समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने बुधवार को अमेरिका से कहा है कि वह ईरान पर हमला न करे, क्योंकि इससे मध्य पूर्व में भारी अस्थिरता पैदा हो जाएगी। साथ ही मास्को ने कहा कि इजरायल के हमलों से परमाणु आपदा शुरू होने का खतरा है।
रूस की ईरान के साथ साझेदारी
रूस ने जनवरी में ईरान के साथ रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए थे और इजरायल के साथ भी उसके संबंध हैं, हालांकि यूक्रेन से मास्को के युद्ध के कारण यह तनावपूर्ण हो गया है। इजरायल-ईरान संघर्ष में मध्यस्थता करने के रूसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया
गया है।
दुनिया तबाही से मिलीमीटर दूर
सेंट पीटर्सबर्ग में एक आर्थिक फोरम के अवसर पर बोलते हुए रयाबकोव ने इंटरफैक्स समाचार एजेंसी को बताया कि मास्को, वाशिंगटन से प्रत्यक्ष हस्तक्षेप से बचने का आग्रह कर रहा है।
इंटरफैक्स ने रयाबकोव के हवाले से कहा, “यह एक ऐसा कदम होगा जो पूरी स्थिति को पूरी तरह से अस्थिर कर देगा।” उन्होंने परमाणु हथियारों को लेकर हर तरह की अटकलबाजियो और अनुमानों की आलोचना की।
रूस की एसवीआर विदेशी खुफिया सेवा के प्रमुख सर्गेई नारिश्किन ने कहा है कि ईरान और इजरायल के बीच स्थिति अब गंभीर है और विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा कि ईरानी परमाणु बुनियादी ढांचे पर इजरायल के हमलों का मतलब है कि दुनिया तबाही से “मिलीमीटर” दूर है।
परमाणु युद्ध की जताई आशंका
रयाबकोव ने रायटर्स को बताया कि “परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला किया जा रहा है”, उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र परमाणु सुरक्षा निगरानी संस्था ने पहले ही विशिष्ट क्षति का उल्लेख किया है।
उन्होंने 2011 में जापानी परमाणु संयंत्र में हुई दुर्घटना का जिक्र करते हुए कहा, “पूरे विश्व समुदाय की चिंता कहां है? सभी पर्यावरणविद कहां हैं? मुझे नहीं पता कि क्या वे सोचते हैं कि वे बहुत दूर हैं और क्या वह सोचते हैं कि यह (विकिरण) तरंग उन तक नहीं पहुंचेगी?
ईरान इजरायल संघर्ष में मास्को का क्या लाभ
क्रेमलिन के पूर्व सलाहकार सर्गेई मार्कोव ने कहा है कि इस संघर्ष से – हालांकि रूस इसका विरोध कर रहा है – मास्को को कुछ लाभ हो सकते हैं, जिनमें तेल की ऊंची कीमतें, ईरानी तेल की आपूर्ति में कठिनाइयों के कारण रूसी तेल के लिए चीन की अधिक रुचि तथा यूक्रेन से अमेरिकी सैन्य संसाधनों का पुनः आवंटन शामिल है।