रायपुर। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल (Shyam Bihari Jaiswal) के खिलाफ सोशल मीडिया पर सक्रिय पूर्व भाजपा नेता देवेंद्र गुप्ता के खिलाफ पुलिस एफआईआर नहीं होने के बाद कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है। स्वास्थ्य मंत्री के समर्थक चिरमिरी के भाजपा नेता द्वारिका जायसवाल ने चिरमिरी कोर्ट में यह परिवाद लगाया है।
इस पर कोर्ट ने पुलिस को इस मामले में जांच प्रतिवेदन 15 नवंबर तक कोर्ट में पेश करने के लिए कहा गया है। अब चिरमिरी पुलिस कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच करेगी।
कोर्ट में लगाए आवेदन में देवेंद्र गुप्ता के पोस्ट को झूठा, अपमान जनक और मानहानि कारक पोस्ट बताया गया है। इसी संबंध में चिरमिरी थाना में पहले भी भाजपा नेता की तरफ से शिकायत कर एफआईआर की मांग की गई थी। शिकायत की जांच के बाद कोई एफआईआर नहीं होने पर भाजपा नेता की तरफ से कोर्ट मे परिवाद लगाया गया है।
भाजपा नेताओं द्वारिका यादव और चिरमिरी महापौर राम नरेश राय ने इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर पुलिस पर कार्रवाई नहीं करने और कोर्ट से जांच के आदेश की बात कही गई। इसके अलावा भाजपा नेताओं ने देवेंद्र गुप्ता को स्वास्थ्य मंत्री के अपमान का दोषी बताया गया है।
दरअसल, प्रदेश में अमानत दवाओं की बिक्री और स्वास्थ्य विभाग की गड़बड़ियों को लेकर देवेंद्र गुप्ता सोशल मीडिया में लगातार पोस्ट कर रहे हैं। देवेंद्र अपने फेसबुक पेज पर विभाग की हर गड़बड़ियों के लिए स्वास्थ्य मंत्री को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए आरोपों को लेकर देवेंद्र गुप्ता ने एक बार फिर सोशल मीडिया में पोस्ट किया। देवेंद्र गुप्ता ने लिखा, ‘स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जयसवाल के निर्देश पर मेरे खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई के लिए हर संभव प्रयत्न हो रहे हैं।’
देवेंद्र ने आगे लिखा, ‘इस संबंध में कल जिला भाजपा कार्यालय, चिरमिरी में महापौर रामनरेश राय, जिला भाजपा महामंत्री द्वारिका जायसवाल व मंत्री जी के करीबियों ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मुझे मंत्री के अपमान का आरोपी करार दिया।’
पुलिस में की गई शिकायत पर एफआईआर नहीं होने पर अपने पोस्ट में पूर्व भाजपा ने आगे लिखा, ‘मेरा मानना है कि इनकी शिकायत के पश्चात जांच में पुलिस को लगा होगा कि मेरे द्वारा लिखी गई सारी बातें अभिव्यक्ति की आजादी ही है।’
देवेंद्र ने लिखा, ‘वैसे भी एक लोकसेवक की कारगुजारियों पर जनता उंगली उठा ही सकती है। शायद इसलिए पुलिस ने अपराध दर्ज नहीं किया था। आखिरकार उन्हें भी तो अपनी, अपने विभाग की साख बचाए रखनी है।’
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