समाचार विश्लेषण
रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रायपुर में पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की ऐसी प्रशंसा कर गए हैं कि छत्तीसगढ़ भाजपा में खलबली ही नहीं मच गई बल्कि चर्चाएं शुरू हो गईं कि क्या नरेंद्र मोदी देश के नए भाजपा अध्यक्ष की तारीफ कर रहे थे या छत्तीसगढ़ में किसी बड़े फेरबदल का इशारा कर रहे थे?
डॉ.रमन सिंह की तारीफ में प्रधानमंत्री के शब्द थे – ‘डॉ. रमन सिंह इस बात का बहुत बड़ा उदाहरण हैं एक कार्यकर्ता अपने परिश्रम से,अपने समर्पण भाव से लोकतांत्रिक व्यवस्था को कितना सशक्त बना सकता है। क्रिकेट में तो देखते हैं कि जो कभी कैप्टन रहता है वह कभी टीम में खिलाड़ी बन के भी खेलता है, लेकिन राजनीति में ऐसा देखने को नहीं मिलता।ये उदाहरण रमन सिंह जी दे सकते हैं कि जो कभी कैप्टन हुआ करते थे, वो आज सच्चे स्पिरिट से छत्तीसगढ़ की सेवा के लिए समर्पित हर कार्यकर्ता के लिए प्रेरणा के रूप में कार्य कर रहे हैं।’
भाजपा में नरेंद्र मोदी के इस बयान में पंक्तियों के बीच कही गई इबारत को पढ़ा जा रहा है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को और कैसा होना चाहिए? उनका दावा था कि यदि ऐसा हुआ तो डॉ.रमन सिंह के नाम पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी सहमत होगा।
लेकिन ये सब एक राज्य की भाजपा के भीतर नरेंद्र मोदी के एक बयान से उपजी ऐसी अटकलें हैं जिनका आधार बस इतना है कि रमन सिंह की जैसी तारीफ इस बार नरेंद्र मोदी कर गए वैसी प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके मुंह से कभी भी सुनी नहीं गई।
दरअसल इस भाषण के बाद मंच से उतर कर नरेंद्र मोदी सीधे डॉ.रमन सिंह की पत्नी वीणा सिंह के पास भी पहुंचे और कुछ मिनट तक रुक कर उनका हालचाल जाना।
छत्तीसगढ़ भाजपा के नेताओं, कार्यकर्ताओं और भाजपा की राजनीति के प्रेक्षकों की डॉ.रमन सिंह की इस तारीफ से लेकर उनकी पत्नी के पास पहुंच कर हालचाल पूछने तक नरेंद्र मोदी के इस भाव पर ना केवल नजरें थीं बल्कि ये सभी इसमें इशारे ढूंढने की कोशिश भी कर रहे थे।
अटकलें जब शुरू होती हैं तो कोई आधार ना भी हों तो भी वो बहुत दूर तक निकल जाती हैं जैसे इस तारीफ के बाद कुछ लोगों को डॉ. रमन सिंह के रूप में पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष नजर आ रहे हैं तो कुछ लोगों को यह भी उम्मीद है कि बिहार चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में नेतृत्व के स्तर पर कोई फेरबदल भी हो सकता है।
ये सब तो अटकलें हैं और अभी इन्हें अटकलों जितने वजन के साथ ही देखा भी जा रहा है लेकिन एक वजनदार बात एक पुराने दिग्गज भाजपा नेता ने कही।
उन्होंने अपना नाम ना देने की शर्त के साथ कहा कि छत्तीसगढ़ भाजपा में एक तबका ऐसा भी है जिसे लगता है कि यहां पार्टी में सत्ता का सिर्फ एक केंद्र है और वह केंद्र हैं – मुख्यमंत्री।
इस नेता ने कहा कि किसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि हकीकत यह है कि छत्तीसगढ़ भाजपा में सत्ता के दो केंद्र हैं । एक केंद्र है सरकार जिसमें मुख्यमंत्री हैं,दो उप मुख्यमंत्री हैं ,एक ताकतवर मंत्री भी हैं तो दूसरा केंद्र हैं – डॉ.रमन सिंह।
उन्होंने कहा कि डॉ.रमन सिंह की पसंद के लोगों की नियुक्तियां भी हो रही हैं और उनके कैंप के काम भी। कहे कोई कुछ भी!
इस नेता का कहना था कि कोई नई नियुक्ति या कोई फेरबदल होगा या नहीं इसे केवल दिल्ली के दो लोग जानते हैं – एक स्वयं प्रधानमंत्री और दूसरे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह।बाकी सब अटकलें ही हैं लेकिन,यह तय है कि नरेंद्र मोदी डॉ.रमन सिंह की जैसी तारीफ कर गए हैं,वो भाजपा की राजनीति में दर्ज हो गई है। बल्कि यह कहना ज्यादा सही होगा कि नरेंद्र मोदी, डॉ.रमन सिंह नाम के इस दूसरे सत्ता–केंद्र को ताकत दे गए हैं, ऊर्जा दे गए हैं!
दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार के कामकाज के ढर्रे को लेकर और इक्का–दुक्का को छोड़ दें तो अधिकांश मंत्रियों के ढीले–ढाले परफॉर्मेंस को लेकर विपरीत चर्चाएं हैं।
एक नौकरशाह ने तो यहां तक कहा कि दो–दो उपमुख्यमंत्रियों और एक ताकतवर मंत्री की उपस्थिति के कारण एक अजीब सा असमंजस है और इससे नौकरशाही भी प्रभावित है। यह माना जाता है कि अगर फैसले सिर्फ मुख्यमंत्री की मेज से हों तो काम की रफ्तार बढ़ेगी, कोई मुख्यमंत्री भी पूरे अधिकार के साथ फैसले करेंगे, लेकिन तीन या चार लोगों के इस कथित सामूहिक नेतृत्व से फैसलों में ना तो मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की छाप नजर आती है, ना ही सरकार में कसावट ही। इस बात से सहमत एक अन्य नेता की टिप्पणी थी कि बेहतर होता कि सरकार का सिर्फ एक मुखिया होता।
नरेंद्र मोदी जिस तरह डॉ. रमन सिंह की तारीफ कर गए हैं उसके बाद अटकलों में शामिल भाजपा के ही लोग उनके तीन कार्यकाल और उनकी लोकप्रियता से लेकर उनके कद तक अच्छा ही अच्छा ढूंढने लगे हैं।
डॉ. रमन सिंह का भी खेमा नरेंद्र मोदी के इस दौरे के बाद से बेहद उत्साहित है लेकिन दूसरी ओर वो खेमे जो सरकार चला रहे हैं खासतौर पर जो इन दिनों विष्णुदेव साय के साथ अपनी राजनीति संवारते दिख रहे हैं, बेचैन हैं। इनमें खलबली है और टीवी,यूट्यूब से लेकर अखबारों तक ने डॉ. रमन सिंह की इस तारीफ को जो तवज्जो दी और दूसरी ओर ऐसी सुर्खियां पाने में विष्णु देव साय जिस तरह वंचित नजर आए उससे यह बेचैनी और बढ़ी है।
यह बेचैनी दिलचस्प है और छत्तीसगढ़ भाजपा की राजनीति पर आगे भी नजर रखने का मौका देती है।
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