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Home » मोहन भागवत ने जो फरमाया है

लेंस संपादकीय

मोहन भागवत ने जो फरमाया है

Editorial Board
Last updated: July 11, 2025 9:31 pm
Editorial Board
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Mohan Bhagwat
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के दिवंगत नेता मोरोपंत पिंगले पर केंद्रित पुस्तक के विमोचन के कार्यक्रम में इशारों-इशारों में 75 साल में रिटायरमेंट की बात कह कर एक नई बहस छेड़ दी है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोड़कर देखा जा रहा है, जो इसी साल 17 सितंबर को 75 साल के होने जा रहे हैं। भागवत ने पिंगले को याद करते हुए उनके शब्दों को दोहराया, “जब 75 साल की शॉल ओढ़ाई जाती है, तो इसका अर्थ होता है कि हमारी उम्र हो चुकी है और अब हमें थोड़ा किनारे हो जाना चाहिए।” वैसे देखा जाए, तो खुद भागवत भी 11 सितंबर को 75 साल के हो जाएंगे, जिस पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने चुटकी भी ली है कि सितंबर में भागवत और मोदी दोनों रिटायर हो जाएंगे! अव्वल तो यह, कि न तो प्रधानमंत्री मोदी पर और न ही भागवत पर देश का संविधान ऐसी कोई बाध्यता लादता है कि वे 75 साल के होने पर अपने पदों से हट जाएं। जहां तक आरएसएस की बात है, तो उसका प्रमुख चुनना उसका आंतरिक मामला है, लेकिन जब प्रधानमंत्री पद की बात आती है, तो पार्टी का मामला होने के साथ ही यह देश से भी जुड़ जाता है। दरअसल, यह सारी बहस उपजी ही भाजपा और संघ के भीतर से है, जब 2019 के लोकसभा चुनाव के समय लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे अपने वरिष्ठ नेताओं का टिकट काटकर बताया था कि पार्टी 75 साल से अधिक के उम्र के नेताओं को उम्मीदवार नहीं बना रही है। यह एलान किसी और ने नहीं खुद तत्कालीन भाजपा अध्यक्षअमित शाह ने किया था, जिन्हें गांधीनगर से आडवाणी की जगह उम्मीदवार बनाया गया था। हालांकि उससे पहले पार्टी आडवाणी, जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार जैसे पचहत्तर पार के नेताओं को किनारे कर चुकी थी। वहीं उसने कर्नाटक में अपवाद बताते हुए बी एस येदियुरप्पा को 75 साल के बाद भी कमान सौंपी थी। जाहिर है, 75 साल का मुद्दा सियासी है और उस पर पार्टी अपनी सुविधा से राय बदलती रही है। यह भी गौर किया जाना चाहिए कि भाजपा ही नहीं तमाम पार्टियां युवाओं को आगे लाने की बातें तो करती हैं, लेकिन उम्र को लेकर किसी भी पार्टी ने कोई कड़ा नियम नहीं बनाया है। सारे फैसले सियासी जरूरतों के अनुसार ही लिए जाते हैं। वास्तव में प्रधानमंत्री की उम्र मायने नहीं रखती। असल में भागवत के बयान को भाजपा और संघ के बीच की खींचतान के रूप में देखने की जरूरत है, जिसका पता इसी से चलता है कि खुद को दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बताने वाली भाजपा अभी तक अपना नया अध्यक्ष नहीं ढूंढ़ पाई है। वैसे यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या खुद मोहन भागवत 11 सितंबर को 75 साल का होने पर संघ प्रमुख के पद से हटकर प्रधानमंत्री मोदी पर कोई नैतिक दबाव बनाएंगे

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