लेंस डेस्क। जोहरन ममदानी ने न्यूयॉर्क के मेयर का चुनाव जीतकर अमेरिकी राजनीति में हलचल मचा दी है। उनकी इस बड़ी सफलता ने दक्षिणपंथी और वामपंथीं विचारों की पुरानी लड़ाई को फिर से शुरू कर दिया है। कुछ लोग इसे ट्रंप के खिलाफ लोगों की नाराजगी और लोकतांत्रिक समाजवादियों की बढ़ती ताकत मान रहे हैं, तो कुछ इसे मार्क्सवादी सोच के फैलाव के रूप में देखते हैं।
जोहरन ममदानी की जीत के बाद पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि जब हम सच्चे मुद्दों पर ध्यान देने वाले नेताओं के साथ खड़े होते हैं, तो जीत हासिल कर सकते हैं। अभी बहुत कुछ करना बाकी है, लेकिन आने वाला समय थोड़ा उम्मीद भरा लग रहा है। हालांकि, इस जीत से डेमोक्रेटिक पार्टी के अंदर का मतभेद भी साफ हो गया है। कुछ लोग ममदानी को पार्टी का नया चेहरा मानते हैं, तो कुछ उन्हें समाजवादी विचारों के बढ़ते दबदबे की निशानी बता रहे हैं।
गार्डियन ने लिखा है ममदानी और कुओमो पार्टी के दो अलग-अलग धड़ों का चेहरा हैं। पार्टी की लोकप्रियता पूरे देश में कम हो रही है। एक तरफ का समूह लोगों को बोरिंग और उदास लगता है, जबकि दूसरा पक्ष जोश, बड़े सपने और नई उम्मीद देता नजर आता है। न्यूयॉर्क के लोगों ने साफ संदेश दिया कि वे किस रास्ते पर चलना चाहते हैं।
वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे बड़े अखबारों ने इसे प्रगतिशील और समाजवादी डेमोक्रेट्स की नई शुरुआत बताया। एक जनवरी से ममदानी न्यूयॉर्क के मेयर बनेंगे। वे शहर के पहले मुस्लिम, पहले भारतीय मूल के, अफ्रीका में पैदा हुए और पिछले सौ साल में सबसे कम उम्र (34 साल) के मेयर होंगे। वे न्यूयॉर्क और पूरे अमेरिका में समाजवादी नेतृत्व की नई लहर के प्रतीक बन गए हैं।
भारतीय जड़ों वाले डेमोक्रेट ममदानी ने कड़े चुनाव में स्वतंत्र उम्मीदवार एंड्रयू कुओमो और रिपब्लिकन कार्टिस स्लिवा को हराया। कुओमो को राष्ट्रपति ट्रंप का साथ मिला था। ममदानी के साथ उनकी पार्टी की मिकी शेरिल न्यू जर्सी की गवर्नर बनीं, एबिगेल स्पैनबर्गर वर्जीनिया की गवर्नर चुनी गईं और भारत में जन्मी गजाला हाशमी उनकी डिप्टी बनेंगी।

