नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से ‘सुविधा की राजनीति’ से प्रेरित रहे हैं, जिसमें अतीत की चिंताओं को अक्सर वर्तमान जरूरतों के अनुरूप दरकिनार कर दिया जाता है।
विदेश मंत्री ने ईटी वर्ल्ड लीडर्स फोरम (World Leaders Forum) में बोलते हुए कहा कि वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच ऐसे संबंध अक्सर ‘सुविधा की राजनीति’ को दर्शाते हैं, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत अमेरिका के साथ अपने संबंधों की ‘बड़ी संरचनात्मक ताकत’ को ध्यान में रखता है।
जयशंकर ने कहा, ‘उनका एक-दूसरे के साथ एक इतिहास रहा है। और उस इतिहास को नजरअंदाज करने का उनका एक इतिहास रहा है। ऐसा पहली बार नहीं है जब हमने ऐसा देखा है। और दिलचस्प बात यह है कि जब आप कभी-कभी सेना में किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए प्रमाणपत्रों को देखते हैं, तो वह वही सेना होती है जो एबटाबाद गई थी और आपको पता है कि वहां कौन था।’
इसे 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में एक किलेबंद परिसर पर अमेरिकी सील टीम 6 के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई छापेमारी के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसमें अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का पता लगाया गया था और उसे मार गिराया गया था।
उन्होंने कहा, ‘मुद्दा तब है जब देश सुविधा की राजनीति पर केंद्रित होते हैं। वे ऐसा करने की कोशिश करते रहते हैं, इसमें कुछ सामरिक हो सकता है, तो कुछ के अन्य लाभ भी हो सकते हैं।’
विदेश मंत्री की यह टिप्पणी पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की हाल के महीनों में व्यापार, आर्थिक विकास और क्रिप्टोकरेंसी पर बातचीत के लिए की गई दो अमेरिकी यात्राओं के बाद आई है। इसके अलावा, इस्लामाबाद ने पाकिस्तान में रणनीतिक तेल भंडार बनाने के लिए वाशिंगटन के साथ एक समझौता किया है।
ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के युद्ध विराम की मध्यस्थता के दावों पर जयशंकर ने कहा कि शत्रुता को रोकने का निर्णय नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच का है।
जयशंकर ने बातचीत में कहा, ‘मध्यस्थता के मुद्दे पर, 1970 के दशक से, यानी 50 वर्षों से अधिक समय से, इस देश में राष्ट्रीय सहमति है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं।’
विदेश मंत्री ने कहा कि ‘यह सच है कि उस समय फ़ोन कॉल किए गए थे। अमेरिका और दूसरे देशों से भी फोन कॉल किए गए थे। यह कोई राज़ की बात नहीं है। मेरे लगभग हर फोन कॉल, खासकर हर अमेरिकी फोन कॉल, मेरे एक्स अकाउंट में मौजूद हैं। जब ऐसा कुछ होता है, तो देश फोन करते हैं… मेरा मतलब है, आखिरकार, मैं फोन नहीं करता? मेरा मतलब है, जब इजराइल-ईरान का मामला चल रहा था, तो मैंने फोन किया था। जब रूस-यूक्रेन का मामला चल रहा था, तो मैंने फोन किया था।’
जयशंकर ने ट्रंप प्रशासन द्वारा बार-बार लगाए गए उन आरोपों का भी जवाब दिया जिनमें कहा गया था कि भारत रूस से रियायती दामों पर कच्चा तेल खरीदकर और फिर यूरोप व अन्य जगहों पर रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों को प्रीमियम दामों पर बेचकर “मुनाफाखोरी” कर रहा है।
उन्होंने कहा, “यह हास्यास्पद है कि एक व्यापार-समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लिए काम करने वाले लोग दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं… यह वाकई अजीब है। अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो उसे न खरीदें। कोई आपको उसे खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता। लेकिन यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है, इसलिए अगर आपको वह पसंद नहीं है, तो उसे न खरीदें।”
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