नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम आने के एक दिन बाद ही भाजपा ने अपना ध्यान अपने बागी नेताओं पर केंद्रित कर दिया है। अडानी को 62 हजार करोड़ का लाभ पहुंचाने का आरोप लगाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के वरिष्ठ नेता आरके सिंह उन तीन नेताओं में शामिल हैं जिन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निलंबित कर दिया गया है। पार्टी की कार्रवाई का सामना करने वाले अन्य दो नेता विधान परिषद सदस्य अशोक अग्रवाल और कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल हैं।
अडानी वाले मामले पर द लेंस से आरके सिंह विस्तार से बात की थी देखिए वो वीडियो
बिहार भाजपा के राज्य मुख्यालय प्रभारी अरविंद शर्मा ने आज सुबह नेताओं को नोटिस जारी कर उनके निलंबन की जानकारी दी और एक सप्ताह के भीतर यह बताने को कहा कि उन्हें पार्टी से क्यों न निष्कासित कर दिया जाए।
सिंह और अग्रवाल को भेजे गए कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, “आप पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। यह अनुशासन के दायरे में आता है। पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है। इससे पार्टी को नुकसान हुआ है। इसलिए, निर्देशानुसार, आपको पार्टी से निलंबित किया जा रहा है और यह बताने के लिए कहा गया है कि आपको पार्टी से क्यों न निष्कासित कर दिया जाए। इसलिए, कृपया इस पत्र की प्राप्ति के एक सप्ताह के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।”
सूत्रों का कहना है कि उनका निलंबन महज एक प्रक्रिया है और अंततः उन्हें निष्कासित कर दिया जाएगा। बिहार के आरा से पूर्व सांसद सिंह 2024 का चुनाव हारने के बाद से ही भाजपा और सरकार की आलोचना करते रहे हैं। वे एनडीए नेतृत्व पर सवाल उठाते रहे हैं और बिहार सरकार पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं।
पूर्व राजनयिक, सिंह, मनमोहन सिंह के कार्यकाल में गृह सचिव थे। वे 2013 में भाजपा में शामिल हुए और 2014 और 2019 में आरा से दो बार सांसद चुने गए। 2017 में, उन्हें मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ऊर्जा मंत्री बनाया गया। 2024 के लोकसभा चुनाव में वे अपनी सीट हार गए। आर के सिंह से जब इस पर द लेंस ने प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उनका मोबाइल स्वौच ऑफ मिला।

