप में मशहूर इस जगह को प्रगति मैदान नाम स्वतंत्रता के रजत जयंती वर्ष 1972 में उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिया था। उसी साल यहां एशिया 72 प्रदर्शनी आयोजित की गई थी जिसका उद्घाटन इंदिरा ने किया था।
इसके बाद राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मेला स्थल के तौर पर प्रगति मैदान देश विदेश में मशहूर हो गया। एक तरह से यह दिल्ली की शिनाख्त बन चुका था। अब आइटीपीओ प्रगति मैदान के पूरे परिसर को भारत मंडपम नाम दे दिया है।

