बेंगलुरु। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कर्नाटक के बेल्लारी से कांग्रेस सांसद ई. तुकाराम और तीन विधायकों ( Valmiki Board Scam Karnataka ) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ED ने बुधवार को वाल्मीकि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इनके घरों और कार्यालयों पर छापेमारी शुरू की। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की जा रही है।
क्या है वाल्मीकि घोटाला? क्या लोकसभा चुनाव में हुआ था पैसे का इस्तेमाल?
यह मामला कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम (KMVSTDC) से जुड़ा है, जिसकी स्थापना 2006 में अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों के कल्याण के लिए की गई थी। इस निगम का उद्देश्य आदिवासी समुदायों के लिए सामाजिक और आर्थिक विकास की योजनाएं चलाना था। लेकिन, कर्नाटक पुलिस और CBI की जांच में खुलासा हुआ कि निगम के खातों से करोड़ों रुपये फर्जी खातों में ट्रांसफर किए गए। इन पैसों को कथित तौर पर फर्जी कंपनियों के जरिए काले धन को सफेद करने में इस्तेमाल किया गया।
ED का कहना है कि इस घोटाले से निकाले गए पैसे का इस्तेमाल 2024 के लोकसभा चुनाव में बेल्लारी क्षेत्र में किया गया। जांच एजेंसी का दावा है कि इन पैसों को मतदाताओं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बांटने के लिए उपयोग किया गया। इससे बेल्लारी में चुनावी गतिविधियों को प्रभावित करने की कोशिश की गई।
कैसे शुरू हुआ मामला? ED की कार्रवाई
यह घोटाला तब सामने आया जब निगम के एक लेखा अधिकारी, चंद्रशेखरन पी., ने मई 2024 में आत्महत्या कर ली। उनकी सुसाइड नोट में निगम में भ्रष्टाचार और अवैध धन हस्तांतरण का जिक्र था। इसके बाद कर्नाटक पुलिस और CBI ने इस मामले में FIR दर्ज की, जिसके आधार पर ED ने अपनी जांच शुरू की।
ED ने बेल्लारी और बेंगलुरु में आठ ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें सांसद ई. तुकाराम और तीन विधायकों – नारा भारत रेड्डी, जे.एन. गणेश, और एन.टी. श्रीनिवास के घर और कार्यालय शामिल हैं। इसके अलावा, पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र के बेंगलुरु कार्यालय और उनके निजी सहायक गोवर्धन के घर पर भी तलाशी ली गई। ED ने इस घोटाले में 187 करोड़ रुपये से ज्यादा की हेराफेरी का दावा किया है।
राजनीतिक हलचल तेज
इस कार्रवाई ने कर्नाटक में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। बीजेपी ने इस मामले में कांग्रेस पर हमला बोला है और सांसद तुकाराम को अयोग्य ठहराने की मांग की है। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र, जो पहले इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं, ने खुद को निर्दोष बताया है।
ED की जांच अभी जारी है और इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है। यह घोटाला न केवल कर्नाटक की राजनीति बल्कि आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए बने निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहा है।