PAID PERIOD LEAVE: कर्नाटक सरकार ने महिलाओं के स्वास्थ्य और कार्य-जीवन संतुलन को मजबूत करने के लिए ‘पीरियड लीव पॉलिसी 2025’ को औपचारिक रूप से अमल में ला दिया है। इस नीति के तहत राज्य के सरकारी कार्यालयों, निजी कंपनियों और औद्योगिक इकाइयों में कार्यरत महिलाओं को वर्ष भर में 12 पेड छुट्टियां प्रदान की जाएंगी, यानी प्रति माह एक दिन की मासिक धर्म अवकाश। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कैबिनेट ने पिछले माह इस प्रस्ताव पर हरी झंडी दिखाई थी और अब आधिकारिक अधिसूचना जारी होने से यह सभी क्षेत्रों में अनिवार्य हो गया है।
यह कदम महिलाओं की शारीरिक असुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कार्यस्थलों पर समावेशी माहौल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। राज्य के श्रम विभाग के अनुमान के मुताबिक इस नीति से लगभग 60 लाख कामकाजी महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा जिनमें से 25 से 30 लाख कॉर्पोरेट क्षेत्र में जुटी हुई हैं। नीति को अंतिम रूप देने से पूर्व एक 18 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने गहन अध्ययन किया जिसमें मासिक धर्म के दौरान होने वाली शारीरिक चुनौतियों, तनाव और आराम की आवश्यकता पर विस्तृत विश्लेषण शामिल था।
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के विधि विभाग की प्रमुख सपना एस के नेतृत्व में बनी इस समिति ने विभिन्न विभागों, संगठनों और महिला-प्रधान उद्योगों जैसे कपड़ा क्षेत्र से फीडबैक लिया, ताकि नीति के संभावित प्रभावों का सही आकलन हो सके। श्रम विभाग अब सभी नियोक्ताओं के साथ बैठकें आयोजित कर इस नियम की जानकारी और अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
कर्नाटक अब उन चुनिंदा राज्यों की कड़ी में शामिल हो गया है, जहां पीरियड लीव को मान्यता दी जाती है, जैसे बिहार में महिलाओं को मासिक दो छुट्टियां और ओडिशा में हालिया सरकारी विभागों के लिए एक छुट्टी की व्यवस्था। कर्नाटक के श्रम मंत्री संतोष लाड ने कहा कि विभाग पिछले एक वर्ष से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा था और विभिन्न पक्षों की आपत्तियों को भी संबोधित किया गया। उन्होंने कहा कि लंबे कार्यदिवसों में महिलाओं का तनाव कम करने के लिए यह प्रगतिशील कदम आवश्यक था, तथा गलत उपयोग न हो, इसके लिए निगरानी रखी जाएगी। भविष्य में आवश्यकतानुसार अतिरिक्त प्रावधान जोड़े जाएंगे ताकि नीति और प्रभावी बने।

