नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
चुनाव आयोग ने शनिवार को राजनीतिक दलों को एक स्पष्ट चेतावनी जारी की, जिसमें उन्हें मतदाता सूची में त्रुटियों के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार ठहराया गया, क्योंकि समय रहते राजनीतिक दल आपत्तियां दर्ज कराने में विफल रहे।
आयोग ने एक सख्त बयान में कहा कि कई राजनीतिक दलों और उनके बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) ने निर्धारित समयावधि के दौरान मतदाता सूचियों की समीक्षा नहीं की। आयोग ने कहा, “कुछ लोग अब पिछले संशोधनों के दौरान तैयार की गई मतदाता सूचियों में विसंगतियों पर आपत्ति उठा रहे हैं।”
चुनाव आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में मतदाता सूची तैयार करना एक विस्तृत, विकेंद्रित प्रक्रिया है, जिसका संचालन निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों और बूथ स्तरीय अधिकारियों द्वारा किया जाता है। मसौदा सूची प्रकाशित होने के बाद, सभी दलों को भौतिक और डिजिटल प्रतियां प्रदान की जाती हैं और ये सूचियां चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की जाती हैं, तथा दावों और सुधारों के लिए पूरा एक महीना आवंटित किया जाता है।
बयान में कहा गया है, “यदि निर्दिष्ट समय के दौरान उचित माध्यमों से चिंताओं को चिह्नित किया गया होता, तो उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और ईआरओ चुनाव से पहले ही वास्तविक त्रुटियों को दूर कर सकते थे।” आयोग ने पारदर्शिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और राजनीतिक दलों को मतदाता सूचियों की जांच जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। आयोग ने कहा कि ऐसे प्रयास स्वच्छ और सटीक मतदाता रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यह स्पष्टीकरण बिहार में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं को लेकर बढ़ते विवाद के बीच आया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी कल सासाराम से अपनी ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ शुरू करने वाले हैं, जिसका उद्देश्य इन्हीं चिंताओं को उजागर करना है। कल चुनाव आयोग एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने वाला है, जिसका राजनीतिक पार्टियों को बेसब्री से इंतजार है।