नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज निधन हो गया। मंगलवार दोपाहर डेढ़ बजे के करीब उनके निधन की खबर आई। वह कफी दिनों से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के RML अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।
सत्यपाल मलिक अपने स्पष्ट और सरकार के खिलाफ बयानों के लिए जाने जाते थे, पिछले चार महीनों से अस्पताल में भर्ती थे। बीच में उनकी हालत में सुधार की खबरें भी आई थीं और बताया गया था कि वह अब पहले से बेहतर स्थिति में थे। लेकिन उन्हें लगातार निगरानी में आईसीयू में रखा गया था।
मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था और राज्य का विशेष दर्जा रद्द कर दिया गया था। आज इस फैसले की छठी वर्षगांठ है।
बाद में उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया और तत्पश्चात उन्होंने अक्टूबर 2022 तक मेघालय के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
मलिक का राजनीतिक जीवन 1970 के दशक में एक समाजवादी चेहरे के रूप में शुरू हुआ। 1974 में वे भारतीय क्रांति दल के टिकट पर बागपत से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने। बाद में उन्होंने लोकदल के महासचिव के रूप में कार्य किया और 1980 से 1989 तक उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सांसद बने।
मलिक ने अपने राजनीतिक जीवन में विभिन्न राजनीतिक दलों का रुख किया, जिनमें चरण सिंह की भारतीय क्रांति दल, कांग्रेस और वी.पी. सिंह के नेतृत्व वाली जनता दल शामिल हैं, और अंततः 2004 में वे भाजपा में शामिल हो गए।