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आंदोलन की खबर

मजदूर दिवस: हेयमार्केट स्क्वायर प्रदर्शन, जब दुनिया ने देखी श्रम की शक्ति

The Lens Desk
Last updated: May 2, 2025 2:26 pm
The Lens Desk
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Labor Day
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द लेंस विशेष

(Labor Day) दुनिया भर में हर साल 1 मई मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन श्रमिकों के अधिकारों, उनके संघर्षों और योगदान को सम्मान देने का प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन को मनाने की शुरुआत कैसे हुई और इसके पीछे की घटना क्या थी?

मजदूर दिवस की नींव 19वीं सदी के अंत में अमेरिका में रखी गई थी। उस दौर में औद्योगिक क्रांति अपने चरम पर थी और मजदूरों को अमानवीय परिस्थितियों में काम करना पड़ता था। 12-14 घंटे की शिफ्ट, कम वेतन, असुरक्षित कार्यस्थल और कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं, यह मजदूरों की रोजमर्रा की हकीकत थी। ऐसे में श्रमिकों ने अपने हक के लिए आवाज उठानी शुरू की।

मजदूर दिवस की सबसे महत्वपूर्ण घटना 1 मई 1886 को अमेरिका के शिकागो शहर में हुई, जिसे इतिहास में हेयमार्केट अफेयर के नाम से जाना जाता है। मजदूरों ने “8 घंटे काम, 8 घंटे आराम, 8 घंटे मनोरंजन” की मांग को आगे रखते हुए  हड़ताल की। 

हड़ताल शुरू में शांतिपूर्ण थी, लेकिन 4 मई 1886 को शिकागो के हेयमार्केट स्क्वायर में एक रैली के दौरान स्थिति बिगड़ गई। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव हुआ और एक अज्ञात व्यक्ति ने पुलिस पर बम फेंक दिया। इसके बाद पुलिस ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें कई मजदूर और पुलिसकर्मी मारे गए। इस घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान मजदूरों के संघर्ष की ओर खींचा।

हेयमार्केट अफेयर के बाद मजदूर आंदोलन को और बल मिला। 1889 में पेरिस में द्वितीय इंटरनेशनल की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा, ताकि हेयमार्केट के शहीदों को याद किया जाए और श्रमिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाया जाए।

भारत में कैसे हुई शुरुआत

भारत में भी मजदूर दिवस का विशेष महत्व है। 1923 में पहली बार चेन्नई में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया। इस दिन चेन्नई में दो प्रमुख स्थानों पर मजदूर दिवस समारोह आयोजित किए गए। पहला आयोजन मद्रास हाई कोर्ट के सामने वाले समुद्र तट पर हुआ, जबकि दूसरा त्रिप्लिकेन समुद्र तट पर। इन सभाओं में सैकड़ों श्रमिकों ने हिस्सा लिया और अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की।

खास बात यह रही कि इस दिन पहली बार भारत में मजदूर आंदोलन के प्रतीक के रूप में लाल झंडे का उपयोग किया गया, जो श्रमिक एकजुटता और संघर्ष का प्रतीक बन गया। कम्युनिस्ट नेता मलयपुरम सिंगारवेलु चेट्टियार ने इस अवसर पर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मांग की गई कि भारत सरकार हर साल 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में राष्ट्रीय अवकाश घोषित करे।

यह भी देखें : जब गांधी ने श्रमिकों की मांग को लेकर, मोटरकार में बैठना छोड़ दिया

TAGGED:Haymarket Square demonstrationLabor Day
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