जगदलपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से आयोजित एक समारोह में आज जगदलपुर में 208 नक्सलियों से सरेंडर कर दिया। यह सरेंडर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और अरुण साव मौजूदगी में कराया गया।
इन आयोजन को पूना मारगेम यानी पुनर्वास से पुनर्जीवन नाम दिया गया था। सरेंडर करने वालों में बड़ा नाम सेंट्रल कमेटी मेंबर रूपेश उर्फ सतीश का है। सरेंडर के बाद नक्सलियों ने हथियार नीचे रख दिए और हाथ में गुलाब का फूल और संविधान प्रति थाम ली।
जगदलपुर में आयोजित इस समारोह में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे न केवल बस्तर और छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने आत्मसमर्पण करने वालों को बधाई दी और कहा कि सरकार की पुनर्वास नीति के तहत उन्हें हर संभव सहायता दी जाएगी।
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा नक्सलवाद के खात्मे के लिए तय की गई 31 मार्च 2026 की समयसीमा के तहत यह सामूहिक आत्मसमर्पण नक्सल विरोधी अभियान की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
सीएम साय ने क्या कहा?

आत्मसमर्पण समारोह के बाद मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नक्सलवाद ने क्षेत्र में लंबे समय तक अशांति फैलाई, लेकिन अब सरकार ने इसे खत्म करने का संकल्प लिया है। उन्होंने बताया कि पुनर्वास नीति के जरिए भटके हुए लोगों को मुख्यधारा में लाने की अपील की गई थी, जिसका आज सकारात्मक परिणाम देखने को मिला।
आत्मसमर्पण करने वालों को तीन साल तक आर्थिक सहायता, रोजगार के अवसर और नई उद्योग नीति के तहत विशेष प्रावधान दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर अब तेजी से विकास की राह पर बढ़ेगा।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि माओवादी विचारधारा को त्यागकर मुख्यधारा में शामिल होने वाले लोगों का स्वागत है। उन्होंने बताया कि 153 हथियारों के साथ 208 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें कई लोग पहले माओवादी संगठन में सक्रिय थे। शर्मा ने कहा कि इन लोगों के लिए पुनर्वास नीति की जानकारी दी जा रही है और सरकार उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं सहित हर तरह की मदद करेगी।
110 महिलाओं और 98 पुरुषों का सरेंडर
आत्मसमर्पण करने वालों में 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं, जो प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन के विभिन्न स्तरों से जुड़े थे।
इन लोगों ने 153 हथियार जमा किए, जिनमें 18 एके-47, 1 यूबीजीएल, 23 इंसास राइफल, 17 एसएलआर, 4 कार्बाइन, 36 .303 राइफल और अन्य बंदूकें शामिल हैं।
आत्मसमर्पण करने वालों में कई प्रमुख नक्सली नेता भी शामिल हैं, जिनमें रूपेश उर्फ सतीश, भास्कर उर्फ राजमन मंडावी, रनिता, राजू सलाम, धन्नू वेट्टी उर्फ संटू और रतन एलम जैसे नाम हैं, जो अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर में लंबे समय तक सक्रिय रहे। आत्मसमर्पण के बाद मांझी चालकी समाज ने इन लोगों को अपने समुदाय में शामिल किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने क्या कहा था

इस सरेंडर कार्यक्रम से एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अबूझमाड़ और उत्तरी बस्तर को नक्सली आतंक से मुक्त घोषित कर दिया था। अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट करते हुए इसकी घोषणा की थी।
वहीं महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने बुधवार को छह करोड़ रुपये के इनामी माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू उर्फ अभय ने 60 साथियों के साथ बंदूक छोड़ भारतीय संविधान की किताब थामी। इनसे करीब 50 हथियार भी मिले हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि 31 मार्च 2026 तक भारत नक्सल मुक्त हो जाएगा।
तस्वीरों में देखें सरेंडर




