“सम्राट चौधरी कितनी छोटी मानसिकता के इंसान हैं, ऐसे बयान पर तो कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। आप किसी के पेशे को गाली की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते। उन्होंने बहुत गलत बोला है, अगर नाचना-गाना गलत है, तो अमिताभ बच्चन भी नाचते हैं, उन्हें भी ‘नचनिया’ कहिए।”
यह कहना है, जन सुराज पार्टी के टिकट पर करगहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे भोजपुरी स्टार रितेश पांडे का। पांडे ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी द्वारा मशहूर एक्टर-सिंगर खेसारी लाल यादव को ‘नचनिया’ कहकर संबोधित करने पर पलटवार किया है। गौरतलब है कि खेसारी इस बार राजद के टिकट पर छपरा से चुनाव लड़ रहे हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव-2025 में राजनीति और सिनेमा का दिलचस्प संगम देखने को मिल रहा है। कई फिल्मी सितारे इस बार चुनावी मैदान में हैं। कोई प्रत्याशी के रूप में, तो कोई प्रचारक बनकर। इसमें खेसारी लाल यादव,रितेश पांडे, मैथिली ठाकुर एवं अन्य शामिल हैं। आज हम उन विधानसभा सीट की बात करेंगे, जहां से इन सेलिब्रिटी को टिकट दिया गया है।
नेता नहीं, बेटा बनने आया हूं
छपरा विधानसभा क्षेत्र…साल 2005 के बाद से छपरा सीट पर या तो जदयू या बीजेपी का कब्जा रहा है, जो एनडीए के दबदबे को दिखाता है। ऐसी परिस्थिति में तेजस्वी यादव छपरा विधानसभा सीट को हर हाल में जीतना चाहते हैं। ऐसे में उनको एक बेहतरीन चेहरे की तलाश थी, जो खेसारी लाल यादव पर आकर खत्म हुई।
शुरू में खेसारी लाल यादव से पहले उनकी पत्नी चंदा देवी के चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन कुछ कागजात में दिक्कत होने की वजह से वह नहीं लड़ सकती, फिर तेजस्वी ने खेसारी लाल यादव को छपरा से उतार दिया।
छपरा जिला के स्थानीय निवासी एवं पत्रकार परमवीर सिंह कहते हैं,, ‘भोजपुरी दुनिया में अभी पवन सिंह और खेसारी यादव बहुत मायने रखते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में पवन सिंह निर्दलीय जब लड़े तो वहां का पूरा समीकरण बिगड़ गया था।
स्वाभाविक इस बार भी होगा। युवाओं का वोट खेसारी यादव को मिलेगा। खेसारी यादव का बयान समाजवाद और बहुजन बात को लेकर मिलता-जुलता है। इस वजह से जातीय समीकरण भी थोड़ा इफेक्ट डालेगा।’
सारन जिला स्थित मढ़ौरा में महिलाएं, बच्चे और युवा छतों, बालकनियों और सड़कों पर खेसारी लाल यादव की एक झलक पाने के लिए बेताब दिखे। यहां लोगों को यह कहते सुना गया, हम लोग खेसारी लाल यादव को देखने आए हैं। जिन्हें मोबाइल पर देखते हैं..उसे अपनी आंखों से देखेंगे।
मढ़ौरा में राजद प्रत्याशी और पूर्व मंत्री जितेंद्र कुमार राय के समर्थन में खेसारी लाल ने रोड शो किया। रोड शो के दौरान उत्साहित समर्थक ‘खेसारी लाल यादव जिंदाबाद’ और ‘जितेंद्र राय विजयी हो’ के नारे लग रहे थे। भोजपुरी सुपरस्टार की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे मार्ग पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। छपरा के अलावा अन्य सीटों पर भी खेसारी लाल यादव प्रचार कर रहे हैं।
चुनाव लड़ने का इरादा कैसे कर लिया? इस सवाल पर खेसारी लाल यादव कहते हैं, ‘मैं कोई परंपरागत नेता नहीं हूँ, मैं आप जनता जनार्दन का बेटा हूं, खेत-खलिहान का लाल हूं, हर तबके की आवाज़ हूं और युवा भाइयों का जोश हूं। मेरे लिए राजनीति कोई कुर्सी की दौड़ नहीं है, ये एक ज़िम्मेदारी है, छपरा के हर घर तक विकास पहुंचाने की, हर दिल की आवाज़ बनने की।‘
खेसारी लाल यादव को प्रत्याशी घोषित करने के बाद भोजपुरी स्टार एवं सांसद रवि किशन और निरहुआ ने उनके विरोध में बयान भी दिया है।
जमीनी हालात देखें तो खेसारी जहां जा रहे हैं…जन-सैलाब उमड़ जा रहा है। क्राउड कंट्रोल करने में पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की हालत खराब हो जा रही है…खेसारी के प्रति जनता का ये क्रेज अब सवाल खड़े करता है। सवाल ये की क्या लालू के किले पर आरजेडी को फिर से कब्जा दिला सकेंगे खेसारी लाल यादव?
लाखों रुपया फीस लेने वाली मैथिली राजनीति में लंबी पारी नहीं खेल पाएगी?

मशहूर लोक और भक्ति गायिका मैथिली ठाकुर दरभंगा की अलीनगर सीट से बिहार विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं। पार्टी के इस फैसले और मैथिली ठाकुर के इस कदम का स्वागत से ज्यादा विरोध हो रहा है। और यह विरोध समाज में ही नहीं, बल्कि उस पार्टी के भीतर से भी आ रहा है जिसकी वह सदस्य बनी हैं।
राजनीति में आने के बाद मैथिली ठाकुर ने बयान दिया है, कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित हैं और नीतीश कुमार से प्रेरित होकर उनके सहयोग के लिए खड़ी हैं। वह कहती हैं, ‘राजनीतिक दल में शामिल होने का मतलब यह नहीं है कि मैं नेता बनने आई हूं। मैं समाज सेवा के लिए आई हूं। मैं मिथिला की बेटी हूं और मेरे प्राण मिथिलांचल में बसते हैं।‘
वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्रा लिखते हैं, ‘मैथिली ठाकुर बीजेपी में शामिल हो गईं। अलीनगर से टिकट भी मिलेगा। उम्मीद करते हैं इनके पिता मैथिली को स्वतंत्र होकर राजनीति करने देंगे। लोगों से नहीं कहेंगे कि मेरी बेटी घर से बाहर पैर रखने का एक लाख लेती है। जनप्रतिनिधि बनना जिम्मेदारी का काम होता है।‘
मैथिली के गांव वालों ने कुछ साल पहले छठ पूजा में प्रोग्राम कराने के लिए उसको बुलाना चाहा तो पांच लाख रुपए डिमांड की गई थी। गांव वाले दो लाख तक दे रहे थे,फिर भी मैथिली ने आने से मना कर दिया था। सोशल मीडिया पर उनके क्षेत्र के लोगों के द्वारा कही गई यह बात वायरल हो रही है। अभी चुनाव प्रचार के दौरान मैथिली जगह-जगह गाना सुना रही हैं।
राजनीति, जन सरोकार एवं अन्य मुद्दों पर लिखने वाले विजय कहते हैं कि, मैथिली ठाकुर का विरोध इसलिए क्योंकि मैथिली ठाकुर सत्ता के तरफ से चरण में लोट कर चुनाव लड़ रही है। जहां पर तानाशाही सत्ता लोगों का खाना-पीना उठना-बैठना तय कर रही है, क्रूरता की सीमा पार कर रही है , वहां अगर कोई कलाकार सत्ता के साथ चरण चाटुकार होगा तो विरोध होगा ही।
उससे भी बुरा ये लगा कि मैथिली ठाकुर अब मंच से कह रही हैं कि मैं जीत गई, तो अलीनगर का नाम बदलेगा। खुद ये वीडियो उसके भाई अयाची ठाकुर ने शेयर किया है। सोचिए क्या स्तर है इनका। मैथिली ठाकुर की उम्र 25 साल और उसके भाई की उम्र 20 साल है मुश्किल से। वह कहते हैं, बस इसी विचारधारा का विरोध था। मैथिली ठाकुर भाजपा से चुनाव विकास से प्रभावित हो कर नहीं लड़ रही हैं, बल्कि उसका धर्म और उसकी ब्राह्मण जाति उसे भाजपा से लड़ा रही है।
प्रोफेसर हेमंत कुमार झा कहते हैं कि, जब चुनाव होते हैं बिहार में तो विश्लेषक गण एक बात कहना नहीं भूलते कि बिहार के वोटर बहुत मेच्योर होते हैं। 1990 में बिहार प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश की सबसे निचली पंक्ति में था, 2005 में भी सबसे नीचे था और…अब 2025 में भी प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश में सबसे पीछे ही है। लेकिन, बिहार के वोटरों की मैच्योरिटी और बिहारी मजदूरों के जीवट की प्रशंसा हर कोई करता है। यह जीवट और यह मैच्योरिटी बिहार को बदलने में कारगर क्यों साबित नहीं होती? यह अंतर्विरोध ही बिहार को परिभाषित करता है।
 
					

 
                                
                              
								 
		 
		 
		