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दुनिया

पाकिस्तानी सेना की ‘ब्रेन फैक्ट्री’ क्वेटा पर बलूचों का कूच, शाहबाज सरकार ने किया इंटरनेट बंद

पूनम ऋतु सेन
Last updated: April 5, 2025 5:48 pm
पूनम ऋतु सेन
Byपूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की...
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द लेंस डेस्क। बलूचिस्तान में तनाव एक बार फिर अपने चरम पर पहुँच गया है, यहां बलूच विद्रोहियों की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बलूचिस्तान नेशनल पार्टी मेंगल (बीएनपी-मेंगल) ने 6 अप्रैल को क्वेटा की ओर मार्च करने की घोषणा की है। पार्टी के अध्यक्ष सरदार अख्तर मेंगल ने यह कदम उठाया है और अपनी गिरफ्तार नेता महरंग बलोच व अन्य कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए आवाज उठाया है।

इस ऐलान ने पाकिस्तानी सेना और शहबाज़ शरीफ सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं क्योंकि क्वेटा न केवल बलूचिस्तान की राजधानी है बल्कि सेना का प्रमुख कमांड सेंटर और रणनीतिक गढ़ भी माना जाता है। बीएनपी-मेंगल ने अपने समर्थकों से वाध से शुरू होकर क्वेटा तक शांतिपूर्ण मार्च में शामिल होने का आह्वान किया है।

मेंगल ने कहा ‘हम बलूचिस्तान को और कुचलने नहीं देंगे। हमारी आवाज़ अब उनके कमांड सेंटर तक पहुँचेगी’ यह मार्च हाल ही में बलोच नेताओं की गिरफ्तारी और कथित तौर पर जबरन गायब करने की घटनाओं के जवाब में आयोजित किया जा रहा है जिसने बलोच समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। मेंगल ने चेतावनी दी कि अगर सेना ने इस प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की तो यह उनकी क्रूरता को उजागर करेगा।

क्वेटा में स्थित सैन्य ठिकाने और क्वेटा स्टाफ कॉलेज जिसे पाकिस्तानी सेना की “ब्रेन फैक्ट्री” कहा जाता है, बलूच विद्रोह को दबाने की रणनीतियों का केंद्र रहे हैं। अगर विद्रोही यहाँ तक पहुँचते हैं, तो यह सेना की साख और नियंत्रण पर गंभीर सवाल उठाएगा। हाल ही में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन के अपहरण जैसी घटनाओं ने पहले ही सेना को दबाव में ला दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्वेटा में प्रदर्शन सेना के लिए “अपने ही घर में चुनौती” जैसा होगा, जो उनकी रणनीतिक विफलता का प्रतीक बन सकता है।

पाकिस्तानी प्रशासन ने क्वेटा में धारा 144 लागू कर दी है और कई क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी गई हैं। सेना ने शहर के आसपास भारी सुरक्षा बल तैनात किए हैं, जिसमें सैनिकों के साथ-साथ बख्तरबंद वाहन भी शामिल हैं। दूसरी ओर बीएनपी-मेंगल और बलोच यकजेती कमेटी (बीवाईसी) ने अपने समर्थकों से शांतिपूर्ण रहने की अपील की है लेकिन यह भी कहा है कि किसी भी सैन्य दमन का जवाब देने के लिए वे तैयार हैं।

सोशल मीडिया पर बलूच समर्थकों ने इस कूच को ऐतिहासिक कदम बताया है। एक यूज़र ने लिखा, “क्वेटा तक मार्च हमारी ताकत का सबूत होगा। सेना अब छिप नहीं सकती।” वहीं कुछ लोगों ने हिंसा की आशंका जताई है जिसमें एक ने कहा, “यह बलूचिस्तान का निर्णायक मोड़ हो सकता है। सेना खूनखराबे से नहीं हिचकेगी।” बलोच कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह प्रदर्शन न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि वैश्विक मंच पर भी उनकी माँगों को सुना सकता है।

6 अप्रैल का यह मार्च दो दिशाओं में जा सकता है। अगर सेना बल प्रयोग करती है, तो हिंसा भड़क सकती है और बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे सशस्त्र समूह सक्रिय हो सकते हैं। वहीं अगर प्रदर्शनकारी क्वेटा पहुँचने में सफल रहे तो यह बलूच आंदोलन की बड़ी जीत होगी जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित कर सकती है। बलूचिस्तान में पहले से ही विद्रोह की आग सुलग रही है और यह कूच इस संघर्ष का अगला बड़ा अध्याय बन सकता है जो पाकिस्तानी सेना के लिए अब तक की सबसे कठिन चुनौती साबित हो सकता है।

TAGGED:armybalochistanbaloochmahrang balochPAKISTAN
Byपूनम ऋतु सेन
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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लगातार खबर कर रहीं हैं और सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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