रायपुर। छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर के रावतपुरा मेडिकल कॉलेज से जुड़े घूसकांड में अब सीबीआई के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री हो गई है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर आज 10 राज्यों के करीब 16 ठिकानों पर छापे मारे गए हैं।
मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने और निरीक्षण रिपोर्टों में हेराफेरी के बदले कथित रूप से करोड़ों की रिश्वत के बड़े घोटाले में यह छापा मारा गया है। 7 मेडिकल कॉलेज इसकी जद में आए हैं। गुरुवार को हुई इस देशव्यापी कार्रवाई से मेडिकल-एजुकेशन सेक्टर में हड़कंप मच गया है।
ED की टीम ने सुबह से ही दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, बिहार, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में दबिश दी। छापे उन स्थानों पर मारे गए, जहां मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन, दलालों, निरीक्षण से जुड़े डॉक्टरों और संबंधित संस्थाओं के दफ्तर शामिल बताए जाते हैं।
30 जून 2025 को सीबीआई की एफआईआर के आधार पर छापे मारे गए हैं। इसमें छत्तीसगढ़ के रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज और डायरेक्टर अतुल तिवारी के घर में छापा पड़ा है। अतुल तिवारी को सीबीआई ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया था और फिलहाल वे जमानत पर हैं।
इस केस में सीबीआई ने करीब तीन महीने पहले चार्जशीट भी रायपुर सीबीआई कोर्ट में पेश की थी। सीबीआई ने जो एफआईआर दर्ज की थी उसमें करीब 34 लोगों के नाम एफआईआर में थे, लेकिन चार्जशीट में करीब 14 लोगों को ही आरोपी पाया गया।
दागी संजय शुक्ला अब भी हैं रेरा चेयरमैन
इस मामले में रावतपुरा सरकार ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी रविशंकर महाराज उर्फ रावतपुरा सरकार, पूर्व आईएफएस और छत्तीसगढ़ रेरा के चेयरमैन संजय शुक्ला और रायपुर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अतिन कुंडु का नाम भी आरोपी हैं।
इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि जब सीबीआई की तरफ से आरोपी बनाए जाने के बाद डॉ. अतिन कुंडु को सस्पेंड कर दिया गया है, तो रेरा चेयरमैन संजय शुक्ला अब तक क्यों अपने पद पर बने हुए हैं। रेरा चेयरमैन के नाते हर दिन कई मामलों की सुनवाई संजय शुक्ला बतौर जज सुनते हैं और उस पर फैसला देते हैं। हालांकि अब ईडी भी उन्हें तलब कर सकती है।
कई मेडिकल कॉलेज ने भी दी घूस
रावतपुरा मेडिकल कॉलेज के केस को आधार बनाकर जब एजेंसी ने जांच शुरू की तो पता चला कि कई मेडिकल कॉलेजों ने निरीक्षण के दौरान रिपोर्ट को प्रभावित करने, कमियों को छिपाने और मान्यता प्राप्त करने के लिए रिश्वत का सहारा लिया।
इसी कड़ी में कई कॉलेज अधिकारियों, बिचौलियों और कुछ डॉक्टरों के बीच लेन-देन के सबूत मिलने की बात भी सामने आई है।
ED के अधिकारियों ने कार्रवाई के दौरान संदिग्ध लेन-देन से जुड़े दस्तावेज, डिजिटल डेटा, मोबाइल-लैपटॉप और कुछ संदिग्ध खाताबही कब्जे में लिए हैं। इनकी फॉरेन्सिक जांच की जाएगी।
एजेंसी का मानना है कि यह मेडिकल कॉलेज घूसकांड देशभर में फैले एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है। ED बैंक खातों, शेल कंपनियों और हवाला के जरिए हुए लेन-देन की भी जांच कर सकती है।
माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई लोगों से पूछताछ और कुछ गिरफ्तारियों की भी संभावना है। मेडिकल कॉलेजों की मान्यता सीधे तौर पर भावी डॉक्टरों की शिक्षा और मरीजों की सुरक्षा से जुड़ी होती है। इसीलिए निरीक्षण रिपोर्टों में कथित हेराफेरी और रिश्वतखोरी को बेहद गंभीर माना जा रहा है।
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