[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
तो क्‍या डूबने वाला है शेयर बाजार ! अब क्‍या करें?
एमपी सरकार ने गेहूं-धान की सरकारी खरीदी से हाथ खींचे, किसानों में मचा हड़कंप
जिस दवा के उपयोग से डॉक्टरों ने सालभर पहले किया था इंकार, उस पर अब CGMSC ने लगाई रोक
नक्सल संगठन ने माओवादी कमलू पुनेम को बताया ‘अवसरवादी’ और ‘डरपोक’, कहा – पार्टी के 2 लाख लेकर भागा
स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ मुद्दे उछालने वाले पूर्व भाजपा नेता के विरुद्ध समर्थक पहुंचे अदालत
तारीख पर तारीख, उमर खालिद और शरजील के हिस्से में आज भी जेल की छत
शीत कालीन सत्र के पहले दिन पुराने विधानसभा भवन में ‘विदाई सत्र’, फिर बाकी 6 दिन नए भवन में चलेगा पूरा सत्र
पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे की जमानत पर हाईकोर्ट में याचिका, ED को नोटिस, अगली सुनवाई 18 नवंबर को
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने धर्मांतरण रोकने वाले होर्डिंग्स हटाने से किया इंकार, पादरियों के गांव प्रवेश बैन पर PIL खारिज
मंत्री नेताम ने कहा- …तुम्हारा खून बहुत फड़फड़ा रहा है, रक्तदाता युवक को लगा बुरा, वापस कर दिया प्रशस्ति पत्र
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.
देश

प्राइवेट कंपनियों ने चुनाव आयोग के वोटर डाटा तक पहुंच बनाई, द रिपोर्टर्स कलेक्टिव का सनसनीखेज खुलासा

आवेश तिवारी
आवेश तिवारी
Published: September 19, 2025 12:28 PM
Last updated: September 19, 2025 4:58 PM
Share
SHARE
The Lens को अपना न्यूज सोर्स बनाएं

नई दिल्ली। चुनाव आयोग नियमों के विरुद्ध राज्य सरकारों और प्राइवेट एजेंसियों को भी भारतीय मतदाताओं के जनसांख्यिकीय विवरण, तस्वीरें, पते और फ़ोन नंबरों वाला एक डेटाबेस राज्य सरकारों को उपलब्ध कराता रहा है सिर्फ़ इतना ही नहीं निजी कंपनियों तक इन डाटा बेस तक पहुंच है। महत्वपूर्ण है कि चुनाव आयोग पर मतदाताओं के डाटा की सुरक्षा की जिम्मेदारी है और इस डाटा का उपयोग वह केवल चुनाव के लिए करा सकता है।

The Reporters’ Collective ने आयुषी कर द्वारा लिखी गई एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि चुनाव आयोग ने कम से कम एक मामले में तेलंगाना राज्य सरकार के साथ मतदाता डेटा, जिसमें तस्वीरें भी शामिल थीं, साझा किया था। उस समय तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब भारत राष्ट्र समिति) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इस डेटा के साथ काम करने के लिए निजी फर्मों को नियुक्त किया था। यह खुलासा उस वक्त हुआ है जब कमीशन ने अपनी वेबसाइट से तमाम डाटा की ओपन एक्सेस बंद कर दी है वहीं सीसीटीवी फुटेज महज 45 दिन तक सुरक्षित रहने की बात कर रहा है।

द लेंस से बातचीत में आयुषी कर ने कहा कि यह डाटा सुरक्षा का उल्लंघन करने का गंभीर मामला है जिस पर सुप्रीम कोर्ट भी पूर्व में आदेश जारी कर साफ़ शब्दों में कहा है कि मतदाताओं का डाटाबेस केवल चुनाव में इस्तेमाल किया जा सकता है। आयुषी का कहना था कि तेंलगाना के मामले में पूर्व की टीआरएस सरकार (अब बीआरएस) ने इस डाटाबेस का इस्तेमाल प्रशासनिक कार्यों में किया सिर्फ इतना ही नहीं इस डाटाबेस के इस्तेमाल के लिए पोसाइडेक्स नाम की निजी कंपनी को भी मंज़ूरी दी।

आयुषी का कहना था कि हमने कंपनी से संपर्क करके उन शर्तों को स्पष्ट करने की कोशिश की जिनके तहत उसने चुनाव आयोग के मतदाता डेटाबेस तक पहुँच बनाई थी। कंपनी के दो अधिकारियों ने विरोधाभासी जवाब दिए। पो इडेक्स के प्रबंध निदेशक और भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी, जीटी वेंकटेश्वर राव ने कहा, “इस परियोजना का डिज़ाइन और स्वामित्व तेलंगाना सरकार के पास है। इस एप्लिकेशन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सभी डेटासेट और इस्तेमाल की मंज़ूरी तेलंगाना सरकार द्वारा तय की जाती है। यह एप्लिकेशन सरकार द्वारा अपने डेटा सेंटर में होस्ट किया जाता है।

हमारे पास डेटा एक्सेस नहीं है।”चुनाव आयोग ने किन शर्तों के तहत यह डेटा तीसरे पक्षों के साथ साझा किया, इसका खुलासा नहीं किया गया है। इसके विपरीत, पॉसाइडेक्स के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी वेंकट रेड्डी ने दावा किया, “जहाँ तक मुझे जानकारी है, यह एप्लिकेशन ईसीआई डेटा का उपयोग नहीं करता है।” उन्होंने आगे कहा, “यह ऐप तेलंगाना सरकार के स्वामित्व में है और इसे हमने नहीं, बल्कि किसी अन्य कंपनी ने बनाया है। हमने प्रमाणीकरण को आसान बनाने के लिए केवल एक छोटा सा घटक प्रदान किया है, और यह किसी भी डेटाबेस के साथ इंटरैक्ट नहीं करता है।”

मतदाता सूची, जो चुनाव आयोग द्वारा निगरानी किया जाने वाला एक केंद्रीकृत डेटाबेस है, केवल आयोग की अनुमति से ही देखी जा सकती है।रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने डेटा साझा करने की शर्तों के बारे में चुनाव आयोग को लिखित प्रश्न भेजे थे। प्रकाशन के समय तक चुनाव आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया था।

सक्यू मसूद द्वारा तेलंगाना के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग में दायर एक आरटीआई आवेदन से पता चला है कि 2019 में, हैदराबाद स्थित तकनीकी कंपनी पॉसाइडेक्स टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने पेंशनभोगी लाइव वेरिफिकेशन सिस्टम पर काम किया था। मसूद के अनुरोध के जवाब में उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में पॉसाइडेक्स का एक चालान भी शामिल था, जिसमें राज्य सरकार की विभिन्न सॉफ्टवेयर परियोजनाओं पर किए गए काम का विवरण था, जिसमें पेंशन वेरिफिकेशन सिस्टम भी शामिल था, जो यह पुष्टि करता है कि कोई नागरिक पेंशन पाने के लिए जीवित है या नहीं।

इनवॉइस में बताया गया है कि पोसाइडेक्स ने “इस मॉड्यूल के तहत चार वेब सेवाएँ विकसित की हैं और उन्हें टी-ऐप, चुनाव विभाग (ईपीआईसी डेटा) और पेंशन विभाग डेटा के साथ एकीकृत किया है।” ईपीआईसी डेटा का तात्पर्य चुनाव फोटो पहचान पत्र डेटा या चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए मतदाता सूची से है। टी-ऐप वह एप्लिकेशन है जिसका उपयोग तेलंगाना सरकार पेंशनभोगियों की पहचान वास्तविक समय में सत्यापित करने के लिए करती है।पोसाइडेक्स इस डाटा का इस्तेमाल पेंशनभोगियों द्वारा अपलोड की गई लाइव तस्वीरों की तुलना उनके वोटर आईडी कार्ड की तस्वीरों से करने के लिए कर रह है।

तेलंगाना सरकार द्वारा 2023 में प्रस्तुत एक पावर प्वाइंट परेजेंटेशन , पोसाइडेक्स के इस दावे का खंडन करती है कि यह एप्लिकेशन किसी भी डेटाबेस से इंटरैक्ट नहीं करता है। प्रस्तुति में बताया गया कि कैसे RTDAI , जिसे शुरुआत में पेंशन के लिए विकसित किया गया था, को अन्य कार्यक्रमों में विस्तारित किया गया। 2020 में, मतदाताओं के चेहरे के प्रमाणीकरण के लिए आरटीडीएआई का परीक्षण नगर निगम चुनावों के दौरान दस मतदान केंद्रों पर किया गया था, जिसमें एक डेटाबेस का उपयोग किया गया था जिसमें ईसीआई मतदाता पहचान पत्र से फोटोग्राफिक और जनसांख्यिकीय विवरण शामिल थे।

उसी वर्ष,28 अगस्त, 2025 को, गोपनीयता कार्यकर्ता श्रीनिवास कोडाली ने तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि तेलंगाना सरकार आरटीडीएआई के माध्यम से अपने चेहरे की पहचान करने वाले अनुप्रयोगों के लिए मतदाता सूची की तस्वीरों और नामों का अवैध रूप से साझाकरण और दुरुपयोग कर रही है। कोडाली ने बताया कि आरटीडीएआई तेलंगाना के परिवहन, शिक्षा विभागों और राज्य द्वारा आवश्यक समझे जाने वाले अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य-उद्देश्यीय उपकरण बन गया है।

इसका उपयोग डिग्री ऑनलाइन सर्विसेज, तेलंगाना (डीओएसटी) पोर्टल तक विस्तारित किया गया, जो चेहरे की पहचान के माध्यम से छात्रों की पहचान सत्यापित करता है, और सत्यापन के लिए फिर से ईपीआईसी आईडी डेटा का उपयोग करता है।यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि चुनाव आयोग ने तेलंगाना को मतदाता डेटाबेस तक पहली बार कब पहुँच प्रदान की थी या यह पहुँच अब भी जारी है।

कोडाली की शिकायत से पता चलता है कि डेटा साझाकरण चुनाव आयोग की 2015 की मतदाता पहचान पत्र पहचान पत्रों को आधार से जोड़ने की पहल के तहत शुरू हुआ था। तेलंगाना के मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा उप चुनाव आयुक्त को 25 अप्रैल, 2018 को लिखे गए एक पत्र में पुष्टि की गई है, “मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय ने मतदाता सूची/ईपीआईसी डेटाबेस को एसआरडीएच एप्लिकेशन के साथ साझा/प्रदान किया।” एसआरडीएच, या राज्य निवासी डेटा हब, एक सरकारी पोर्टल है जिसमें राज्य स्तर पर नाम, आयु, लिंग, तस्वीरें और पते सहित प्रमुख जनसांख्यिकीय जानकारी होती है।

कोडाली का आरोप है कि इस हस्तांतरण से तेलंगाना सरकार को चुनावी उद्देश्यों के लिए एकत्रित जनसांख्यिकीय और चेहरे के डेटा तक पहुँच प्राप्त हुई, जिसका उपयोग अब टी-ऐप फोलियो के तहत विभिन्न प्रशासनिक कार्यों के लिए किया जाता है, जिसमें पेंशनभोगी लाइव सत्यापन प्रणाली भी शामिल है। रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने तेलंगाना के सीईओ के उस पत्र की समीक्षा की है जिसमें एसआरडीएच के लिए ईपीआईसी डेटा तक पहुँच की बात स्वीकार की गई है।

अपनी शिकायत में, कोडाली ने तेलंगाना के सीईओ से ऑडिट कराने की मांग की और सीईओ कार्यालय के अलावा अन्य बाहरी एजेंसियों से सभी ईपीआईसी तस्वीरें हटाने की मांग की। उन्होंने कहा, “भारतीय चुनाव आयोग ने आधार-वोटर आईडी लिंकिंग पर सुप्रीम कोर्ट के 2015 के फैसले की अनदेखी की, जिसके कारण मतदाताओं का डेटा तेलंगाना सरकार के साथ साझा किया गया।

TAGGED:The Reporters' Collective reportTop_News
Previous Article Abhishek Verma शिवसेना के मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. अभिषेक वर्मा कल पहुंचेंगे रायपुर
Next Article India Nepal relations भारत के पाले में अभी नहीं आया नेपाल
Lens poster

Popular Posts

चमोली हिमस्खलन हादसा : 4 मजदूरों की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

देहरादून| उत्तराखंड के चमोली एवलॉन्च हादसे में 4 लोगों की मौत हो चुकी है. शुक्रवार…

By पूनम ऋतु सेन

करिश्मा कपूर के पूर्व पति संजय कपूर का अचानक निधन, अंतिम पोस्ट में लिखा था – ‘जिंदगी का कोई पता नहीं’

द लेंस डेस्क| मशहूर बिजनेसमैन और बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर के पूर्व पति संजय कपूर…

By The Lens Desk

NEET UG 2025 Result घोषित, राजस्थान के महेश ने हासिल किया AIR 1

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने 14 जून 2025 को नीट यूजी 2025 का रिजल्ट जारी…

By दानिश अनवर

You Might Also Like

Controversial statement of BJP minister Vijay Shah
अन्‍य राज्‍यदेश

आर्मी अफसर सोफिया कुरैशी को लेकर मप्र के मंत्री का विवादित बयान

By Lens News
RAJA RAGHUWANSHI MURDER CASE
अन्‍य राज्‍य

राजा रघुवंशी हत्याकांड में नया खुलासा, 18 मिनट में 4 कोशिशों के बाद राजा की हत्या

By Lens News
Rahul Gandhi
देश

“मोदी वही करेंगे जो ट्रंप कहेंगे”… भारत की अर्थव्यवस्था पर राहुल गांधी का बड़ा बयान

By अरुण पांडेय
Chenab Bridge Inauguration
देश

पहलगाम हमला मानवता और कश्मीरियत पर हमला : पीएम मोदी

By Lens News Network

© 2025 Rushvi Media LLP. 

Facebook X-twitter Youtube Instagram
  • The Lens.in के बारे में
  • The Lens.in से संपर्क करें
  • Support Us
Lens White Logo
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?