रायपुर। रविवार को जिस समय छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में पीएम सूर्य घर योजना के कार्यान्वयन में कोरबा के कलेक्टर अजीत वसंत की तारीफ कर रहे थे, उसी समय कलेक्टर के खिलाफ पिछले कई दिनों से मोर्चा खोले हुए बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर की ओर से फिर एक चिट्ठी जारी हुई जिसमें अजीत वसंत पर लगे आरोपों की वजह से केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने मुख्य सचिव को दिल्ली तलब किया है।
कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में कोरबा कलेक्टर की तारीफ ने बीजेपी में ही हलचल मचा दी थी और तारीफ की खबर को तुरंत ही मीडिया ग्रुप्स से डिलीट करवाया गया।
लेकिन, उसके कुछ ही देर में ननकी राम कंवर के करीबियों ने उनकी ऐसी दो पुरानी चिट्ठियां वायरल कर दीं जिनमें से एक में कोरबा कलेक्टर पर गंभीर आरोप हैं।

मुख्य सचिव को एनसीएसटी का 6 अक्टूबर को भेजा गया नोटिस है, जिसमें कोरबा जिले में फ्लोरामेक्स फर्जी कंपनी के 40 हजार महिलाओं के साथ ठगी से जुड़ी थी, जिसमें ननकी राम कंवर ने कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत पर भ्रामक और झूठी जानकारी देने का आरोप लगाया था।
NCST ने राज्य सरकार को गलत और भ्रामक रिपोर्ट देने के आरोप में मुख्य सचिव को 16 अक्टूबर को दिल्ली में उपस्थिति के लिए नोटिस जारी किया है।
दरअसल, एनसीएसटी ने ननकी राम कंवर की शिकायत पर प्रकरण दर्ज किया। मुख्य सचिव के नाम से यह पत्र 6 अक्टूबर 2025 का है, जिसमें मुख्य सचिव को स्पष्ट आदेश में लिखा गया है कि आयोग ने स्पष्ट किया है कि गलत रिपोर्ट के कारण शासन-प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं।
आयोग के अनुसंधान अधिकारी चेतन कुमार शर्मा की तरफ से जारी पत्र में लिखा गया है कि एनसीएसटी ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 क के अधीन प्रदत्त शक्तियों के तहत इस मामले की जांच करने का निर्णय लिया है। आयोग के अध्यक्ष अंतर सिंह आर्य ने इस मामले की जांच के लिए की जाने वाली कार्रवाई के लिए आयोग मुख्यालय में 16 अक्टूबर को सुनवाई निर्धारित की है।
इस पत्र में यह भी स्पष्ट लिखा गया है कि आपसे अनुरोध है कि निर्धारित तिथि एवं समय पर उक्त मामले से संबंधित संपूर्ण तथ्यों और सभी दस्तावेजों के साथ व्यक्तिगत रूप से अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित हों।
पत्र में आगे लिखा गया है कि अगर आप इस सुनवाई में उपस्थित नहीं होते हैं तो आयोग के समक्ष आपकी उपस्थिति को बाध्यकारी बनाने के लिए, आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 क के खंड (8) क के अधीन प्रदत्त सिविल न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है।
मुख्य सचिव को लिखे इस पत्र की प्रतिलिपि ननकी राम कंवर को भी भेजी गई है।
इस संबंध में कंवर ने कहा, ‘कलेक्टर की गलती का खामियाजा मुख्य सचिव को भुगतना पड़ रहा है। यह आदिवासी समुदाय के साथ धोखा है और शासन की छवि धूमिल कर रहा है। सरकार को तुरंत कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।’
यह मामला छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के लिए असहज साबित हो रहा है। पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर, जो खुद भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी चेहरे हैं, ने हाल ही में कोरबा कलेक्टर के खिलाफ प्रदर्शन की चेतावनी दी थी, जिसके बाद राजनीतिक तनाव बढ़ गया था। विपक्षी कांग्रेस ने इसे सरकार की नाकामी बताते हुए हमला बोला है।
इस मामले में जब कलेक्टर अजीत वसंत को फोन लगाया गया तो उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इंकार कह दिया। द लेंस से बातचीत में अजीत वसंत ने कहा – ‘No Comment’।
क्या है फ्लोरामैक्स वसूली कांड?
कोरबा के कोतवाली थाने में फ्लोरामैक्स नामक कंपनी द्वारा लगभग 40,000 महिलाओं के साथ सौ करोड़ रुपये का कथित घोटाला किया गया है। फ्लोरामैक्स कंपनी ने कोरबा जिले की ग्रामीण और शहरी महिलाओं को आकर्षक रिटर्न का लालच देकर निवेश कराया।
कंपनी ने शुरू में कुछ भुगतान किए, लेकिन बाद में पैसे डुबो दिए। पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने इस ठगी को लेकर केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में लगभग 40,000 महिलाओं को निशाना बनाए जाने और सौ करोड़ रुपये के निवेश की बात कही गई।
आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 1 जनवरी 2025 को छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया और कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत से विस्तृत रिपोर्ट मांगी। लेकिन, ननकी राम कंवर के आरोपों के अनुसार कलेक्टर अजीत वसंत ने अपनी रिपोर्ट में वास्तविकता को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।
पूर्व गृह मंत्री के आरोपों के अनुसार कलेेक्टर ने केवल 12 करोड़ रुपये के निवेश और 30,000 महिलाओं को प्रभावित बताते हुए राज्य सरकार को भेजा, जबकि एफआईआर में ही 120 करोड़ रुपये का उल्लेख है।
राज्य सरकार ने इस रिपोर्ट को बिना किसी जांच-पड़ताल के ही केंद्रीय आयोग को सौंप दिया, जिससे मामला और उलझ गया। ननकी राम कंवर ने आयोग को सही आंकड़ों के साथ अवगत कराते हुए कहा कि कलेक्टर की यह मनगढ़ंत और भ्रामक जानकारी न केवल राज्य को गुमराह करने वाली है, बल्कि आदिवासी महिलाओं के हितों की अनदेखी भी की है।
नए मुख्य सचिव को भी ब्रांडेड दवाइयों की खरीदी की शिकायत
दूसरी तरफ पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले की शिकायत नए मुख्य सचिव विकास शील को की है। श्रम विभाग में छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी बीमा निगम द्वारा ब्रांडेड दवाइयों की खरीदी व लिखने का मुद्दा उठाया है। पूर्व मुख्य सचिव अमिताभ जैन और श्रम सचिव हिमशिखर गुप्ता को पहले शिकायत की थी। लेकिन, इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो नए मुख्य सचिव को भी शिकायत की है।
ननकी राम कंवर ने आरोप लगाया है कि खरीदी पर रोक और डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन में इन दवाईयों को नहीं लिखने के आदेश के बाद भी 50 करोड़ रुपए से अधिक की दवाईयां खरीद ली गई हैं। इसमें करीब 30 करोड़ का भ्रष्टाचार किया गया है। इस पत्र में उन ब्रांडेड दवाइयों की सूची भी संलग्न की गई है, जिसे मना करने के बाद भी डॉक्टर पर्ची में लिख रहे हैं।
श्री कंवर ने लिखा कि श्रम विभाग के छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी बीमा निगम में पंजीकृत श्रमिकों और उनके परिवार वालों का ईएसआईसी के अस्पताल और क्लीनिक में मुफ्त इलाज किया जाता है। इसके लिए ईएसआईसी दवाओं की खरीदी करता है। पिछले कई वर्षों से श्रम विभाग और ईएसआईसी के अफसर, कर्मचारी और दवा निर्माता मिलकर ब्रांडेड दवाईयों की खरीदी कर 30 करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
अपने पत्र में श्री कंवर ने साफ तौर पर लिखा है कि ब्रांडेड दवाओं की खरीदी पर केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से रोक लगाई गई है। इसके बावजूद निगम ब्रांडेड दवाओं की खरीदी कर भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
श्री कंवर ने मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी में बताया है कि प्रदेश में निगम की 40 क्लीनिक हैं। इनका काम पंजीकृत श्रमिकों और उनके परिवार वालों को मुफ्त सुविधाएं और दवाइयां उपलब्ध कराना है। इस सुविधा के लिए हर साल करीब 50 करोड़ की दवाईयां खरीदी जाती हैं, जो जेनेरिक दवाईयाें से 60 से 70 फीसदी ज्यादा कीमत पर मिलती हैं।
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