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आंदोलन की खबर

ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच 9 जुलाई को करेगा देशव्यापी हड़ताल, 20 करोड़ मजदूर और किसान होंगे शामिल

Lens News
Last updated: July 5, 2025 8:37 pm
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Trade Union Protest
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रायपुर। ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच 9 जुली को देश व्यापी हड़ताल करने जा रहा है। इस हड़ताल में 20 करोड़ से ज्यादा मजदूर और किसान शामिल होंगे। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने आज एक प्रेस वार्ता में श्रम संहिता वापसी सहित 23 सूत्रीय मांगों पर मजदूर किसानों की देशव्यापी हड़ताल के मुद्दों की जानकारी दी है। मंच के संयुक्त मंच के छत्तीसगढ़ संयोजक धर्मराज महापात्र सहित विभिन्न श्रम संगठनों के नेता इसमें उपस्थित थे। Trade Union Protest

संयुक्त मंच के छत्तीसगढ़ संयोजक धर्मराज महापात्र ने बताया कि सन् 1886 में शिकागो शहर में 8 घण्टे काम की मांग को लेकर मजदूरों का आन्दोलन हुआ था जिसमें मजदूरों पर पुलिस द्वारा दमन किया गया परिणाम स्वरुप कई मजदूर शहीद हो गये। तभी से हम उन शहीदो की याद में 1 मई को मई दिवस यानी अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाते आ रहे है। परिणाम स्वरुप काम के घण्टे आठ किये गये।  इसी तरह हमारे पूर्वजों द्वारा संघर्ष, कुर्बानी के बाद अंग्रेजी राज से लेकर आज तक हम 44 श्रम कानून हासिल किये थे। आज की भाजपा की केंद्र सरकार इसे ही पलटने पर अमादा है.

उन्होंने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान जब देश की जनता जिन्दगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी, मजदूरों के 44 श्रम कानूनों में से 29 प्रभावशाली कानूनों को खत्म कर चार नए लेबर कोड (श्रम संहिता) बनाए। इन चार नए श्रम संहिताओं के लागू होने पर मजदूरों ने अपने संघर्षों और बलिदानों से जो श्रम कानून हासिल किये थे, भाजपा सरकार ने उसे खत्म कर दिया। सरकार ने यूनियन बनाना, पंजीकरण करवाना लगभग असंभव कर दिया और अगर यूनियन बन भी गई तो सरकार उसे कभी भी खत्म कर सकती है। धरना, प्रदर्शन और हड़ताल करने पर भारतीय न्याय संहिता (IPC) की धारा 111 के तहत जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि स्थाई रोजगार की जगह, बीजेपी सरकार निश्चित अवधि, प्रशिक्षु, आउटसोर्स, और  हर काम का ठेकाकरण नया फरमान ले आई है। स्थाई नौकरी ना होने पर मजदूर अपने अधिकार के लिए लामबंद नहीं हो सकेंगे और ग्रेच्युटी व अन्य लाभों से वंचित हो जाएँगे। बिना नोटिस के मजदूरों को नौकरी से निकाला जा सकता है। कारखाने में 40 से कम मजदूर होने पर न्यूनतम वेतन, ई.पी.एफ, व अन्य श्रम कानून लागू नही होंगे। महिलाओं को कारखानों में रात की पाली में भी काम में लगने की अनुमति होगी, जो पहले नहीं था। कारखानों में मजदूरों के लिए काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए गए। भाजपा के मित्र उद्योगपति तो दिन में 15 घंटे काम की न केव वकालत कर रहे हैं बल्कि उसे औचित्यपूर्ण बताकर ऐसा प्रावधान की मांग उठा रहे हैं, याने मजदूर अपनी पूरी देह गलाकर केवल उनके लिए मुनाफे पैदा करे यह उनकी सोच है । ई.पी.एफ. का अंशदान पहले 12% था, अब घटाकर 10% कर दिया जा रहा इससे मजदूरों को मासिक 4% का नुकसान होगा।

संयोजक धर्मराज महापात्र ने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा लगातार मनेरगा बजट में कटौती की जा रही है। जिसके कारण मजदूरों को 100 दिन का काम नहीं मिल रहा। मनरेगा में रोजगार ना मिलने से कल्याण बोर्ड में पंजीकृत मजदूरों का नवीनीकरण नहीं हो रहा और उन्हें शादी, मृत्यु पर आर्थिक लाभ आदि के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। भाजपा की सरकार आँगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा वर्कर के बजट में लगातार कटौती कर रही है। इन कार्मिकों को समय पर मानदेय नहीं मिल रहा और सरकार निजीकरण करने की ओर बढ़ रही है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला होने पर भी आँगनबाड़ी कार्यकत्री/सेविकाओं को सेवानिवृत्त होने पर ग्रेच्युटी नहीं दे रही है।

केन्द्र की भाजपा सरकार बिजली बोर्ड, बीमा, बैंक, बंदरगाहों, राष्ट्रीय राज्य मार्गों आयुध निर्माणियों, एफआरआई, रेलवे आदि का निजीकरण कर रही है और अपने चहेते उद्योगपतियों अडानी, अंबानी, टाटा, बिडला और कुछ अन्य उद्योगपतियों को देश की संपदा कौड़ियों के भाव बेच रही है। स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य सरकार ने प्राइवेट कंपनी को दे रखा है। स्मार्ट मीटर के रुप में 10000 रुपए के करीब बिजली उपभोक्ता से वसूले जाएँगे।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने नए मोटर व्हीकल एक्ट में प्रावधान किया है कि यदि ड्राइवर एक्सीडेंट करता है और मौके से भाग जाता है तो उसे 10 वर्षों की जेल और 10 लाख रुपए जुर्माना भरना होगा। भाजपा की केन्द्र सरकार ने मजदूरों व अन्य तबकों के खिलाफ जो नए कानून बनाए हैं, इनके लागू होने पर देश का मजदूर, कर्मचारी पूरी तरह मालिकों का गुलाम बना दिया जाएगा ।  श्रमिकों की जायज मांग पर की जाने वाली हड़ताल को भी वह कभी भी गैरकानूनी घोषित करने का प्रावधान कर रही है । उसने भारतीय न्याय संहिता ( बी एन एस ) की धारा 111 जोड़कर ट्रेड यूनियनों के किसी भी संगठति विरोध को संगठित अपराध की श्रेणी शामिल कर दिया है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार द्वारा बनाए गए चार लेबर कोड को रद्द करने की मांग के साथ देश के हर हिस्से के कामकाजी मजदूर, कर्मचारी याने श्रमजीवी वर्ग ने इसका तीव्र विरोध करने के साथ-साथ विभाजनकारी राजनीति का विरोध करने के लिए कमर कसकर इन नीतियों को वापस लेने की मांग को लेकर 9 जुलाई को एक दिन की देशव्यापी हड़ताल का फैसला लिया है।

ट्रेड यूनियनों ने मांग की है कि श्रमिक विरोधी श्रम संहिता वापस लिया जाए। सभी श्रमिकों को 26000/- न्यूनतम मजदूरी दो और हर पांच साल में न्यूनतम मूल्य सूचकांक के साथ संशोधन सुनिश्चित करो। सार्वजानिक क्षेत्र का निजीकरण, विनिवेशीकरण रद्द किया जाए। ठेकाकरण, संविदाकरण, आउट्सोर्सिंग बंद करो। रिक्त पदों पर भर्ती प्रारम्भ करो, बेरोजगारों को बेरोजगारी का भत्ता दिया जाए। भारतीय श्रम सम्मेलन जल्द आयोजित किया जाए। सभी के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करो, ई पी एस के तहत 9000  रूपये न्यूनतम तथा जो किसी योजना में नहीं है उन्हें 6000 रूपये मासिक पेंशन दो। रेल, सड़क परिवहन, कोयला, इस्पात, बंदरगाह, रक्षा, बैंक, बीमा, बिजली, पेट्रोलियम, डाक दूरसंचार के निजीकरण पर रोक लगाओ, एन एम् पी योजना वापस लो, बीमा क्षेत्र में 100% एफ डी आई बढ़ाने और समग्र बीमा कानून में संशोधन का प्रस्ताव  वापस लो। ठेका मजदूरों सहित सभी मजदूरों, कर्मचारियों को सामान काम के लिए समान वेतन दो। 8 घंटे के कार्यदिवस पर सख्ती से अमल करो। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता, सहायिका, मितानिन, मध्यान्ह भोजन कर्मी, स्कूल सफाई कर्मी, गिग और अन्य प्लेटफार्म श्रमिक  को भी श्रमिक का दर्जा दो और उन्हें सामाजिक सुरक्षा का लाभ दो। मनरेगा में 200 दिनों का काम और मजदूरी में वृद्धि सुनिश्चित करो। शिक्षा  का व्यापारीकरण / निजीकरण रोको। शहरी गरीबों को भी मनरेगा का लाभ दो। किसानों को सी 2 फार्मूला के तहत  लागत के 50% प्रतिशत जोड्कर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दो। कृषि उपज की खरीद की गारंटी दो, प्राकृतिक आपदा में उन्हें सहायता के लिए कोष का निर्माण करो। प्रवासी मजदूरों के लिए 1979 के कानून को पुनर्जीवित करो। योजना कर्मियों के लिए श्रम सम्मलेन की सिफारिश लागू कर न्यायालय के निर्देश अनुरूप उन्हें ग्रेच्यूटी भुगतान किया जाए।

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