रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बिजली बिल हाफ योजना का दायरा समेटने के बाद पहली बार बिजली का बिल उपभोक्ताओं को पहुंचने लगा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने एक महीने पहले इस योजना का दायरा 4 सौ यूनिट की जगह सिर्फ 100 यूनिट कर दिया है। 100 यूनिट से एक भी यूनिट ऊपर होने पर इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
अब जब बिजली का बिल आया है तो यह साफ है कि लोगों की जेब पर बिजली का करंट लगने लगा है यानी कि अब उपभोक्ताओं पर बिजली गिरनी शुरू हो गई है। क्योंकि बिल अब करीब दो गुने हो गए हैं।
इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं कि प्रदेश के 51 लाख उपभोक्ताओं की जेब पर इस योजना का दायरा समेटने का क्या असर पड़ा है।
अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको पिछले महीने और इस महीने के बिजली के बिल के बीच का फर्क समझाएंगे, कि इस योजना के बदलाव से क्या फर्क पड़ा है।
ये दो बिल हम देखकर अंदाजा लगा सकते हैं, कि बिजली अब महंगी पड़ने लगी है। इसका पता एक ही मीटर और एक ही जगह के ये दो बिल से लग रहा है।

पहला बिल अगस्त 2025 का है। इस बिल में आप साफ दे सकते हैं कि बिजली की खपत 336 यूनिट है और उसका बिल 400 यूनिट वाले बिजली बिल हाफ योजना के तहत 1000 रुपए है। बिल में योजना के तहत 805 रुपए की रियायत दी गई थी। यानी कि 336 यूनिट का कुल बिल 1805 रुपए बना था, जिसमें रियायत के बाद उपभोक्ता को 1000 रुपए सभी तरह के कर उप कर मिलाकर दिए।
पिछली बार रीडिंग हुई तो 2404 थी।

अब इस महीने आया बिजली का बिल देखिए। सितंबर में हुई रीडिंग 2721 है। यानी कि इस एक महीने में 317 यूनिट बिजली की खपत हुई। और बिल आया 1820 रुपए। इस बार आप देख सकते हैं कि विशेष रियायल राशि के कॉलम में शुन्य है।
यानी कि खपत पिछली बार के मुकाबले 19 यूनिट कम हुई और बिल करीब 800 रुपए ज्यादा है।
ये दोनों बिल आप देख कर समझ सकते हैं कि किस तरह छत्तीसगढ़ में करीब 25 लाख उपभोक्ताओं पर बिजली गिरनी शुरू हो गई है।
बढ़ी हुई बिजली को लेकर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय दावा कर रहे थे कि छत्तीसगढ़ हाफ बिजली बिल से मुफ्त बिजली बिल की तरफ बढ़ रहा है। यह दावा प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना को लेकर किया गया था। कि उसमें 300 यूनिट बिजली का प्रोडक्शन पब्लिक अपने घर में कर सकती है।
हालांकि सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 2027 तक के लिए जो टार्गेट दिया गया था वह एक लाख 30 हजार मकानों की छतों पर सोलर प्लांट लगाने का था। और इसमें से करीब 5 हजार घरों में ही यह प्लांट लग पाए हैं। जबकि हाफ बिजली बिल योजना का लाभ करीब 51 लाख उपभोक्ताओं को मिल रहा था।
इसका मतलब साफ है कि प्रधानमंत्री की एक योजना को प्रचलन में लाने के लिए महज एक लाख 30 हजार टार्गेट पूरा करने के लिए छत्तीसगगढ़ में 51 लाख उपभोक्ताओं को मिलने वाले फायदे को समेट दिया गया। इससे आप समझ सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में सरकार ने उपभोक्ताओं को बिजली का करंट दे दिया है।
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बिजली कंपनी की 10 हजार करोड़ की कर्जदार सरकार इस पर चुप
छत्तीसगढ़ सरकार ने बिजली बिल हाफ योजना को लगभग तब बंद कर दिया, जब सरकार ही प्रदेश की बिजली विपणन कंपनी सीएसपीडीसीएल (CSPDCL) की करीब 10 हजार करोड़ रुपए की कर्जदार है। यह उस कंपनी के 10 हजार करोड़ रुपए हैं, जिस कंपनी का सालाना राजस्व ही 21 हजार करोड़ रुपए है।
सरकार के अलग-अलग विभागों के बिजली बिल और राज्य सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी के तौर पर यह कर्जे की रकम बिजली कंपनी को लेना है। चार अलग-अलग मदों के बिल सरकार पर बकाया हैं, जो उसे बिजली कंपनी को देने हैं।
सरकार से बिजली कंपनियों को 4 तरह की रकम जिसमें बिजली बिल, आरडीएसएस स्कीम, सब्सिडी मद और सरकार की अलग-अलग योजनाओं के तहत दी गई बिजली सप्लाई की रकम कंपनी को वसूलनी है।
इसमें सरकारी विभागों के ही बिजली बिल करीब 25 सौ करोड़ रुपए बकाया है। बिजली बिल की इस बकाया रकम की वजह से RDSS स्कीम के तहत केंद्र सरकार से मिलने वाली करीब साढ़े 7 सौ करोड़ की रकम भी नहीं मिल सकी है। इसके अलावा पूर्व के वर्षों की सब्सिडी के करीब 6 हजार करोड़ रुपए भी बकाया हैं।
इतना ही नहीं अलग-अलग योजनाओं, जिसमें हाफ बिजली बिल योजना, किसान मुफ्त बिजली बिल योजना, टैरिफ दरों में हस्तक्षेप करने और एकल बत्ती योजना के तहत मिलने वाले करीब 1 हजार करोड़ रुपए भी पावर कंपनी को नहीं मिले हैं।
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