भारत में उम्र को थामने और जवां दिखने की चाहत तेजी से बढ़ रही है खासकर आजकल के मॉडर्न लाइफस्टाइल में, खूबसूरत दिखने की चाहत और सोशल मीडिया के प्रभाव ने Anti-Aging प्रोडक्ट्स और उस प्रोसेस की मांग को हर दिन बढ़ा रहा है लेकिन इस चमक-दमक के पीछे छिपे जोखिम भी कम नहीं हैं। कुछ दिन पहले अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की मृत्यु ने इस चर्चा को और लाइमलाइट में ला दिया जिससे इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि भारत में ऐसे प्रोडक्ट्स बिना जांचे भी बेचे जा रहें हैं ।
Anti-Aging प्रोडक्ट्स का बढ़ता क्रेज
आज के दौर में अब एंटी-एजिंग एक नया मंत्र बन चुका है। मशहूर हस्तियां, बिजनेस टाइकून और आम लोग तक जवां और फिट दिखने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं। इसका सबसे चर्चित वाकया है अमेरिकी अरबपति ब्रायन जॉनसन का, ब्रायन ने 46 साल की उम्र में 18 साल के युवा जैसी शारीरिक स्थिति हासिल करने का दावा किया है। जॉनसन हर दिन 40 से ज्यादा टैबलेट्स लेते हैं टोटल प्लाज्मा एक्सचेंज जैसे महंगे उपचार करवाते हैंऔर एंटी-एजिंग पर सालाना करीब 17 करोड़ रुपये खर्च करते हैं।
अब धीरे-धीरे भारत में भी यह ट्रेंड जोर पकड़ रहा है। मेट्रो शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में लोग बोटॉक्स, ग्लूटाथियोन इंजेक्शन, कोलेजन सप्लीमेंट्स, और प्लास्टिक सर्जरी जैसे ट्रीटमेंट की ओर रुख कर रहे हैं हाल ही में शेफाली जरीवाला की मृत्यु ने भी बहस को फिर से छेड़ दिया है और इसके साइड इफेक्ट्स पर भी सवाल उठाये हैं, हालाँकि इसी वजह से शेफाली की मृत्यु हुई है इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
शेफाली केवल 42 साल की थीं प्रारंभिक जांच में पता चला कि शेफाली लंबे समय से बिना किसी मेडिकल एक्सपर्ट के सलाह के ग्लूटाथियोन और विटामिन सी इंजेक्शन, मल्टीविटामिन और कोलेजन सप्लीमेंट्स ले रही थीं। 27 जून को अपने मृत्यु के दिन शेफाली ने धार्मिक उपवास रखा था और खाली पेट लिए गए ग्लूटाथियोन इंजेक्शन को उनकी मृत्यु का संभावित कारण माना जा रहा है। इस इंजेक्शन के बाद उनके पल्सरेट में अचानक गिरावट आई जिसके वजह से शेफाली को कार्डियक अरेस्ट हुआ। मुंबई पुलिस ने उनके घर से कई एंटी-एजिंग दवाएं और इंजेक्शन जब्त किए।
भारत में Anti-Aging मार्केट का बढ़ता आकार
मार्केट रिसर्च फ्यूचर (MRFR) के आंकड़ों के अनुसार भारत में Anti-Aging सर्विसेज का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। 2023 में इसका आकार 343.6 मिलियन डॉलर (लगभग 28 अरब रुपये) था जो 2024 में बढ़कर 400 मिलियन डॉलर (लगभग 33 अरब रुपये) का हो गया। 2035 तक इसके 964 मिलियन डॉलर (लगभग 80 अरब रुपये) तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। यह बढ़ोतरी मॉडर्न लाइफस्टाइल और खूबसूरत के साथ जवां दिखने की चाहत के कारण हो रही है।
अब बात भारत के न्यूट्रास्यूटिकल मार्केट की, 2023 में यह 5 बिलियन डॉलर का था जिसमें कोलेजन, विटामिन सी और रेस्वेराट्रॉल जैसे सप्लीमेंट्स शामिल हैं। आयुर्वेदिक और हर्बल प्रोडक्ट्स के कैटेगरी में पतंजलि, डाबर और हिमालया जैसे ब्रांड्स अश्वगंधा, शतावरी और अन्य हर्बल उत्पाद बेचते हैं, जिन्हें एंटी-एजिंग लाभ के लिए प्रचारित किया जाता है। यह मार्केट 2023 में 10 बिलियन डॉलर का था। ऑनलाइन फार्मेसी खासकर 1mg, PharmEasy और Netmeds जैसे प्लेटफॉर्म्स ने एंटी-एजिंग सप्लीमेंट्स और दवाओं की बिक्री को बढ़ावा दिया है।

Anti-Aging ट्रीटमेंट और प्रोडक्ट्स
भारत में एंटी-एजिंग के लिए कई तरह के ट्रीटमेंट और प्रोडक्ट्स मार्किट में उपलब्ध हैं इनमें से कुछ वैज्ञानिक शोध पर आधारित हैं जबकि कुछ के दावे भ्रामक हो सकते हैं,
कुछ दवाएं और सप्लीमेंट्स का नाम
मेटफॉर्मिन: टाइप 2 डायबिटीज के लिए उपयोग होने वाली यह दवा सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करती है। यह कैंसर, हृदय रोग और डिमेंशिया जैसे रोगों के जोखिम को कम कर सकती है। TAME ट्रायल इसका एंटी-एजिंग प्रभाव जांच रहा है।
रैपामाइसिन: यह इम्यूनोसप्रेसेंट दवा ऑटोफैगी को बढ़ावा देती है जिससे कोशिकाएं स्वयं को रीसायकल करती हैं। चूहों में इसने जीवन अवधि 20% तक बढ़ाई है लेकिन मानव में इसके दीर्घकालिक प्रभाव अभी सामने नहीं आये हैं।
सेनोलिटिक्स (डासाटिनिब और क्वेरसेटिन): ये ज़ॉम्बी कोशिकाएं को हटाते हैं जो उम्र बढ़ने और बीमारियों को बढ़ावा देती हैं। ये अभी रिसर्च में हैं।
कोलेजन और मल्टीविटामिन: ये स्किन को यंग और स्वास्थ्य को बेहतर करने का दावा करते हैं लेकिन वैज्ञानिक प्रमाण सीमित हैं।
इंजेक्शन
ग्लूटाथियोन और विटामिन सी: ये इंजेक्शन त्वचा को गोरा करने और डिटॉक्सिफिकेशन के लिए उपयोग में लाये जाते हैं हालांकि इन्हें FDA या CDSCO ने कॉस्मेटिक उपयोग के लिए परमिशन नहीं दिया है। शेफाली जरीवाला के मामले में इसी का इस्तेमाल होने की बात सामने आयी है।
बोटॉक्स और फिलर्स : झुर्रियों को कम करने और स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए बोटॉक्स और डर्मल फिलर्स का उपयोग अब आम है। ये उपचार सस्ते और लोकप्रिय हैं लेकिन इन्हें केवल पेशेवरों द्वारा ही लगवाना चाहिए।
NAD+ ड्रिप : यह इंजेक्शन कोशिकाओं को रिपेयर करने और ऊर्जा स्तर को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर शोध सीमित है।
सर्जरी और रीजेनरेटिव मेडिसिन
प्लास्टिक सर्जरी, राइनोप्लास्टी, फेशियल सर्जरी और त्वचा को टाइट करने वाली सर्जरी जवां दिखने के लिए की जाती हैं। ये उपचार महंगे हैं और केवल विशेषज्ञों द्वारा किए जाने चाहिए।
रीजेनरेटिव मेडिसिन : स्टेम सेल थेरेपी और प्लाज्मा एक्सचेंज जैसे उपचार कोशिकाओं को पुनर्जनन करने का दावा करते हैं। ब्रायन जॉनसन जैसे लोग इनका उपयोग करते हैं लेकिन ये भारत में अभी प्रारंभिक चरण में हैं और बहुत महंगे हैं।
विशेषज्ञों की सलाह
- केवल योग्य डर्मेटोलॉजिस्ट या चिकित्सक से उपचार लें।
- उपचार से पहले अपनी मेडिकल हिस्ट्री (जैसे मिर्गी, हृदय रोग) शेयर करें।
- रक्तचाप और अन्य स्वास्थ्य मापदंडों की नियमित जांच करवाएं।
- जीवनशैली में सुधार (स्वस्थ आहार, व्यायाम, नींद) को प्राथमिकता दें।
भारत में कितने लोग उपयोग कर रहे हैं ?
इसके सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन मीडिया में आये एक अनुमान के अनुसार शहरी क्षेत्रों में लगभग 10-15% शहरी आबादी (5-7 करोड़ लोग) विटामिन्स, कोलेजन, या हर्बल सप्लीमेंट्स लेती है। 10-20% वयस्क आबादी (10-20 करोड़ लोग) कभी न कभी हर्बल Anti-Aging उत्पादों का उपयोग करती है। बोटॉक्स, फिलर्स और ग्लूटाथियोन इंजेक्शन मुख्य रूप से मेट्रो शहरों में मध्यम और उच्च वर्ग के बीच लोकप्रिय हैं जो लाखों उपभोक्ताओं तक सीमित है।
भारत में Anti-Aging का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और यह 2035 तक 80 अरब रुपये का हो सकता है। बोटॉक्स, ग्लूटाथियोन, कोलेजन सप्लीमेंट्स और सर्जरी जैसे उपचार जवां दिखने की चाहत को पूरा कर रहे हैं लेकिन बिना एक्सपर्ट के सलाह के इन ट्रीटमेंट्स का उपयोग जानलेवा हो सकता है। वैज्ञानिक रूप से मेटफॉर्मिन, रैपामाइसिन और सेनोलिटिक्स जैसे प्रोडक्ट्स अभी मार्केट में तो हैं लेकिन ये अभी रिसर्च में हैं, लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता की जवां और स्वस्थ रहने के लिए दवाओं से ज्यादा जीवनशैली पर ध्यान देना जरूरी है।