darjeeling landslides: मानसून की विदाई के साथ ही उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। पश्चिम बंगाल के खूबसूरत हिल स्टेशन दार्जिलिंग में रविवार को हुई मूसलाधार बारिश ने भयानक भूस्खलन आया जिससे अब तक 24 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें सात मासूम बच्चे भी शामिल हैं। कई लोग अभी भी मलबे में दबे हुए बताए जा रहे हैं, जबकि भूस्खलन ने दर्जनों घरों को नेस्तनाबूद कर दिया।
स्थानीय लोग इसे 1998 के बाद की सबसे भयावह बारिश बता रहे हैं जब 24 घंटों में करीब 16 इंच पानी गिर चुका था। दार्जिलिंग और पड़ोसी सिक्किम का सड़क संपर्क देश के बाकी हिस्सों से पूरी तरह कट गया है। दार्जिलिंग-कर्सियांग के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारी मलबा गिरने से रास्ता अवरुद्ध हो गया तो मिरिक और दूधिया के पास लोहे का पुल टूटने से वैकल्पिक मार्ग भी बंद हो चुका है। नतीजा? हजारों पर्यटक पहाड़ियों में फंसकर परेशान हैं। राहत कार्य तेज हैं लेकिन लगातार बारिश ने बचाव टीमों का काम मुश्किल कर दिया है।
अलीपुरदुआर में रेल पटरियां पानी में डूबने से तीन ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं। दार्जिलिंग और कालिम्पोंग के मशहूर चाय बागानों पर भी पानी की मार पड़ी है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका है। मौसम विभाग ने मंगलवार सुबह तक दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, जलपाईगुड़ी और कूचबिहार में भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है, जिससे भूस्खलन का खतरा और बढ़ सकता है। इधर जम्मू-कश्मीर में भी बादल गरज रहे हैं। मौसम विभाग के अलर्ट के बाद स्कूल शिक्षा निदेशालय ने 6 और 7 अक्टूबर को सभी सरकारी व निजी स्कूल बंद करने का ऐलान किया है। ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी की आशंका है, जबकि मैदानी हिस्सों में भारी बारिश से बाढ़ और भूस्खलन का डर मंडरा रहा है।