रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस के IPS कैडर में एक अधिकारी की नियुक्ति को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। 2013 बैच के IPS अधिकारी यशपाल सिंह के सीमा सुरक्षा बल (BSF) से छत्तीसगढ़ स्टेट पुलिस सेवा (CPS) में विलय और बाद में उनकी IPS नियुक्ति पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने अब इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
दरअसल, यशपाल सिंह BSF कैडर के अफसर थे, जो लंबे समय तक छत्तीसगढ़ में पदस्थ रहे हैं। बाद में उनका विलय छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा में किया गया था। जब उनका विलय हुआ तो इस बात की बहुत चर्उचा थी। महकमें में आरोप लगा कि नियमों के खिलाफ जाकर यशपाल सिंह को BSF कैडर से राज्य पुलिस सेवा में विलय किया गया। इतना ही नहीं कैडर अलॉट करने के दौरान उन्हें गलत तरीके से वरिष्ठता दी गई। उन्हें 1997 का बैच दिया गया था।
इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) यशपाल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही थी। इसके बावजूद, 2019 में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने उन्हें IPS चयन समिति में शामिल कर लिया। इस पर छत्तीसगढ़ पुलिस अधिकारी संघ ने इस नियुक्ति को ‘कैडर व्यवस्था के खिलाफ’ बताया था। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) ने भी विलय पर आपत्तियां दर्ज की थीं, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया।
इन सभी आरोपों के साथ केन्द्रीय गृह मंत्रालय को शिकायत की गई, जिस पर 13 जून को MHA ने एक जांच आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और UPSC सचिव मामले की जांच करेंगे। इस जांच में यह पता लगाया जाएगा कि नियुक्ति प्रक्रिया में क्या अनियमितताएं हुईं हैं। इसके अलावा यह भी जांच करने को कहा है कि आईपीएस चयन समिति में शामिल करने से पहले यूपीएससी को ईओडब्ल्यू की जांच की जानकारी थी कि नहीं।
बता दें कि रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता विवेक कुमार सिंह ने MHA को शिकायत की थी। अपनी शिकायत में उन्होंने कहा था कि यह जांच CBI या स्वतंत्र समिति से कराई जाए। सभी संबंधित दस्तावेजों का सार्वजनिक खुलासा किया जाए। अनियमितता मिलने पर यशपाल सिंह की IPS नियुक्ति रद्द की जाए और RTI के तहत अस्वीकृत जानकारी की समीक्षा की जाए।