लेंस डेस्क। 2025 का रसायन विज्ञान नोबेल पुरस्कार जापान के सुसुमु कितागावा, ऑस्ट्रेलिया के रिचर्ड रॉबसन और अमेरिका के ओमर एम. यागी को प्रदान किया गया है। स्वीडन की रॉयल साइंस अकादमी ने यह सम्मान उन्हें मेटल-ऑर्गैनिक फ्रेमवर्क्स (MOFs) के क्षेत्र में योगदान के लिए दिया।
ये विशेष क्रिस्टलीय सामग्रियां धातु आयनों और कार्बनिक अणुओं के संयोजन से बनती हैं, जो गैसों, दवाओं और रसायनों के भंडारण व शुद्धिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस खोज ने सामग्री विज्ञान और रसायन शास्त्र में नए द्वार खोले हैं।
वर्ष 1901 से 2024 तक 116 रसायन विज्ञान नोबेल पुरस्कार 195 व्यक्तियों को दिए जा चुके हैं। पिछले वर्ष, 2024 में यह पुरस्कार वाशिंगटन विश्वविद्यालय के जैव रसायन वैज्ञानिक डेविड बेकर और लंदन की गूगल डीपमाइंड लैब के कंप्यूटर वैज्ञानिक डेमिस हसाबिस व जॉन जम्पर को प्रदान किया गया था।
2025 के नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत सोमवार को हुई, जब चिकित्सा का पुरस्कार मैरी ई. ब्रुनको, फ्रेड रामस्डेल और शिमोन सकागुची को प्रतिरक्षा सहिष्णुता से जुड़ी उनकी खोजों के लिए दिया गया।
मेटल-ऑर्गैनिक फ्रेमवर्क्स ऐसी सामग्रियां हैं जो धातु और कार्बनिक अणुओं से निर्मित होती हैं। इनकी अनूठी विशेषता है इनका अत्यधिक छिद्रयुक्त ढांचा, जो गैसों, तरल पदार्थों और अणुओं को अवशोषित करने और संग्रह करने में सक्षम है।
इस खोज ने ऊर्जा संग्रह, पर्यावरण शुद्धिकरण, औषधि वितरण और गैस पृथक्करण जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। इसके अलावा, मंगलवार को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को क्वांटम टनलिंग पर उनके शोध के लिए दिया गया, जो डिजिटल संचार और कंप्यूटिंग की क्षमता को और सशक्त बनाता है।