लेंस डेस्क। हाईवे पर दौर रही सजी धजी हर बस से जरूरी नहीं कि सुरक्षित आर सुगम यात्रा हो। हाल ही आंध्र प्रदेश के कुरनूल में हुए बस हादसे की जांच में ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए जो निजी बसों की फिटनेस और सुरक्षा मानकों पर सवाल उठा रहे हैं। इस भीषण हादसे में 20 यात्रियों की मौत हो गई थी।
जांच से पता चला है कि हादसे का शिकार हुई बस मूल रूप से केवल सिटिंग के लिए थी, लेकिन ज्यादा मुनाफे के चक्कर में इसे गैरकानूनी तरीके से स्लीपर बस में तब्दील कर दिया गया था। दस्तावेजों की पड़ताल में यह खुलासा हुआ कि बस के पास वैध फिटनेस प्रमाणपत्र (31 मार्च 2027 तक), बीमा और रोड टैक्स तो थे, लेकिन इसे बिना तकनीकी मंजूरी या सुरक्षा नियमों का पालन किए स्लीपर कोच में बदला गया था।
जांच में सामने आया कि वेमुरी कावेरी ट्रैवल्स की इस बस ने कई परिवहन नियमों का उल्लंघन किया था। बस को बिना अनुमति के सीटिंग से स्लीपर कोच में बदला गया था और इसे संदिग्ध दस्तावेजों के साथ अंतरराज्यीय मार्गों पर चलाया जा रहा था।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, DD01 N9490 नंबर की यह बस वेमुरी विनोद कुमार के स्वामित्व में थी। बस को मूल रूप से 2 मई 2018 को दमन और दीव में खरीदा गया था और बाद में 29 अप्रैल 2025 को ओडिशा के रायगड़ा आरटीओ में जी बिजया लक्ष्मी के नाम पर पंजीकृत किया गया। इस पंजीकरण का पता अधिकारियों को संदिग्ध प्रतीत हो रहा है।
रायगड़ा के परिवहन अधिकारियों का कहना है कि उन्हें बस के स्लीपर में परिवर्तन की कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर ही मंजूरी दी थी।
हालांकि, परिवहन विभाग के सूत्रों का दावा है कि कई निजी बस मालिक अनधिकृत तरीके से वाहनों में बदलाव करते हैं, और कुछ मामलों में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों की साठगांठ भी सामने आई है।
एपीएसआरटीसी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक च. द्वारका तिरुमला राव ने कहा कि बस बॉडी का निर्माण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें वजन संतुलन, आपातकालीन निकास और अग्नि सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का ध्यान रखना जरूरी है। उन्होंने बताया कि निजी बस मालिक सीटों की दूरी कम करके और अतिरिक्त बर्थ जोड़कर बस के मूल डिजाइन के साथ छेड़छाड़ करते हैं, जिससे वाहन असुरक्षित और असंतुलित हो जाता है। इससे यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाला जा रहा है।
मोबाइल फोन की बैटरियों में हुआ धमाका
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हैदराबाद के एक व्यापारी ने बस में 234 स्मार्टफोन्स का एक पार्सल रखवाया था, जिसकी कीमत लगभग 46 लाख रुपये थी। यह पार्सल बंगलूरू में एक ई-कॉमर्स कंपनी को जाना था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब बस में आग लगी, तो एक जोरदार धमाका सुना गया। फोरेंसिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह धमाका स्मार्टफोन्स की बैटरियों के फटने से हुआ, जिसने आग को और भयावह बना दिया।
आंध्र प्रदेश अग्नि सेवा विभाग के महानिदेशक पी वेंकटरमन ने बताया कि स्मार्टफोन्स की बैटरियों के साथ-साथ बस के एयर कंडीशनर की बैटरी में भी विस्फोट हुआ, जिससे आग और तेजी से फैली। उन्होंने कहा कि आग इतनी भीषण थी कि बस के फ्लोर की एल्युमीनियम शीट तक पिघल गई।
उनके अनुसार, बस ने एक बाइक को टक्कर मारी, जिसके बाद बाइक को घसीटने से पेट्रोल सड़क पर बिखर गया। चिंगारी पड़ते ही बस में आग लग गई, जो पहले सामने के हिस्से में शुरू हुई और फिर तेजी से पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया।
वेंकटरमन ने यह भी बताया कि बस की संरचना में खामियां थीं। वजन कम करने और तेज गति के लिए बस के फ्लोर में एल्युमीनियम की शीट का इस्तेमाल किया गया था, जो लोहे की होनी चाहिए थी। इस कारण आग से हुए नुकसान ने बचाव कार्य को और जटिल बना दिया, जिससे हादसे की भयावहता बढ़ गई।

