लेंस डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना और अन्य हास्य कलाकारों को दिव्यांगों पर आपत्तिजनक मजाक करने के लिए कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि हास्य जीवन का हिस्सा है लेकिन किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना स्वीकार्य नहीं है। SC ON COMEDIANS
कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जो क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने दायर की थी। इस याचिका में समय रैना, विपुल गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर और निशांत जगदीश तंवर जैसे कॉमेडियनों द्वारा स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (एसएमए) और दिव्यांगों पर बनाए गए मजाक को लेकर आपत्ति जताई गई थी।
कोर्ट ने इन कलाकारों को अपने यूट्यूब चैनल पर बिना शर्त माफी मांगने और भविष्य में सजा पर विचार करने का निर्देश दिया।यह मामला ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ शो से जुड़े विवाद के साथ भी जोड़ा गया जिसमें यूट्यूबर रणवीर अलाहबादिया पर भी आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए कार्रवाई हुई थी।
फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि सभी कॉमेडियनों ने माफी मांग ली है, और यह एक सकारात्मक कदम है। हालांकि जस्टिस कांत ने चेतावनी दी कि हर बार किसी फाउंडेशन को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़े यह सही नहीं है। उन्होंने कहा “आज यह दिव्यांगों के बारे में है, कल यह महिलाओं, बच्चों या बुजुर्गों के बारे में हो सकता है। इसका अंत कहां होगा?”
कोर्ट ने केंद्र सरकार से सोशल मीडिया और ऑनलाइन सामग्री के लिए दिशानिर्देश बनाने को कहा जो किसी एक घटना का जवाब न हो बल्कि भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखकर व्यापक हो। जस्टिस बागची ने कहा “भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जहां कई समुदाय रहते हैं। जब आप हास्य को कमाई का जरिया बनाते हैं, तो आपको किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है।”
कोर्ट ने सुझाव दिया कि कॉमेडियन अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल दिव्यांगों और दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए जागरूकता फैलाने में करें। सभी कॉमेडियनों ने इस सुझाव पर सहमति जताई। कोर्ट ने आदेश दिया कि समय रैना और अन्य कलाकार अपने चैनलों पर माफी प्रकाशित करें और सजा या जुर्माने के बारे में कोर्ट को सूचित करें। यह मामला नवंबर में फिर से सुनवाई के लिए आएगा जब केंद्र सरकार नए दिशानिर्देश पेश करेगी।