अयोध्या। राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का बुधवार को 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) में अंतिम सांस ली। उन्हें 3 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक के बाद भर्ती कराया गया था।
आचार्य सत्येंद्र दास 20 वर्ष की आयु से ही राम मंदिर में सेवा दे रहे थे और 1993 से लगातार रामलला के मुख्य पुजारी के रूप में कार्यरत थे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से जारी बयान में बताया गया कि आचार्य सत्येंद्र दास का साकेतवास माघ पूर्णिमा के पावन दिन सुबह लगभग 7 बजे हुआ। मंदिर प्रशासन और अन्य धार्मिक संगठनों ने उनके निधन पर गहरी संवेदना प्रकट की है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट कर पुजारी आचार्य सत्येन्द्र कुमार दास के निधन पर दुख व्यधक्त किया।
जानिए, आचार्य सत्येंद्र दास कैसे बने रामलला के मुख्य पुजारी
आचार्य सत्येंद्र दास ने 33 साल तक रामलला की पूजा-अर्चना की। 1 मार्च 1992 को उन्होंने राम मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में कार्यभार संभाला था। इसी समय अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन आंदोलन चरम पर था। 1992 में जब वे रामलला के मुख्य पुजारी बने, तब राम जन्मभूमि की व्यवस्था जिला प्रशासन के हाथ में थी। तत्कालीन पुजारी लालदास को हटाने की चर्चा चल रही थी। बाद में मुख्य अर्चक के तौर पर आचार्य सत्येंद्र दास को नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बने राम जन्मभूमि मंदिर में भी वह मुख्य पुजारी की भूमिका में दिखे।
…जब रामलला के सुरक्षा कवच बने आचार्य सत्येंद्र दास
आचार्य सत्येंद्र दास ने 1 मार्च 1992 को राम मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में कार्यभार संभाला था। इसके करीब नौ महीने बाद अयोध्या में कारसेवा शुरू हुई। 6 दिसंबर 1992 को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की अगुवाई में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई आचार्य सत्येंद्र दास ने राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और विश्व हिंदू परिषद तथा बजरंग दल के साथ मिलकर भी मोर्चा संभाला। बाबरी विध्वंस के दिन जब माहौल तनावपूर्ण हो गया, तब आचार्य सत्येंद्र दास परिसर में ही मौजूद थे। जैसे ही कारसेवकों ने ढांचे को गिराना शुरू किया गर्भगृह में रखी रामलला की प्रतिमा पर मलबा गिरने लगा। स्थिति बिगड़ती देख उन्होंने रामलला की मूर्ति को गोद में उठाया और सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया।
शिक्षक की नौकरी छोड़कर बने राम मंदिर के पुजारी
आचार्य सत्येंद्र दास राम मंदिर के प्रधान पुजारी से पहले शिक्षक थे। वर्ष 1975 में उन्होंने संस्कृत विद्यालय से आचार्य की उपाधि प्राप्त की और फिर संस्कृत महाविद्यालय के व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त हुए। शिक्षण कार्य के दौरान भी उनका अयोध्या के राम मंदिर से गहरा जुड़ाव बना रहा। वे नियमित रूप से वहां जाते रहे। वर्ष 1992 में जब उन्हें राम मंदिर के मुख्य अर्चक की जिम्मेदारी सौंपी गई, तब से उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन रामलला की सेवा में समर्पित कर दिया।