नई दिल्ली। उत्तराखंड के पंचायत चुनाव में भाजपा को तगड़ा झटका लगा है। प्रदेश में कई जगहों पर भाजपा को पहले जीती हुई सीटें गंवानी पड़ी हैं। बद्रीनाथ को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का गढ़ माना जाता है, लेकिन वहां पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं, लैंसडाउन से तेज-तर्रार विधायक महंत दिलीप रावत की पत्नी नीतू रावत को कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति पटवाल ने हराया।
चमोली में निर्दलीयों का दबदबा
राज्य की 358 जिला पंचायत सीटों में से अब तक 205 सीटों के परिणाम घोषित हो चुके हैं। कांग्रेस ने 76, भाजपा ने 58 और निर्दलीय प्रत्याशियों ने 61 सीटों पर जीत दर्ज की है। देहरादून, बागेश्वर, पौड़ी, अल्मोड़ा और नैनीताल में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला रहा, जबकि चमोली जैसे जिलों में मतदाताओं ने पारंपरिक दलों को दरकिनार कर बड़ी संख्या में निर्दलीयों को चुना। चम्पावत, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, उधमसिंह नगर और टिहरी के नतीजे अभी घोषित होने बाकी हैं।
देहरादून में भाजपा आगे
राजधानी देहरादून में 30 जिला पंचायत सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा ने 13, कांग्रेस ने 7 और निर्दलीयों ने 10 सीटों पर जीत हासिल की। पौड़ी जिले में मुकाबला लगभग बराबरी का रहा। कुल 38 सीटों में से भाजपा ने 18, कांग्रेस ने 16 और निर्दलीयों ने 4 सीटों पर कब्जा जमाया।
हालांकि भाजपा को सबसे अधिक सीटें मिलीं, लेकिन कई दिग्गज उम्मीदवारों की हार से पार्टी को आंतरिक झटका लगा है। लैंसडाउन से विधायक महंत दिलीप रावत की पत्नी नीतू रावत को कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति पटवाल ने हराया। वहीं, खिर्सू की ग्वाड़ सीट पर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संपत सिंह को कांग्रेस के चेत सिंह ने पराजित किया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के गढ़ में निर्दलीयों की चांदी
चमोली जिले में भाजपा और कांग्रेस दोनों को बड़ा झटका देते हुए निर्दलीय उम्मीदवार आगे निकले। कुल 26 जिला पंचायत सीटों में से भाजपा को केवल 4, कांग्रेस को 5, जबकि 17 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे। पोखरी ब्लॉक की रानो सीट सबसे चर्चित रही, जहां पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी को करारी हार मिली। इन नतीजों से साफ है कि चमोली में मतदाता अब पारंपरिक दलों से हटकर नए विकल्प चुन रहे हैं।
उत्तरकाशी में भी भाजपा को झटका
उत्तरकाशी जिले की 28 जिला पंचायत सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ। पार्टी समर्थित केवल 7 प्रत्याशी ही जीत सके, जबकि कांग्रेस पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों और निर्दलीयों ने 21 सीटों पर कब्जा जमाया।