रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की तरफ से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में लगाई गई याचिका खारिज कर दी गई है। चैतन्य ने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण विंग (EOW) की गिरफ्तारी से बचने अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। इस जमानत याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद रायपुर कोर्ट से ईओडब्ल्यू ने शराब घोटाला केस में चैतन्य को गिरफ्तार कर लिया।
ईओडब्ल्यू ने कोर्ट में चैतन्य को गिरफ्तार करने का आवेदन लगाया था। इस पर कोर्ट ने हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद उन्हें ईओडब्ल्यू की कस्टडी में दे दिया। चैतन्य को कोर्ट ने 6 अक्टूबर तक ईओडब्ल्यू की कस्टडी में सौंपा है।
चैतन्य को बुधवार को स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था। ईओडब्ल्यू ने चैतन्य की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए ब्यूरो की कस्टडी में दे दिया।
इससे पहले भी ईओडब्ल्यू की तरफ से कोर्ट में प्रोडक्शन वारंट के लिए आवेदन लगाया गया था। उस समय हाई कोर्ट में याचिका लगी होने की वजह से रिमांड नहीं मिली। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, तो स्पेशल कोर्ट ने भी जमानत याचिका खारिज करते हुए चैतन्य को रिमांड पर सौंपने का आदेश दिया।
इससे पहले हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष ने कोर्ट में जमानत का विरोध किया था। वकील ने कहा था कि चैतन्य की वजह से सरकार को करोड़ों की क्षति पहुंचाई है। इस पर काेर्ट ने चैतन्य को गंभीर अपराधों में संलिप्त मानते हुए अग्रिम जमानत से इंकार कर दिया।
दरअसल, शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED ने चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को गिरफ्तार किया था। ईडी ने चैतन्य के खिलाफ चार्जशीट भी पेश कर दी है। ईडी के आरोपों के मुताबिक, शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं। शराब घोटाले से मिले ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया।
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