रायपुर। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) ने गोदावरी इस्पात फैक्ट्री दुर्घटना की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की है। इस जांच में सभी केंद्रीय श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग के साथ मृत श्रमिकों के परिवार को डेढ़ करोड़ रुपए का मुआवजा राशि, उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी और उनके बच्चों के शिक्षा का दायित्य प्रबंधन पर दिए जाने की मांग की।
सीटू की छत्तीसगढ़ राज्य समिति ने इस पूरे मामले में राज्य के श्रम विभाग और औद्योगिक सुरक्षा विभाग के साथ ही फैक्ट्री प्रबंधन को दोषी बताया।
समिति के अध्यक्ष एसएस बैनर्जी ने कहा कि इसके पहले भी हादसे हुए हैं और इन हादसों के पीछे सरकार की नाकामी वजह है। सरकार की नाकामियों की वजह से उचित सुरक्षा के अभाव में तकनीकी कार्यों के लिए भी कम पैसे में ठेका मजदूरों की नियुक्ति और अधिकाधिक मुनाफे की अंधी होड़ में मजदूरों को जान गंवानी पड़ रही है।
सीटू के सचिव धर्मराज महापात्रा ने कहा कि इसके पहले भी गोदावरी इस्पात सहित कई फैक्ट्रियों में दुर्घटना हुई है। इन दुर्घटनाओं की जांच रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई। न ही जांच रिपोर्ट में पाई गई कमियों में किसी तरह का सुधार किया गया।
धर्मराज महापात्रा ने कहा कि कभी भी इस तरह के हादसों के दोषी मालिक दंडित किए गए और न ही सुरक्षा उपाय के लिए जिम्मेदार औद्योगिक सुरक्षा विभाग के अधिकारी की जवाबदेही तय की गई और न राज्य सरकार की ओर से कोई सार्थक कदम उठाए गए।
सीटू की तरफ से कहा गया कि सरकार केवल दुर्घटना घटने के बाद शोक व्यक्त करते हुए अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लेती है। राज्य सरकार पर श्रम कानून के अमल के मामले में भी मालिकपरस्ती का आरोप लगाते हुए सीटू ने कहा कि सरकार वास्तव में मजदूरों की जान की कीमत की परवाह किए बिना मालिकों को संरक्षण प्रदान करने का काम कर रही है।
सीटू ने सभी उद्योगों में श्रमिकों के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने की मांग करते हुए ऐसी दुर्घटना के लिए केवल एफआईआर नहीं निश्चित समयावधि में दोषी प्रबंधकों के खिलाफ मुकदमा का शीघ्र निपटारा कर सजा के लिए भी ठोस नीति की मांग की।
सीटू ने गोदावरी इस्पात के श्रमिकों के आंदोलन का पूर्ण समर्थन करते हुए इन मांगो के पूर्ण न होने पर पूरे प्रदेश में आंदोलन का विस्तार करने की चेतावनी दी।