रायपुर। सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी से राहत वाली याचिका खारिज होने के बाद राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने पूर्व आबकारी आयुक्त और रिटायर्ड IAS निरंजन दास को गिरफ्तार कर लिया है। ईओडब्ल्यू चीफ ने इसकी पुष्टि की है।
ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तारी के बारे में बताया कि निरंजन दास पर आरोप है कि विभाग प्रमुख के तौर पर उन्होंने विभाग में सक्रीय सिंडिकेट को सहयोग किया। निरंजन दास के सहयोग से शासकीय शराब दुकानों में अन एकाउंटेड शराब की बिक्री, अफसरों के ट्रांसफर, टेंडर प्रक्रिया में हेर फेर, दोषपूर्ण शराब नीति लाने को सिंडिकेट ने अंजाम दिया।
इसके अलावा सिंडिकेट को लाभ पहुंचाते हुए उसके एवज में करोड़ों का लाभ भी प्राप्त किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाले से जुड़े मामले में पेश कई याचिकाएं खारिज कर दी थीं। अदालत ने शराब घोटाले के 6 अफसरों पर किसी भी तरह का एक्शन नहीं लेने के आदेश दिए थे। इसमें निरंजन दास का भी नाम था, लेकिन, अब उन याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसके तहत गिरफ्तारी जैसे कदम उठाने पर रोक थी।
26 अगस्त को EOW ने रायपुर कोर्ट में छठवां आरोप पत्र दाखिल किया था। यह आरोप पत्र जांच में विदेशी शराब पर लिए गए कमीशन पर आधारित थी। इसी में निरंजन दास का नाम था। जैसा कि पहले जांच में यह स्पष्ट हुआ था कि तत्कालीन समय में आबकारी विभाग में एक सिंडिकेट एक्टिव था, जिसमें प्रशासनिक अधिकारी अनिल टुटेजा, अरुण पति त्रिपाठी, निरंजन दास के साथ अनवर ढेबर शामिल थे।
कोर्ट ने शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश में दर्ज दो मामलों को एक ही प्रकृति का मानते हुए अगली सुनवाई तक एक्शन नहीं लेने का आदेश दिया था, लेकिन अब सुनवाई के बाद दोनों ही केस की प्रकृति अलग-अलग मानते हुए कोर्ट ने लगी सारी याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में ईडी और ईओडब्ल्यू को जांच पूरी करने के लिए समय सीमा भी तय कर दी है। दोनों जजों की बेंच ने कहा है कि ईडी तीन महीने में और ईओडब्ल्यू दो महीने में अपनी जांच पूरी करे।