नई दिल्ली। देश बंटवारे के लिए तीन लोग जिम्मेदार हैं, मोहम्मद अली जिन्ना, लॉर्ड माउंटबेटन और जवाहरलाल नेहरू। यह बताया गया है NCERT के एक पाठ्यक्रम में। इस किताब को लेकर अब राजनीतिक विवाद शुरू हो गई है और कांग्रेस ने विरोध जताते हुए कहा है कि ऐसी किताब को आग लगा देना चाहिए, वहीं बीजेपी इसे ठीक ठहराते हुए कांग्रेस पर हमलावर है।
एनसीईआरटी ने दो अलग-अलग मॉड्यूल तैयार किए हैं। पहला मॉड्यूल कक्षा 6 से 8 के लिए और दूसरा कक्षा 9 से 12 के लिए है। इनमें जवाहरलाल नेहरू को भी बंटवारे का जिम्मेदार बताया गया है। यह किताब एनसीईआरटी की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है और जल्द ही इसे छापकर स्कूलों में वितरित किया जाएगा। कक्षा 6 से 8 के लिए यह किताब सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम के साथ जोड़ी जाएगी।
एनसीईआरटी के विशेष मॉड्यूल नियमित पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होते। ये पूरक सामग्री हैं, जो किसी खास विषय को समझाने के लिए तैयार की जाती हैं। इन्हें पोस्टर, चर्चा और वाद-विवाद के जरिए पढ़ाया जाता है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर को भी विशेष मॉड्यूल में शामिल किया गया था।
किताब में क्या है?

किताब में तीन प्रमुख व्यक्तियों की तस्वीरें दी गई हैं, जिनमें नेहरू, जिन्ना और माउंटबेटन शामिल हैं। किताब में लिखा है। ‘जिन्ना ने पाकिस्तान के गठन की मांग उठाई थी। कांग्रेस ने जिन्ना की मांग के सामने झुककर बंटवारे को स्वीकार किया। माउंटबेटन ने बंटवारे की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया।‘

इसके अलावा, किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक उद्धरण भी शामिल है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बंटवारे का दर्द कभी नहीं भुलाया जा सकता, क्योंकि इससे लाखों लोग अपने घरों से बेघर हो गए। किताब में यह भी उल्लेख है कि नेहरू ने आजादी के बाद कहा था कि देश को या तो बंटवारा स्वीकार करना होगा या फिर हिंसा और अशांति का सामना करना होगा।
पिछले महीने एनसीईआरटी ने कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की किताब में मुगल शासकों के धार्मिक निर्णयों, सांस्कृतिक योगदान और क्रूरता की नई व्याख्या जोड़ी है। यह किताब 2025-26 शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में लागू होगी।
कश्मीर और आतंकवाद का जिक्र
मॉड्यूल में बताया गया है कि 1947 से 1950 के बीच बंटवारे ने भारत की एकता को तोड़ा, शत्रुतापूर्ण सीमाएं बनाईं, सामूहिक हिंसा और विस्थापन को बढ़ावा दिया। इसने सांप्रदायिक अविश्वास को और गहरा किया, पंजाब और बंगाल की अर्थव्यवस्थाओं को नष्ट किया और जम्मू-कश्मीर को सामाजिक, आर्थिक और जनसंख्या की दृष्टि से पतन की ओर धकेल दिया। बाद में आतंकवाद ने इस स्थिति को और बदतर बना दिया।
सियासी वार-पलटवार
यह विवाद सामने आने के बाद कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का कहना है कि हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग के गठजोड़ से देश का विभाजन हुआ। उन्होंने कहा कि इतिहास में अगर कोई सबसे बड़ा खलनायक है, तो वह आरएसएस है। आने वाली पीढ़ियां आरएसएस के कृत्यों को कभी माफ नहीं करेंगी। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस ने उस दौर में 25 साल तक चुप्पी साधे रखी और गठजोड़ में शामिल रहा। उन्होंने यह भी कहा कि आडवाणी जिन्ना की मजार पर नमन करने गए थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से संस्थाओं में हस्तक्षेप कर बीजेपी इतिहास को तोड़ मरोड़ रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कांग्रेस चुप नहीं बैठने वाली है।
आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि इतिहास किसी की विचारधारा से नहीं बदलता, बल्कि उसके पूरे संदर्भ को समझना जरूरी है। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग गांधी को भी दोषी ठहराते हैं न कि कांग्रेस को। बीजेपी केवल नफरत की भाषा बोलती है और नफरत के बीज बोने में माहिर है, लेकिन अब यह नफरत देश में फलने-फूलने वाली नहीं है।
बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि एनसीईआरटी के बंटवारे से जुड़े मॉड्यूल की जानकारी सामने आई है। उस समय सत्ता में मुस्लिम लीग, नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस और माउंटबेटन थे। अगर बंटवारा रोका जा सकता था, तो यह मुस्लिम लीग या कांग्रेस ही कर सकती थी। उन्होंने कहा कि नेहरू के बंटवारे के समर्थन में बयान भी मौजूद हैं। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा कि जिन्ना और राहुल गांधी की सोच में समानता है। दोनों एक-दूसरे के समान बन गए हैं। अखंड भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था। जिन्ना की जहरीली विचारधारा, तुष्टिकरण और सांप्रदायिकता की सोच आज राहुल गांधी और कांग्रेस में दिखती है।