रायपुर। छत्तीसगढ़ में क्या भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल और अमर अग्रवाल जैसे दिग्गजों को राजनीति में अपने से बेहद कनिष्ठ किसी नेता के नेतृत्व में संगठन के दायित्वों का निर्वहन करना होगा ?
संगठन का आदेश है तो करना ही होगा लेकिन क्या संगठन से ऐसी व्यवस्था करने में कोई चूक हो गई है ? ये कोई पहेली नहीं है, प्रदेश भाजपा द्वारा शनिवार को गठित जीएसटी से जुड़ी एक टीम को लेकर उठ रहे सवाल हैं जो पार्टी में किसी के गले नहीं उतर रहे हैं।
दरअसल भाजपा ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जीएसटी की दरों में की गई कटौती और उससे होने वाले फायदों के प्रचार प्रसार के लिए एक टीम का गठन किया है जिसके संयोजक यशवंत जैन हैं।
यशवंत जैन प्रदेश भाजपा के महामंत्री हैं इस लिहाज से ऐसी किसी टीम का नेतृत्व करने की पात्रता रखते ही हैं लेकिन पार्टी में लोग इस टीम में शामिल दो ऐसे नामों को लेकर चौंक रहे हैं जो संगठन में पद को छोड़कर वरिष्ठता के तमाम पैमानों पर यशवंत जैन से बहुत भारी माने जाते हैं।
ये दो वजनदार नाम हैं बृजमोहन अग्रवाल और अमर अग्रवाल।दोनों कई बार के विधायक मंत्री रह चुके हैं । अमर अग्रवाल अभी विधायक हैं और बृजमोहन अग्रवाल रायपुर के सांसद।
अमर अग्रवाल इस प्रदेश के वित्त मंत्री ही नहीं रह चुके बल्कि जब मोदी सरकार जीएसटी लागू कर रही थी तब उसकी तैयारियों में भी प्रदेश के प्रतिनिधि मंत्री के तौर पर शामिल रहते आए हैं।
इस टीम में बीजेपी नेता संजय पांडेय और प्रफुल्ल विश्वकर्मा को भी शामिल किया गया है। भाजपा में संगठन की गतिविधियों में वरिष्ठता के मायने और पैमाने अलग होते हैं इसके बावजूद यह नियुक्तियां पार्टी में चर्चा में हैं।
पार्टी के एक नेता ने नाम ना देने की शर्त पर कहा कि पार्टी में यह सवाल उठ रहा है कि क्या बृजमोहन अग्रवाल या अमर अग्रवाल जैसे दिग्गज यशवंत जैन के निर्देशों पर काम कर सकेंगे ?
इसका जवाब देते हुए संगठन से जुड़े एक नेता कहते हैं कि दोनों ही नेता पार्टी संगठन के तौर–तरीकों और अनुशासन से ना केवल परिचित हैं बल्कि उनके लिए संगठन के मामलों में ऐसी कनिष्ठता या वरिष्ठता मायने नहीं रखेगी।इस नेता का कहना था कि भाजपा में यह कोई नई बात नहीं है।
ऐसी समितियों का संगठन के पदाधिकारी ही नेतृत्व करते हैं।लेकिन बृजमोहन अग्रवाल और अमर अग्रवाल जैसे दिग्गजों के नामों को देखते हुए पार्टी में लोग इस तर्क को सहजता से स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
पार्टी के एक नेता ने यह भी कहा कि दिलचस्प तो यह भी है कि इस टीम में व्यापार प्रकोष्ठ के संयोजक का ही नाम गायब है !यह वह पद होता है जिसके धारक के जिम्मे आम व्यापारियों की पार्टी के पक्ष में लामबंदी होती है और जीएसटी की दरों में कटौती को आम व्यापारियों तक भी तो पार्टी पहुंचाना चाहेगी!