[
The Lens
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Latest News
7 महीने पहले कुत्ते ने काटा, नहीं लगायी एंटी-रेबीज वैक्सीन,अब मौत
चैतन्य बघेल को कोर्ट ने भेजा वापस जेल, 14 दिन की न्यायिक रिमांड
रिजिजू ने कहा: राहुल के दावे अतार्किक, गैर-जिम्मेदाराना
फिर निकला गलवान का जिन्न, कांग्रेस ने दागे आठ सवाल
प्रेमचंद किनके?
बिहार : जनसभा, पदयात्रा और मुलाकातों से माहौल बनाएंगे राहुल, 10 अगस्‍त को सासाराम से यात्रा का आगाज
ब्रेकिंग : भूपेश की हाफ बिजली बिल योजना को साय सरकार का करंट, छत्तीसगढ़ में नहीं मिलेगी 200 यूनिट बिजली फ्री
बिना कोर्ट की अनुमति के गिरफ्तारी का तर्क देते रहे सिब्बल, भूपेश को नहीं मिली अग्रिम जमानत
‘धान कटनी आंदोलन’ से शिबू सोरेन बन गए दिशोम गुरु
खुफिया विफलता और चीनी उपकरणों की मदद से पाकिस्तान ने लड़ाकू विमान मार गिराया, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा दावा
Font ResizerAa
The LensThe Lens
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
  • वीडियो
Search
  • होम
  • लेंस रिपोर्ट
  • देश
  • दुनिया
  • छत्तीसगढ़
  • बिहार
  • आंदोलन की खबर
  • सरोकार
  • लेंस संपादकीय
    • Hindi
    • English
  • वीडियो
  • More
    • खेल
    • अन्‍य राज्‍य
    • धर्म
    • अर्थ
    • Podcast
Follow US
© 2025 Rushvi Media LLP. All Rights Reserved.

Home » प्रेमचंद किनके?

साहित्य-कला-संस्कृति

प्रेमचंद किनके?

Apurva Garg
Last updated: August 4, 2025 9:49 pm
Apurva Garg
Share
Munshi Premchand
SHARE

अपूर्व गर्ग, स्वतंत्र लेखक

सवाल है, भगत सिंह किनके? भगत सिंह की पुस्तिकाएं ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ ? और ‘बम का दर्शन’, जिनके दर्शन से मिलता हो उनके उन्हीं के….। भगत सिंह की भतीजी वीरेंद्र सिंधु ने लिखा है, भगत सिंह ने फांसी कोठरी में बैठे -बैठे वक्तव्य तो जाने कितने लिखे थे,पर कई पुस्तकें भी लिखी थीं। इनमें कई महत्वपूर्ण पुस्तकें थीं, जो गायब हुईं इनमें एक ‘आइडियल ऑफ़ सोशलिज्म’ भी थी।

तो भगत सिंह उन्हीं के जिनके प्रेमचंद। तो प्रेमचंद किनके? प्रेमचंद साहित्य, प्रेमचंद के पत्र, लेख उपन्यासों के पात्र, जो कहते हैं, उससे जाहिर है प्रेमचंद पर साम्प्रदायिकता का ठप्पा नहीं लगाया जा सकता।

प्रेमचंद का एक सबसे महत्वपूर्ण लेख ‘साम्प्रदायिकता और संस्कृति’, जो जागरण में 15 जनवरी को प्रकाशित हुआ था, जिसका लोग सरसरी तौर पर या सिर्फ एक लाइन का ज़िक्र कर आगे बढ़ जाते हैं। इस लेख के एक पैराग्राफ पर नजर डालिये तो पता चलेगा उर्दू से हिंदी में आया लेखक ज़बरदस्त प्रगतिशील, सेक्युलर चिंतक ही नहीं साम्प्रदायिकता के खिलाफ बिगुल बजाने वाला हिंदी का पहला सबसे बड़ा लेखक है। साथ ही सनद रहे प्रेमचंद का सोज़े-वतन जिसे अंग्रेज सरकार ने खतरनाक माना, देशद्रोह कहा और जलवा दिया उर्दू में लिखा गया था।

सेवासदन, प्रेमाश्रम और रंगभूमि जैसे महान उपन्यास पहले उर्दू में लिखे गए पर छपे हिंदी में पहले। प्रेमचंद लिखते हैं -” साम्प्रदायिकता सदैव संस्कृति की दुहाई दिया करती है। उसे अपने असली रूप में निकलते शायद लज्जा आती है, इसलिए वह उस गधे की भांति जो सिंह की खाल ओढ़कर जंगल के जानवरों पर रौब जमाता फिरता था, संस्कृति का खोल चढ़ा कर आती है। हिन्दू अपनी संस्कृति को क़यामत तक सुरक्षित रखना चाहता है, मुसलमान अपनी संस्कृति को दोनों ही अभी तक अपनी -अपनी संस्कृति को अछूती समझ रहे हैं, यह भूल गए हैं कि न अब कहीं मुस्लिम संस्कृति है न कहीं हिन्दू संस्कृति, अब संसार में केवल एक संस्कृति है और वह है आर्थिक संस्कृति।

मगर हम आज भी हिन्दू मुस्लिम संस्कृति का रोना रोये चले जाते हैं, हालांकि संस्कृति का धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं, आर्य संस्कृति है, ईरानी संस्कृति है , अरब संस्कृति है लेकिन ईसाई संस्कृति या मुस्लिम या हिन्दू संस्कृति नाम की कोई चीज नहीं है …” ‘साम्प्रदायिकता और संस्कृति’ ही नहीं ‘महाजनी सभ्यता’ तथा ‘साहित्य का उद्देश्य से ज़ाहिर है प्रेमचंद स्वाधीनता संग्राम के दौर के सबसे प्रगतिशील लेखक थे।

क्या प्रेमचंद कम्युनिस्ट थे ? तो ‘विश्वमित्र’ के प्रेमचंद अंक को देखिये। प्रेमचंद मराठी के साहित्यकार टी. टिकेकर से कहते हैं – ‘ मैं कम्युनिस्ट हूँ ! किन्तु मेरा कम्युनिज्म यही है कि हमारे देश में जमींदार, सेठ आदि जो कृषकों के शोषक हैं, न रहें।” प्रेमचंद जो गांधीजी के प्रभाव -आंदोलन से प्रेरित होकर अपनी 15 -20 साल की पक्की सरकारी नौकरी छोड़ते हैं, जो ये कहते हैं ‘ मैं महात्माजी के चेंज ऑफ़ हार्ट के सिद्धांत में विश्वास रखता हूं, इसलिए जमींदारी मिटेगी यह मानता हूँ…।’ क्या प्रेमचंद पूरी तरह गांधीवादी थे ?
इसका जवाब प्रेमचंद देते हैं, ” मैं गांधीवादी नहीं हूँ, केवल गांधीजी के चेंज ऑफ़ हार्ट में विश्वास रखता हूँ।”

याद रखिये प्रेमचंद की पहली सीढ़ी आर्य समाज थी फिर तिलक से बेहद प्रभावित हुए पर गोखले ने उनके तन -मन विचारों को सर्वाधिक प्रभवित किया, जिसे नवंबर 1905 के ‘जमाना ‘ के गोखले पर लिखे उनके लेख से समझा जा सकता है। उनके सुपुत्र अमृत राय ने लिखा है – ‘इससे गोखले के प्रति उनके झुकाव को समझा जा सकता है। गांधी में तिलक और गोखले का अद्भुत समन्वय मिलता ही था, पर इसमें कोई संदेह नहीं कि मुंशी जी ने देश प्रेम की राजनीति का पहला सबक तिलक से न लेकर गोखले से लिया।’
प्रेमचन्द नमक सत्याग्रह का समर्थन करते हैं, 1931 की कराची कांग्रेस में जाने का इरादा था, पर भगत सिंह की फांसी की खबर से उनका दिल टूट जाता है और नहीं जाते।

तो पार्टनर प्रेमचंद आपकी पॉलिटिक्स क्या है ? इसका जवाब वो अपने सबसे करीबी मित्र दयानारायण निगम को देते हुए लिखते हैं कि –” आपने मुझसे पूछा मैं किस पार्टी के साथ हूँ। मैं किसी पार्टी में नहीं हूं। इसलिए कि इस वक़्त दोनों [ स्वराज पार्टी और नो- चेंजर ] में कोई पार्टी असली काम नहीं कर रही है। मैं उस आने वाली पार्टी का मेंबर हूं, जो अवाम अलनास की सियासी तालीम को अपना दस्तरूल अमल बनाएगी।” [प्रेमचंद जीवन और कृतित्व ]

प्रेमचंद के ‘प्रेमाश्रम का युवा किसान जब कहता है, …रूस देश में काश्तकारों का ही राज है। वह जो चाहते हैं, करते हैं ..काश्तकारों ने राजा को गद्दी से उतार दिया है और अब किसानों और मज़दूरों की पंचायत राज करती है ..।”
इसे समझने की जरूरत है।

TAGGED:indian literatureLatest_NewsMunshi Premchand
Share This Article
Email Copy Link Print
Previous Article Rahul Gandhi Bihar Visit बिहार : जनसभा, पदयात्रा और मुलाकातों से माहौल बनाएंगे राहुल, 10 अगस्‍त को सासाराम से यात्रा का आगाज
Next Article Galwan Valley dispute फिर निकला गलवान का जिन्न, कांग्रेस ने दागे आठ सवाल

Your Trusted Source for Accurate and Timely Updates!

Our commitment to accuracy, impartiality, and delivering breaking news as it happens has earned us the trust of a vast audience. Stay ahead with real-time updates on the latest events, trends.
FacebookLike
XFollow
InstagramFollow
LinkedInFollow
MediumFollow
QuoraFollow

Popular Posts

33 फीसदी सैलरी का हिस्‍सा EMI में हो रहा खर्च

द लेंस डेस्क। परफियोस और पीडब्‍ल्‍यूसी इंडिया ने मिलकर एक रिपोर्ट जारी की है जिसका…

By Poonam Ritu Sen

सेंट्रल जेल में कांग्रेस नेता पर जानलेवा हमला

रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी रहे कांग्रेस नेता आशीष शिंदे पर सेंट्रल जेल…

By Lens News

कांग्रेस का बड़ा हमला – सिंदूर की सौदेबाजी पर सरकार चुप क्‍यों ?

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार और कांग्रेस के बीच ऑपरेशन सिंदूर को लेकर तीखी राजनीतिक जंग…

By Lens News Network

You Might Also Like

bihar election list
अन्‍य राज्‍य

सुप्रीम कोर्ट का बिहार में मतदाता सूची प्रकाशित करने से इनकार, बोला कोर्ट – कोई भी दस्तावेज जाली बनाना संभव

By Awesh Tiwari
Corona Vaccine
देश

सिद्धारमैया ने हार्ट अटैक से मौतों के लिए कोरोना वैक्सीन को ठहराया जिम्मेदार

By Arun Pandey
ED raids Gujarat Samachar
अन्‍य राज्‍य

गुजरात समाचार पर ईडी का छापा, हिरासत में मालिक बाहुबली शाह, जानें पूरा मामला

By Arun Pandey
Chenab Bridge Inauguration
देश

पहलगाम हमला मानवता और कश्मीरियत पर हमला : पीएम मोदी

By Lens News Network
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?