रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सटे नकटी गांव में जमीन से बेदखली के फरमान के खिलाफ चल रहे आंदोलन का दायरा बढ़ता जा रहा है। आंदोलनकारी ग्रामीण लड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि यह उनके अस्तित्व की लड़ाई है। कहा जा रहा है कि रायपुर के स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डे के करीब स्थित गांव की इस जमीन पर विधायकों की आवास कालोनी प्रस्तावित है। चालीस पचास साल से यहां रह रहे ग्रामीणों के आंदोलन की आवाज दूर दूर तक सुनाई दे रही है। नकटी के आंदोलन पर एक कविता खूब वायरल हो रही है। सोशल मीडिया की पोस्ट से पता चल रहा है यह कविता खोरबहरा राम ने लिखी है। Nakti कविता पढ़िए
हे नकटी गांववासियों
रहम करो हमारे माननीयों पर,
बेचारे मजलूम ग़रीब निरीह असहाय
दर-दर की ठोकरे खाए
प्रतिनिधि कहाँ जायेंगे..
अभी तो पाँच साल के लिए
क़ाबिज़ हुए हैं, अगर
आपने उन्हें आलीशान मकान
बनाने नहीं दिया तो बेचारे
सत्ता के मद में चूर ये महोदय
कहाँ जायेंगे..
आपको तो आदत है
खपरे वाले मकानों की
झोपड़ी की मचानों की
पर उन्हें तो लत लग चुकी है
सेंट्रलाइज्ड एसी और
हरे-भरे बागानों की..
सोचिए,
अगर आप नल जल आवास
के लिए आवेदन देने आयेंगे
तो लाइन कहाँ लगायेंगे
कहाँ देंगे अर्ज़ी
कहाँ फोटो खिंचवायेंगे..
आपसे कहीं ज़्यादा ज़रूरत
हमारे इन माननीयों को है..
आप तो एक कमरे में रह भी लोगे
पर इनका आवास छोटा हुआ तो
आप जैसे हज़ारों लोग
एक छोटे से मकान में
कैसे बिलबिलायेंगे..
इसलिए
हे नकटीवासियों आप कहीं भी रहो
खेत में रहो खलिहान में रहो
घुरवा में रहो दईहान में रहो
अपने बनाये घर को
गिरने दो
हमारे महानुभावों के लिए
आलीशान आवास को
बनने दो
याद रखो
वो फ़िर पाँचवे साल खींचे खींचे
चले आयेंगे
वो वोट के लिए फिर से
गिड़गिड़ायेंगे
तब उन्हें अपनी ताक़त बताना
चंद रुपयों के लिए बिक मत जाना,
क्यूँकि हम छत्तीसगढ़िया
कोई हँसता है तो बिछ जाते हैं
कोई माँगता है तो झुक जाते हैं
हम छत्तीसगढ़ियों की
यही एक बुरी आदत है
और इस आदत पे
हमको लानत है
लानत है..लानत है..।।
खोरबाहरा राम
(छत्तीसगढ़िया)