लेंस डेस्क। अमेरिकी दवा कंपनी Eli Lilly ने भारत में अपनी विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिए एक अरब डॉलर (लगभग 8880 करोड़ रुपये) से अधिक के निवेश की घोषणा की है। कंपनी ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह निवेश अगले कुछ वर्षों में भारतीय दवा निर्माताओं के साथ सहयोग के माध्यम से किया जाएगा।
एली लिली ने यह घोषणा ऐसे समय में की है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी और दवाओं पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया है। पिछले महीने ही लिली ने वर्जीनिया में एक नई सुविधा के लिए 5 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की थी।
कंपनी की ओर से जारी बयान के मुताबिक वह हैदराबाद में यूनिट डालने जा रही है। इस नए केंद्र का मुख्य कार्य पूरे भारत में कंपनी के अनुबंध-आधारित विनिर्माण नेटवर्क की निगरानी और तकनीकी सहायता प्रदान करना होगा।
एली लिली इंटरनेशनल के अध्यक्ष पैट्रिक जॉनसन ने इस निवेश को कंपनी की वैश्विक रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, “हम अपनी वैश्विक दवा निर्माण और आपूर्ति क्षमता को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं।”
आपको बता दें कि वर्तमान में कंपनी भारत में कोई अपना विनिर्माण संयंत्र संचालित नहीं करती, बल्कि भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर काम करती है जो अनुबंध के आधार पर जटिल दवाएं, इंजेक्शन और शीशियां बनाती हैं।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने कहा कि वह भारत में अनुबंध निर्माताओं के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रही है, हालांकि इस बारे में विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई। यह निवेश ऐसे समय में आया है जब वैश्विक दवा कंपनियां अमेरिका में अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं।
जल्द शुरू होगी भर्ती
कंपनी ने बताया कि नए केंद्र के लिए भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू होगी, जिसमें इंजीनियर, रसायनज्ञ, विश्लेषण वैज्ञानिक, गुणवत्ता नियंत्रण और आश्वासन विशेषज्ञों के साथ-साथ प्रबंधकों की नियुक्ति होगी। यह कदम न केवल भारत में दवाओं की आपूर्ति को बेहतर बनाएगा, बल्कि उच्च-कुशल रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी समर्थन मिलेगा।
इसी साल कंपनी ने भारत में मोटापे के इलाज के लिए अपनी चर्चित दवा ‘मोंजारो’ को लॉन्च किया था। साथ ही, डेनमार्क की कंपनी नोवो नॉर्डिस्क की दवा ‘वेगॉवी’ के लॉन्च से मोटापे के उपचार को लेकर जागरूकता तेजी से बढ़ी है।
कई भारतीय कंपनियां ‘वेगॉवी’ के मुख्य रासायनिक घटक ‘सेमाग्लूटाइड’ का सस्ता संस्करण लॉन्च करने की योजना बना रही हैं, क्योंकि अगले साल इसका पेटेंट खत्म हो रहा है। इस संभावित प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए, लिली अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर बाजार में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है।