रायपुर। देश की दस बड़ी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की ओर से लागू की गईं चारों श्रम संहिताओं को मजदूरों के साथ सबसे बड़ा धोखा बताया है और 26 नवंबर को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन व हड़ताल का ऐलान किया है।
जो चार श्रम संहिता लागू की गई है वो वेतन,औद्योगिक, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशा से जुड़ी है।
ट्रेड यूनियनों का कहना है कि ये नई संहिताएं मजदूरों के सारे पुराने अधिकार छीन लेती हैं, हड़ताल करना लगभग नामुमकिन कर देती हैं, ठेका मजदूरी बढ़ाती हैं और कंपनियों को मनमाने ढंग से कर्मचारियों को निकालने की छूट देती हैं।
सरकार ने इन कानूनों को बिना ट्रेड यूनियनों से बातचीत किए, एकतरफा तरीके से लागू कर दिया। पिछले 10 साल से भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) नहीं बुलाया गया। करोड़ों मजदूरों की हड़तालों के बावजूद सरकार नहीं मानी।
आपको बता दें कि पहले भी इन श्रम संहिताओं के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ था। 2020 में 26 नवंबर को किसानों के साथ मिलकर ऐतिहासिक हड़ताल हुई थी। 9 जुलाई 2025 को 25 करोड़ से ज्यादा मजदूरों ने हड़ताल की थी।
ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के संयोजक धर्मराज महापात्र ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि ये संहिताएं लागू हुईं तो आने वाली पीढ़ियां भी माफ नहीं करेंगी। यह मेहनतकश लोगों पर खुला युद्ध है, जिसका सबसे बड़ा और एकजुट जवाब दिया जाएगा।
बैठक में इंटक नेता संजय साहू, दीनानाथ सिंह,ऐक्टू के बृजेंद्र तिवारी, एटक के विनोद सोनी, बीमा कर्मचारियों के नेता सुरेन्द्र शर्मा, राजेश पराते, छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शास कर्मचारी संघ के नेता तिलक यादव, देवेंद्र साहू, केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के नेता दिनेश पटेल, एच एम एस नेता एच एस मिश्रा, संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल के नेता वी एस बघेल प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।

