लेंस डेस्क। रास्ता सिर्फ हम आप ही नहीं ट्रेन भी भटक जाती है। जी हां, यह कारनामा कर दिखाया है भारतीय रेलवे की सबसे प्रीमियम ट्रेन वंदे भारत ने।
पश्चिम रेलवे की साबरमती-गुरुग्राम वंदे भारत स्पेशल ट्रेन (09401) रविवार को अपने निर्धारित 898 किलोमीटर के सफर के बजाय करीब 1,400 किलोमीटर का रास्ता तय कर गई। यह गलती ऑपरेशनल त्रुटि के कारण हुई, जिसके चलते ट्रेन को गलत रेक (ट्रेन सेट) के साथ रवाना कर दिया गया।
यह वंदे भारत ट्रेन, जो आमतौर पर साबरमती से अजमेर, जयपुर होते हुए गुरुग्राम तक 15 घंटे में पहुंचती है, महेसाणा के पास रुक गई। जांच में पता चला कि गलत ट्रेन को गलत रास्ते पर भेज दिया गया था।
रोचक बात यह है कि इस घटना ने अनजाने में एक अनोखा “कीर्तिमान” स्थापित कर दिया। अब तक कोई भी वंदे भारत ट्रेन एक बार में इतनी लंबी दूरी नहीं चली थी। हालांकि, यह उपलब्धि गर्व का विषय नहीं, बल्कि रेलवे की गंभीर भूल का प्रतीक बन गई।
रेलवे ने अभी तक इस चूक के लिए किसी के खिलाफ कार्रवाई की बात नहीं कही है। यात्रियों का कहना है कि ऐसी घटनाएं वंदे भारत जैसी तेज और विश्वसनीय ट्रेन की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती हैं।
कैसे हुई गलती?
दरअसल, इस रूट के लिए रेलवे ने ऐसा रेक भेजा, जिसमें हाई-रीच पैंटोग्राफ नहीं था। पैंटोग्राफ वह उपकरण है, जो इलेक्ट्रिक ट्रेनों को ऊपरी तारों (OHE) से बिजली लेने में मदद करता है। समस्या यह थी कि साबरमती-अजमेर-जयपुर-गुरुग्राम रूट पर हाई-राइज OHE सिस्टम है, जहां तार सामान्य से अधिक ऊंचाई पर होते हैं। यह व्यवस्था डबल-स्टैक कंटेनर ट्रेनों के लिए की गई है, जिन्हें ज्यादा ऊंचाई चाहिए।
सामान्य रेल ट्रैकों पर बिजली के तार 5.5 मीटर ऊंचाई पर होते हैं, जबकि डबल-स्टैक रूट पर ये 7.45 मीटर तक ऊंचे होते हैं। ऐसे में बिना हाई-रीच पैंटोग्राफ की ट्रेन इस रूट पर चल ही नहीं सकती थी। जब यह गलती सामने आई, तब तक ट्रेन साबरमती से निकल चुकी थी।
रेलवे के पास कोई और रास्ता नहीं था, इसलिए ट्रेन को अहमदाबाद-उदयपुर-कोटा-जयपुर-मथुरा के रास्ते मोड़ दिया गया। यह रास्ता न केवल लंबा था, बल्कि काफी व्यस्त भी था। नतीजतन, 15 घंटे का सफर 28 घंटे तक खिंच गया और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
यात्रियों ने बताया कि बार-बार रुकावट और देरी के कारण सफर थकाऊ और निराशाजनक हो गया। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर रेलवे की इस लापरवाही पर गुस्सा जाहिर किया और सवाल उठाया कि इतनी आधुनिक ट्रेन में ऐसी गलती कैसे हो सकती है?
एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने स्वीकार किया कि यह एक “मूलभूत तकनीकी त्रुटि” थी, जिसे ट्रेन रवाना करने से पहले पकड़ लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि हाई-राइज OHE वाले रास्ते पर बिना उचित पैंटोग्राफ की ट्रेन चलाना असंभव था। यह पूरी तरह से योजना में हुई चूक थी।