द लेंस डेस्क। दुनिया के सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह का निधन ( Marathon runner Fauja Singh Died ) हो गया है और उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है। दरअसल पंजाब के जालंधर जिले में फौजा सिंह का उनके पैतृक गांव ब्यास के पास एक सड़क हादसे में घायल हो गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इलाज के दौरान सोमवार को निधन हो गया था। फौजा सिंह 114 वर्ष के थे, जिन्हें प्यार से ‘टर्बन्ड टॉरनेडो’ कहा जाता था वे इसी वर्ष एक अप्रैल को 114 वर्ष के हुए थे।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर संदेश में लिखा “फ़ौजा सिंह जी अपने अद्वितीय व्यक्तित्व और फिटनेस जैसे महत्वपूर्ण विषय पर भारत के युवाओं को प्रेरित करने के अपने तरीके के कारण असाधारण थे। वे अद्भुत दृढ़ संकल्प वाले एक असाधारण एथलीट थे। उनके निधन से बहुत दुःख हुआ। मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और दुनिया भर में उनके अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं। ” पीएम मोदी ने फौजा सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया और सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘फौजा सिंह जी अपने अद्वितीय व्यक्तित्व और फिटनेस जैसे महत्वपूर्ण विषय पर भारत के युवाओं को प्रेरित करने के तरीके के कारण असाधारण थे। वह अविश्वसनीय दृढ़ संकल्प वाले एक असाधारण एथलीट थे। उनके निधन से मुझे बहुत दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दुनिया भर में उनके अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं। परमात्मा उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें। वाहेगुरु वाहेगुरु।”

इसके अलावा लेखक खुशवंत सिंह जो पंजाब के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त थे और चंडीगढ़ के रहने वाले थे उन्होने फौजा सिंह की जीवनी ‘टर्बन्ड टॉरनेडो’ लिखी थी, उन्होंने लिखा, “मेरा पगड़ीधारी टॉरनेडो अब नहीं रहा। मुझे अत्यंत दुख के साथ अपने परम श्रद्धेय स्व. फ़ौजा सिंह के निधन की सूचना मिल रही है। आज दोपहर लगभग 3:30 बजे उनके गाँव बियास में सड़क पार करते समय एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। मेरे प्रिय फ़ौजा, उनकी आत्मा को शांति मिले”। साथ ही पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी मैराथन धावक फौजा सिंह के निधन पर शोक जताया है।
1 अप्रैल, 1911 को ब्यास गांव में जन्मे फौजा सिंह एक किसान परिवार से थे। अपने माता-पिता के चार बच्चों में वह सबसे छोटे थे। इंग्लैंड में अपने प्रवास के दौरान, सिंह ने अपने इलफोर्ड स्थित घर के पास सार्वजनिक पार्कों में लंबी सैर और दौड़ना शुरू कर दिया। मैराथन कोच हरमंदर सिंह के संपर्क में आने के बाद फौजा सिंह ने अप्रैल 2000 में 89 वर्ष की आयु में लंदन मैराथन में भाग लिया और इसे छह घंटे 54 मिनट में पूरा किया जिससे सीनियर केटेगरी में पिछले वर्ल्ड रिकॉर्ड में 58 मिनट का सुधार हुआ।