नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर अब तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गई है। विपक्षी दलों यानी इंडिया ब्लॉक ने आज जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम की घोषणा कर दी है। इससे पहले एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन के नाम की घोषणा कर चुकी है। इन नामों की घोषणा के साथ ही इतना तो तय हो गया है कि अब अगला उपराष्ट्रपति दक्षिण भारत से ही होगा।
विपक्षी गठबंधन India Block ने जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। इनका नाम कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 10 राजाजी मार्ग पर हुई बैठक के बाद घोषित किया। जस्टिस रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं। आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले में 8 जुलाई 1946 को इनका जन्म हुआ। उन्होंने 1971 में आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में वकील के तौर पर शुरुआत की और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में रिट व सिविल मामलों में काम किया।
1988-90 में वे हाईकोर्ट में सरकारी वकील रहे और 1990 में केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील भी रहे। 1995 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश बनाया गया, फिर 2005 में गौहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और 2007 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। 2011 में वे रिटायर हुए। यानी, कानून और न्याय के क्षेत्र में उनका लंबा और शानदार अनुभव है। वे 21 अगस्त को अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
एनडीए के उम्मीदवार तमिलनाडु से

वहीं, इससे पहले एनडीए ने चंद्रपुरम पोन्नुस्वामी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार चुना है। वे वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और पहले झारखंड के भी राज्यपाल रह चुके हैं। उनका जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में हुआ था। राधाकृष्णन ने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्री ली है और 1974 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की।
1996 में वे तमिलनाडु बीजेपी के सचिव बने और 1998 व 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। सांसद रहते हुए उन्होंने कपड़ा, वित्त और स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच जैसी अहम संसदीय समितियों में काम किया। 2004 से 2007 तक वे तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष रहे और 93 दिनों की 19,000 किलोमीटर की रथ यात्रा निकाली, जिसमें नदियों को जोड़ने, आतंकवाद खत्म करने और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे उठाए गए।
आखिर दक्षिण भारतीय चेहरा क्यों?
आखिर उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए दोनों तरफ से दक्षिण भारत का चेहरा क्यों? तो इसका सीधा जवाब है ‘मिशन साउथ’! भाजपा दक्षिण भारत में अपनी पकड़ बढ़ाना चाहती है, खासकर तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों में, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राधाकृष्णन जैसे नेता को चुनकर भाजपा एक राजनीतिक संदेश दे रही है, “हम दक्षिण को भूले नहीं हैं।”
राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय से हैं, तो भाजपा इससे ओबीसी वोटों को साधने की कोशिश कर रही है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तो यह भी कह चुके थे कि वे सभी दलों से बात करेंगे ताकि चुनाव निर्विरोध हो जाए। लेकिन विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने अपनी तरह से उम्मीदवार देकर यह साबित कर दिया कि अगला उपराष्ट्रपति का चयन चुनाव से ही होगा। दरअसल, इंडिया ब्लॉक यह बताना चाहता है कि दक्षिण भारत में वह किसी कीमत पर हार मानने के मूड में नहीं है।
हालांकि, सीटों का गणित देखें तो पूरी तरह से एनडीए के पक्ष में है। आंध्र में लोकसभा की कुल 25 सीटों में से 16 टीडीपी के पास हैं। वाईएसआरसीपी के पास दो और भाजपा की तीन सीटें हैं। वहीं, राज्यसभा की 11 सीटें हैं, जो भी एनडीए की हैं या उनके समर्थन में हैं।
ऐसे में सवाल यह है कि इंडिया ब्लॉक ने आंध्र प्रदेश से जुड़े पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित करके भाजपा को क्या संदेश देना चाहता है?
इंडिया ब्लॉक भाजपा को बता रहा है कि वे वैचारिक लड़ाई लड़ेंगे और न्यायपालिका की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर मजबूती से खड़े हैं। चूंकि आंध्र प्रदेश में एनडीए की सरकार है और वाईएसआरसीपी भी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन दे रही है, इंडिया ब्लॉक ने आंध्र से उम्मीदवार चुनकर वहां के लोगों और विपक्षी दलों को संदेश दिया है कि वे एनडीए के दबाव में नहीं झुकेंगे। साथ ही इसे एक मनोवैज्ञानिक दबाव के रूप में भी देखा जा रहा है कि आंध्र में संख्या बल न होने के बाद भी उनके बीच से इंडिया ब्लॉक ने उम्मीदवार चुना है। इंडिया ब्लॉक का संदेश है कि वह क्षेत्रीय राजनीति में भी सक्रिय है और भाजपा को हर स्तर पर चुनौती देगा।
क्या कहता है वोटों का गणित
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 782 सांसद वोट डालेंगे। 542 लोकसभा से और 240 राज्यसभा से। जीत के लिए कम से कम 392 वोट चाहिए। अगर पहली गिनती में कोई नहीं जीता, तो कम वोट वाले उम्मीदवार के वोट दूसरी पसंद पर शिफ्ट हो जाते हैं।
एनडीए के उम्मीदवार राधाकृष्णन की जीत की संभावना क्यों ज्यादा है? क्योंकि एनडीए के पास 427 वोट हैं। लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 134। ये बहुमत 392 से कहीं ज्यादा है। विपक्ष यानी इंडिया ब्लॉक के पास सिर्फ 355 वोट हैं, लोकसभा में 249 और राज्यसभा में 106 वोट।