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लेंस संपादकीय

कांग्रेस का अस्तबल

Editorial Board
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Published: June 4, 2025 7:30 PM
Last updated: June 5, 2025 1:59 PM
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Rahul Gandhi
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी लगातार चुनावों में मिली पराजय से पस्त कांग्रेस में जान डालने की कवायद कर रहे हैं। राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जाकर कहा है कि पार्टी को बारात के घोड़ों और लंगड़े घोड़ों की जरूरत नहीं है। इससे पहले गुजरात में भी वह रेस और बारात के घोड़ों की बात कर चुके हैं। हकीकत यह है कि कांग्रेस का पूरा अस्तबल ऐसे किसिम किसिम के घोड़ों से अटा पड़ा है, जिसमें रेस के घोड़े कम ही हैं। कांग्रेस की मुश्किल यह है कि पार्टी में ऐसे बहुत से घोड़े हैं, जिनकी लगाम नेतृत्व के पास नहीं है। दरअसल यह पार्टी नेतृत्व की कमजोरी है कि वह न तो ऐसे बेकार घोड़ों से निजात पा सका है और न ही उन्हें काबू कर सका है। साल भर पहले हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 99 सीटें जीतकर शानदार वापसी की थी, इससे तो पार्टी को मजबूत होना था, लेकिन वह बिखरी नजर आ रही है। हरियाणा जहां उसकी जीत की संभावना थी, वहां उसे हार का सामना करना पड़ा। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिली हार के लिए भाजपा के मुकाबले पार्टी की कमजोर रणनीति के साथ ही नेताओं की जनता और कार्यकर्ताओं से बढ़ती दूरी भी वजह है। राहुल गांधी ने चुनावों में पार्टी के टिकट देने के लिए एक समय प्राइमरी जैसी व्यवस्था की बात की थी, लेकिन देखा जा सकता है कि उस पर कहीं अमल हुआ ही नहीं। इन सबके बावजूद राहुल को पार्टी के भीतर बढ़ती असहमतियों को भी समझना होगा। रेस के घोड़े जैसा रूपक कार्यकर्ताओं को लुभा तो सकता है, लेकिन जरूरत जमीनी स्तर के बदलाव की है। हकीकत यह है कि राहुल ने गुजरात में जिस कवायद की बात की थी, उसका असर तो अब तक नजर नहीं आया है।

TAGGED:CongressEditorialRahul Gandhi
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