नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
1.2 करोड़ से ज़्यादा केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी अगले यानी कि 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) लिए संदर्भ की शर्तों (टीओआर) का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, जो अन्य कल्याणकारी उपायों के अलावा वेतन और पेंशन संशोधन के लिए आधार के रूप में काम करेगा। यह इंतजार लंबा है और जवाब मुश्किल कि आठवां वेतन आयोग कब लागू होगा?
आइए तलाशते हैं जवाब :-
गठन को मंजूरी, मगर नियुक्ति नहीं : केंद्र सरकार ने 16 जनवरी, 2025 को 8वें वेतन आयोग के गठन को मंज़ूरी दे दी है, लेकिन अभी तक इसका औपचारिक रूप से गठन नहीं हुआ है। न तो अध्यक्ष और न ही अन्य प्रमुख सदस्यों की नियुक्ति की गई है, और संदर्भ की शर्तों (टीओआर) को भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
2026 में लागू होने की संभावनाएं कम : करीब छह महीने बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि 1 जनवरी 2026 से इसके लागू होने की उम्मीदें अब लगभग खत्म हो चुकी हैं। जबकि 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो रहा है, ऐसे में अब कर्मचारियों को समय पर नए वेतनमान का लाभ मिल पाना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है।
श्रमिक संगठन विमर्श तक सीमित : इंटक के महासचिव संजय कुमार सिंह कहते हैं कि हम लोगों के दबाव की वजह से आयोग के गठन को मंजूरी तो मिल गई है गठन जल्दी हो यह भी सुनिश्चित करना होगा। बीएमएस, इंटक समेत तमाम श्रमिक संगठन बातचीत की बात तो करते हैं लेकिन इसके लिए दबाव की क्या रणनीति होगी इस पर कोई बात नहीं करता।
पिछले दो वेतन आयोगों की समय-सीमा क्या दर्शाती है?
पिछले दो वेतन आयोगों – 6वें और 7वें – की प्रक्रिया को देखें तो रिपोर्ट तैयार करने और उसे लागू करने में औसतन 2 से 2.5 वर्ष का समय लगा है।
छठा वेतन आयोग अक्टूबर 2006 में गठित किया गया था और इसने मार्च 2008 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसे अगस्त 2008 में अनुमोदित किया गया और 1 जनवरी 2006 से लागू किया गया।
इसी प्रकार, 7वें वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में किया गया तथा इसने नवंबर 2015 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसे जून 2016 में कैबिनेट की मंजूरी मिली तथा इसे 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया। दोनों ही मामलों में सिफारिशें पूर्वव्यापी तिथि से प्रभावी हुईं तथा बकाया राशि का भुगतान भी चरणबद्ध तरीके से किया गया।
8वें वेतन आयोग का गठन अभी अधर में : फिलहाल 8वें वेतन आयोग की स्थिति काफी अधूरी है। हालांकि सरकार ने 35 स्टाफ पदों के लिए प्रतिनियुक्ति परिपत्र जारी कर दिया है, लेकिन न तो अध्यक्ष और न ही सदस्यों की घोषणा की गई है। साथ ही सरकार ToR को अंतिम रूप देने में व्यस्त है।
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अब कब लागू होगा नया वेतनमान? जानिए संभावित टाइमलाइन
अगर अब आयोग का गठन 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में होता है, तो रिपोर्ट 2027 या 2028 तक आएगी और इसे लागू करने में 6-8 महीने और लग सकते हैं। यानी नई सिफारिशें 2028 तक ही लागू हो पाएंगी। हां, अगर सरकार चाहे तो इन्हें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी कर सकती है और बकाया भुगतान कर सकती है, जैसा पिछली बार किया गया था। हालांकि, यह पूरी तरह से राजनीतिक इच्छाशक्ति और राजकोषीय स्थिति पर निर्भर करेगा।
न्यूनतम वेतन, पेंशन बहाली और डीए का विलय
कर्मचारी संगठनों की ओर से सरकार को सुझाव दिए गए हैं, जिनमें 5 सदस्यीय परिवार के आधार पर न्यूनतम वेतन तय करना, वेतन स्तरों का विलय, हर पांच साल में पेंशन अवधि में संशोधन और 12 साल बाद कम्यूटेड पेंशन की बहाली जैसे मुद्दे शामिल हैं। इसके अलावा कर्मचारियों की मांग है कि मूल वेतन में 50 फीसदी महंगाई भत्ता (डीए) जोड़ा जाए।
सैलरी में कितनी बढ़ोतरी हो सकती है?
इस बीच फिटमेंट फैक्टर को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। अगर यह फैक्टर 1.92x से 2.86x के बीच तय होता है तो बेसिक सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर 51,000 रुपये हो सकती है। पेंशनर्स को महंगाई राहत और नई पेंशन योजनाओं के तहत भी लाभ मिल सकता है। हालांकि, जब तक सरकार आयोग का गठन नहीं करती और ToR को मंजूरी नहीं देती, तब तक कर्मचारियों और पेंशनर्स को किसी स्पष्टता की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की 1 जनवरी 2026 से वेतन और पेंशन बढ़ोतरी की उम्मीदें फिलहाल पूरी होती नहीं दिख रही हैं। जब तक आयोग का गठन नहीं हो जाता और रिपोर्ट की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ जाती, तब तक नए वेतनमान को लेकर सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते हैं। कर्मचारियों को सरकार की ओर से स्पष्ट रोडमैप आने तक इंतजार करना होगा।